Wednesday, 24 January 2018

अतीत वर्त्तमान और भविष्य

सबसे पहले तो हमे यह जानना चाहिए की दुनिया किसे कहे क्या भौगोलिक रूप से दिख रही वस्तुओं इमारतों को ही हम दुनिया कह सकते है या फिर लोगो के व्यवहार और उनकी भावनाओं को भी हम दुनिया का हिस्सा मान सकते है ? मेरे विचार से हमारे वर्त्तमान में हर वह चीज जो भौतिक और अभौतिक रूप से विद्यमान है वह सब कुछ हमारी दुनिया का हिस्सा है ! अब आप यह कहेंगे की अगर सिर्फ वर्त्तमान ही हमारे दुनिया का हिस्सा है तो हमारा अतीत और भविष्य क्या है ?
आपका सवाल सही है लेकिन आपको यह याद रखना चाहिए की अतीत हमारा बिता हुआ कल है अतीत में की गयी किसी भी गलती या अच्छे बुरे व्यक्तिगत और अवक्तिगत किसी भी मामले को लेकर हम उसे अपने वर्त्तमान से नही जोड़ सकते हम उसे याद रख सकते है या फिर अपनी की गयी गलतियों से सिख कर अपना आज को बेहतर बना सकते है मगर उसका बदला अपने वर्त्तमान में नही ले सकते फिर चाहे वह अच्छा हो या फिर बुरा हो !
जैसा की आज कल आप देख ही सकते है की इतिहास को लेकर कितना ज्यादा राजनैतिक फायदा लिया जा रहा है और इसी बिच झूठा इतिहास भी रचा जा रहा है जैसे नेहरू जी के पिता मुस्लिम थे या नेहरू और पटेल जी में बिलकुल नहीं बनती थी वगेरा वगेरा जबकि यह सब खोखला झूठ है इसी तरह का और भी बहुत सारे झूट फैलाये जाते है इतिहास को लेकर लेकिन एक समझदार और जागरूक व्यक्ति क्या करेगा क्या वह इतिहास को लेकर अपने आज पर हावी हो जायेगा या फिर अपने ज्ञान कोष को सही करके इतिहास को इतिहास में रहने देगा और उस नेता की बात को नज़रअंदाज़ कर देगा तब तक के लिए जब तक वह उसके मुद्दे पर बात नहीं करता !
आपको यह भी याद रखना चाहिए की आप अतीत में नही जी सकते अगर जीने की कोशिश करेंगे या फिर अतीत का बदला अगर वर्तमान में लेंगे तो आपका वर्त्तमान ख़त्म हो जायेगा और उसके साथ ही आप भी !
दुनिया में बहुत से लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते है यह अच्छी तरह जानते है की भविष्य उन्हें नही पता कौन जाने मैं इस पोस्ट को लिखते लिखते ही मर जाओं और यह पोस्ट आपके सामने ही नहीं आये लेकिन क्या इसका मतलब यह होना चाहिए की मैं अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहूँ ! हम जिस भविष्य के लिए इतना रोते रहते है परेशान रहते है वह पूरा का पूरा भविष्य सिर्फ और सिर्फ हमारे आज पर टिका हुआ है तो फिर उस भविष्य के लिए इतना रोना रक्यूँ ? 

इसकी सबसे बड़ी वजह है हमारा डर ज्यादातर लोग ऐसे ही होते है  हमेशा खुद को कम्फर्ट जोन में देखना चाहते है वह कभी भी रिस्क नही लेना चाहते ! यहाँ रिस्क लेने से मतलब यह नही है की आप अपने जान की बाजी लगाते फिरे यहाँ रिस्क लेने से मतलब है व्यवपार में आप अपने चारो तरफ देखिये जितने भी अमीर लोग है उनमे से सबसे ज्यादा लोग बिज़नेस ही कर रहे है और जो नौकरी कर रहे है उन्हें देखिये क्या फर्क नज़र आया ! असल में  दौलत  सोहरत रिस्क लेने का उपहार है जबकि कम्फर्ट जोन में हर महीने आपके खाते में एक तय सुदा अमाउंट आ जाता है और आप इसे ही छोड़ने को तैयार नही एक बार आप कम्फर्ट जोन में चले गए तो फिर आपका उस कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है !
तो क्या इसका मतलब यह हुआ की हमे भविष्य के लिए किसी तरह की तैयारी नहीं करनी चाहिए ? गलत मैं यह नहीं कह रहा की भविष्य की तैयारी न की जाये मैं यह कह रहा हूँ की भविष्य हमारे आज पर खड़ा हुआ है तो हमे हर बार सिर्फ और सिर्फ अपने आज को मजबूत करना चाहिए उसमे जोश भरते रहना चाहिए इस आज में ही आपको अपना सबसे बेहतर से बेहतर परफॉर्मेंस देना चाहिए और जब आप यह करने लगेंगे तो आप का आज भी बेहतर और उज्वल होगा बल्कि  कल भी खूबसूरत होगा और आपका भविष्य तो कहीं है ही नहीं और अगर कही है तो वह भी अच्छा और खूबसूरत और उज्वल ही रहेगा और यह सब संभव है सिर्फ और सिर्फ आपके आज में ! याद रखिये एक बात *अतीत* एक *याद* है और *भविष्य* एक खूबसूरत *ख्वाब* है और *वर्त्तमान* एक साक्षात् सत्य है अब यह आप पर निर्भर करता है की आप किसे कबूल करते है और किसे नही!


काल करे सो आज कर आज करे सो अब 
पल में परलय होगी बहुरि करेगा कब || 

*****

Md Danish Ansari

No comments:

Post a Comment