Thursday, 25 January 2018

वजूद ....


लफ्ज़ लफ्ज़ हर्फ़ हर्फ़ सब टूट टूट कर बिखर रही 
नाराज़गी भरी आवाज़ से हर साज़ टूट कर बिखर रही  
रात रात नही दिन दिन नही और ज़िन्दगी में चैन नही 
जो हर बात टूट कर बिखर गयी वो आवाज़ तुम नही
***
अब्र अब्र बस धुआँ धुआँ तेरी याद में कुछ इस तरह हुआ
के अब मैं अपने ही वजूद से पूरी तरह से ग़ाफ़िल हुआ 
हर गली हर शहर में तेरी तलाश को एक मेरी तलाश है
शहर शहर गाओं गाओं की ख़ाक तुमने छान ली 
मेरे क़मर तूने बस अपने दिल में मेरी तलाश न की 
कहाँ कहाँ तू ढूँढ रही है मुझे पागलो की तरह 
हर घडी हर वक़्त मैं तो तेरे वजूद में रच बस रहा

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कठिन शब्द :- "अब्र - बादल" , "लफ्ज़ - शब्द" , "हर्फ़ - अक्षर" , "क़मर - चाँद" , "ग़ाफ़िल - अनजान"

Md Danish Ansari

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