Friday, 26 January 2018

फ़ितरत.....


फूलों की है फ़ितरत महकना सो वो महका करते है
मेरी फ़ितरत में है मोहब्बत तो हम मोहब्बत करते है 
तुम्हारी नज़रो की फ़ितरत भी कमाल की लगती है 
सबको घायल भी करती है और मरहम भी करती है 
क्या तेरी फ़ितरत में ही शामिल है ये नटखटपन सनम 
जो मोहब्बत भी करती है और इनकार भी करती है 
अक्सर सामने से आकर तुम मेरा दिल धड़का जाती हो 
और इज़हार ए मोहब्बत करूँ तो अक्सर मुकर जाती हो 
क्या अक्सर मुकर जाना भी है तेरी फ़ितरत में शामिल 
कभी मुझे छू कर ये एहसास दिलाती हो तुम मेरी हो 
तो कभी कभी गैरो सा सलूक मुझसे क्यों कर जाती हो 
चाहे कुछ भी हो तुम्हारी फ़ितरत में शामिल सनम 
मुझे तो ये पता है के तुम बस एक मेरी सिर्फ मेरी हो 
तू वो फूल नही जो हर भौरे के लिए महक जाया करे 
न मैं वो भौरा हूँ जो हर फूल पे जा कर मंडराया करे 

*****

Md Danish Ansari

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