तेरी राह तकते थकती नही मेरे ये दो नैना
चाहे तुझे हर दम हर घड़ी मेरे ये दो नैना
कैसी है तू आ कर बता दे पूछे ये दो नैना
आ कर तू जरा समझा दे क्यूँ रोये ये दो नैना
जो भी खता की है वो मेरे इस दिल ने की
क्यों तू उनको सजा दे ये पूछे मेरे दो नैना
जो भी सज़ा देनी है तू दे दे बेशक मुझे
मगर तू इन्हें चुप करा दे यही चाहूँ मैं भी
रो रो कर नीर का सागर भी बंज़र हो चला
तू बता बिन सागर ये कैसे रहे मेरे ये दो नैना
तड़प तड़प के रो रो पड़ती है मेरे दो नैना
अब तो लहू भी बहता नही नीर की तरह
इस कदर बंज़र हो गयी है मेरे ये दो नैना
करता रहता है ये दिल हर वक़्त दुआ की
तुम लौट आओ अपने शहर चाहे दो नैना
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Md Danish Ansari
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