करीब तीन साल हो चुके थे उसे यहाँ से गए हुए मेरी ज़िन्दगी पहले की तरह चल रही थी रोज सुबह ऑफिस जाना और शाम को लौट कर खुद खाना बना खा कर सो जाना एक ऐसी ज़िन्दगी जो बेहद आम सी थी नौकरी करने वाले लोगो के बिच खुद के लिए तो वक़्त ही नहीं मिलता कभी , की कभी खुद के बारे में सोच सकूँ ! इस ज़िन्दगी में सब कुछ परफेक्ट नहीं था सिवाए एक के वो था मेरा टाइम टेबल सही वक़्त पे उठना सही वक़्त पे सोना हर काम का एक टाइम बंधा हुआ था और इस टाइम टेबल में मैं ! सब कुछ था मेरे पास अच्छी नौकरी थी घर था बैंक में रुपये थे गाड़ी भी हर जरुरत का सामान मेरे पास था मगर फिर भी खुश नहीं था न अपने अपने आप से और न ही अपने काम और न ही अपनी इस ज़िन्दगी से, रविवार को घर पे अकेला होता तो टीवी देख लेता हॉलीवुड उसके सिवा कभी घूमने निकल जाता तो कुछ दोस्तों से मिल आता ! एक वही तो थे जो मेरा अकेलापन समझते है !
रविवार की रात को मेरे घर पर दस्तक हुई दरवाजा खोला तो इंस्पेक्टर साहब बाहर खड़े हुए थे ! अरे सर आप बताइये कैसे आना हुआ अचानक से यहाँ आने की वजह ? असल में ! अरे अंदर आइये न अंदर बैठ कर बाते करते है ! मैं इस बात से उस वक़्त पूरी तरह अनजान था की मैं किस तूफ़ान को अपने घर के अंदर ला रहा हूँ जो हमेशा के लिए अब मेरी ज़िन्दगी बदल के रख देगा और इन सभी बातो से अनजान मैं उन्हें अंदर ले आया ! क्या लेंगे सर कॉफ़ी या चाय ? अरे नहीं कुछ नहीं दरअसल मैं यहाँ कुछ काम से आया था ! काम से वो भी मुझसे कहिये ? तुम्हे वो लड़की याद संगीता है जिसे तुमने बचाया था ? जी हाँ क्या हुआ उसे वो ठीक तो है न ! नहीं ? मतलब उसे कुछ हुआ है क्या ? दरअसल उसकी खोई हुई याददास्त एक हफ्ते पहले ही वापस लौट आयी है और यही वजह है की मैं तुम्हारे पास आया हूँ मुझे दिल्ली कोर्ट से आर्डर आया है की हम तुम्हे वहा पेश करें ! मुझे पर क्यों ? तुम गवाह हो उस घटना के और तुम्हारी गवाही बेहद अहम् है कोर्ट के लिए ! मगर मामला क्या है ?
उस घटना से कुछ महीने पहले उस लड़की की सगाई हुई थी और फिर वो लड़की हमे यहाँ मिली अधमरी हालत में अब जब लड़की की याददास्त लौट आयी है तो वह लड़के पे आरोप लगा रही है की उसने उसका बलत्कार किया था और मैं किसी को बता न दूँ इस बारे में इसलिए डर के मारे उसने उसे जान से मारने की पूरी कोशिश की मगर उसकी किश्मत अच्छी थी की वो बच गयी ! पर ऐसा कैसे हो सकता इंस्पेक्टर ? जब मैं उस लड़की को नदी से बाहर निकाल के लाया था तो उसकी के कपडे बिलकुल सही थे कही से फटे नहीं थे उसके जिस्म पे कुछ खरोंचे तो हम सबने देखा था मगर किसी ने भी इस बात पे कुछ कहा नहीं और फिर सबसे बड़ा सवाल तो ये भी है की यहाँ के डॉक्टर ने खुद आपसे कहा था की लड़की के साथ किसी तरह का सेक्सटुअल इंटरकोर्स नहीं हुआ फिर अचानक से यह सब कैसे ? यही तो सवाल है ? जिसका जवाब दिल्ली से यहाँ तक ढूंडा जा रहा है हमने डॉक्टर को हिरासत में ले लिया है और कोर्ट ने तुम्हे भी पेश करने को कहा है ! यानि आप मुझे गिरफ्तार करने आये है नहीं फिलहाल तो नहीं मैं तुम्हे कोर्ट के आर्डर देने आया हूँ अब देख लो तुम्हे अगर जाना है तो जाओ वरना मत जाओ पर एक बार अच्छे से जरूर सोच लेना क्योकि यहाँ किसी की ज़िन्दगी और इन्साफ का सवाल है और तुम उन सभी कड़ी में से एक कड़ी हो जिसके बगैर सवालो के जवाबों तक नहीं पहुंचा जा सकता ! मुझे कुछ वक़्त चाहिए इंस्पेक्टर सोचने के लिए उसके बाद ही मैं कुछ कह सकता हूँ ! ठीक है मैं अब चलता हूँ वैसे केस की अगली सुनवाई एक हफ्ते बाद है अब तुम सोच लो के तुम्हे जाना है या नहीं !
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कहानी आगे जारी है ...........
नोट :- अगर आपने हमसफ़र का चौथा भाग नहीं पढ़ा है तो इस लिंक पर क्लिक करें
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Md Danish Ansari
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