जल रहा है क्यों चाँद और बुझ गया क्यों सूरज
प्यासी है क्यों नदियाँ और आँखे क्यों है नम
ए बादल तु क्यों न बरसे ज़मी को पानी चाहिए
तप रही ज़मी बुखार से इसे शीतल हवा चाहिए
झुलस गए पेड़ पौधे सुख गयी डाल की हर पत्ती
ये कैसे हुआ क्यों हुआ यह सवाल हर नज़र पूछती
ए आसमान क्या तेरे सीने में दिल नहीं है
नहीं पसीजता जो तेरा दिल तो नम आँखों से
चंद क़तरे बहा दे
समंदर में है पानी बहुत मगर वो भी तो खारा है
खुद नदियों से प्यास बुझाये वो भी उम्मीद हारा है
तड़प तड़प कर मचल रही गर्म हवा गलियारों में
धमक धमक के उड़ रही है ख़ाक आसमानो में
धीरे धीरे सब कुछ यहाँ टूट टूट कर बिखर रहा है
आसमान जल कर गिर रहा तेरे खतों की तरह
सुख गयी ज़मी उसमे दरारे पड़ गए आईने की तरह
चाँद काला पड़ गया आसुओं में बहे चेहरे की तरह
मोहब्बत उल्फत आरज़ू जुस्तजू और फिर शिकायत
वफ़ा सदाकत सफर शहर ख़ाक और नज़ाकत
ख्वाब तमन्ना दास्तान और मेरी धड़कन सब कुछ
यह सब कुछ मिला कर जो मूरत बनी वो तुम थी
यह सब कुछ मिला कर जो मूरत बनी वो तुम थी
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Md Danish Ansari
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