Friday, 2 February 2018

हमसफ़र .....


करीब रात के बारह बज रहे होंगे गर्मी पड़ रही थी इसलिए सोचा की थोडा बाहर टहल आऊं , बाहर टहलते टहलते कानो में हैडफ़ोन लगाये अपनी धुन में बस चलता रहा इस बात की फ़िक्र किये बगेर की मैं अपने घर से काफी दूर निकल आया हूँ ! कुछ ही दूर पे दरिया है बहुत ही खुबसूरत जगह है और उसका नाम भी काफी खुबसूरत है नीलम , नीलम नाम है उस दरिया का गर्मी के इस रात में भी यह जगह कितना सुकून दे रहा था मुझे गर्म हवा जब नीलम के पानी से टकराती तो ठंडी हो कर चारो तरफ सुकून भरा माहोल बना देती है ! यूँही काफी देर तक मैं दरिया के किनारे रेत पर बैठा रहा और आसमान को निहारता रहा कभी आसमान के चाँद को देखता तो कभी नीलम के आँचल में उसके प्रतिबिम्ब को देखता बहता हुआ पानी जब पत्थरो से टकराता तो कल-कल की आवाज़ कानो को मंत्र मुग्ध कर देती और बस फिर वही लेट गया मैं , और कब आँख लगी पता ही नही चला अभी कुछ ही देर हुआ होगा मुझे सोये हुए की पानी में जोर की आवाज़ हुई झडाम और मेरी नींद टूट गयी उठ कर बैठा तो देखा एक कार पूल से बड़ी तेज़ी से गुजर रही है ! मैं इधर उधर देखा फिर समय देखा तो रात के दो से ज्यादा बज रहे थे मैं उठा और नीलम के पानी से मुँह धोने लगा मैं अपना चेहरा धो ही रहा था की कोई चीज मेरे हांथो से टकराई और मैं झट से अपना हाँथ पीछे करके पानी में देखने लगा ! मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी मैं बिलकुल सन्न हो गया एक वक़्त के लिए तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा शरीर ही नहीं है बिलकुल भारहीनता का अनुभव हुआ मुझे डर के मारे  मेरे पसीने छूटने लगे थे ! तभी मैंने आव देखा न ताओ कूद पड़ा पानी में जबकि मुझे तैरना भी नहीं आता था और फिर उसे बाहर निकाला वो एक लड़की की लाश थी तब तक के लिए जब तक मैंने उसे बचाने के लिए साँसे नहीं भरी उसकी फेफड़ो में मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था बस कुछ भी करके उसे बचा लाने की एक जूनून सी थी बार बार अपने फेफड़ो में हवा भरता और उसके मुँह में छोड़ता ! यह तरकीब हमे कॉलेज के पहले साल में अग्नि शामक वाले लोगो ने सिखाया था फर्क सिर्फ इतना था की उस वक़्त हमारे सामने एक पुतला था और इस वक़्त एक पूरा इंसानी जिस्म मैं बयां नहीं कर सकता उस वक़्त मेरी क्या हालत थी डर भय घबराहट और परेशानी के उस आलम में कुछ सूझ ही नहीं रहा था कभी वहाँ से भागने की सोचता तो कभी उसे उठा कर हॉस्पिटल ले जाने के बारे में ख्याल करता मैं इसी कशमकश में था की अचानक उसने मेरा कालर पकड़ ली और अपनी आँखे फाड़ के एक पल के लिए मुझे देखी और फिर से बेहोश हो गयी ! मैं बुरी तरह डर गया था उसके इस तरह के अचानक जाग जाने से मैंने आओ देखा न ताओ उसे फ़ौरन उठाया अपने गोद में और दौड़ लगा दिया पक्की सड़क पर पहोचने के बाद मुझे सूझ ही नहीं रहा था की मैं किधर जाऊं इसे लेकर हॉस्पिटल जाऊं या फिर घर हॉस्पिटल दूर था और मैं पैदल था उसे इतनी दूर तो नहीं ले जा सकता था तो मैं मुड़ा और घर की तरफ भागने लगा मेरे हांथो में दर्द होने लगा उसे उठाये उठाये उसका शरीर फिसल रहा था तो मैंने उसे अपने गंधे पे लादा और दौड़ने लगा आखिर कार मैं घर पहुँचा और जल्दी से दौड़ के घर के अन्दर जा कर गाड़ी की चाबी ले आया और उसे कार में डाल कर बड़ी तेज़ी से कार दौड़ाने लगा इतनी रफ़्तार तो मैंने कभी छुआ ही नहीं था पर आज किसी की ज़िन्दगी और मौत का सवाल था शायद इसी लिए मेरे हाँथ पैर इस तरह से काम कर रहे थे जैसे कोई मशीन मैं उसे हॉस्पिटल पहुचाया और उसे गाड़ी से निकल कर अन्दर ले गया पागलो की तरह डोक्टर डोक्टर चिल्लाता हुआ ! वार्ड बॉय मिला वो मुझे उसे स्ट्रेचर पर लेटाने के लिए कहा और उसे लेटाने के बाद वह भाग कर डोक्टर के पास गया डोक्टर आया उसे देखा और पूछने लगा क्या हुआ इसे, मुझे नहीं पता मुझे ये दरिया में मिली पानी में बहते हुए ! ये तो पुलिस केस है हमे पुलिस को बताना होगा ? देखिये पहले आप इसे बचाए मैं खुद पुलिस को कॉल कर देता हूँ ठीक है और मैं कही नहीं जा रहा हूँ ओके सो प्लीज आप इसे बचाओ कुछ भी करके , डोक्टर उसे ऑपरेशन थिएटर में लेकर गए मैंने पुलिस को कॉल करने के लिए अपने जेब में हाँथ डाला मेरा मोबाइल मुझे नहीं मिला धत तेरी अब ये कहा गिर गया मैंने हॉस्पिटल से ही पुलिस को कॉल करके उन्हें बुलाया !

आगे जारी है......

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Md Danish Ansari

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