Thursday, 15 February 2018

शाम - The SunShine


शाम मधहोश होकर रात की आगोश में  डूब रही है 
और हम तेरी याद में धीरे धीरे उतरते ही जा रहे है 
पंक्षी अपने बसेरो पर लौट रहे है धीरे धीरे अब 
हम और गहरे उतर रहे है तेरी यादों के साये में 
दूर कही कोई कलि भी अब खिल कर मुरझा रही 
दिल में बहुत से नए रंग लिए खुद को समेट रही 
तितलियों को देखो दिन भर फूलों पे मंडराते हुए 
अब पेड़ों की शाख पर आराम से सुस्ताने लगी है 
इन वृक्षों को देखो किस तरह शांत हो गए है 
जैसे सूरज ने इन्हे झुलसा दिया हो अपने रूप से 
ये शाम बड़ी खूबसूरत होती है कभी देखा है तुमने 
कभी फुरसत मिले तो आराम से बैठ कर देखना 
बड़ा सुकून मिलता है ये मेरे लिए दवा की तरह है 
जब तुम मुझे छोड़ कर गयी तो अकेला था मैं 
एक रोज़ शाम ने मेरा हाँथ पकड़ कर बैठा लिया मुझे 
उसने कहा कुछ मत देखो बस तुम मुझे देखो 
मैं उसे देखता रहा गौर से और फिर एक जादू हुआ 
मेरा हर गम कुछ वक़्त के लिए मुझसे जुदा हुआ 
मैं बैठे हुए सिर्फ ढलती हुई शाम को देखता रहा 
जैसे स्याह समंदर में कोई नील समंदर खो गया 
तुझे भी कभी वक़्त मिले तो शाम से मिलना 
वह तुझे भी वही सुकून देगा जो सबको दिया है 
शाम मधहोश होकर रात की आगोश में  डूब रही है 
और हम तेरी याद में धीरे धीरे उतरते ही जा रहे है 

*****

Md Danish Ansari

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