शाम मधहोश होकर रात की आगोश में डूब रही है
और हम तेरी याद में धीरे धीरे उतरते ही जा रहे है
पंक्षी अपने बसेरो पर लौट रहे है धीरे धीरे अब
हम और गहरे उतर रहे है तेरी यादों के साये में
दूर कही कोई कलि भी अब खिल कर मुरझा रही
दिल में बहुत से नए रंग लिए खुद को समेट रही
तितलियों को देखो दिन भर फूलों पे मंडराते हुए
अब पेड़ों की शाख पर आराम से सुस्ताने लगी है
इन वृक्षों को देखो किस तरह शांत हो गए है
जैसे सूरज ने इन्हे झुलसा दिया हो अपने रूप से
ये शाम बड़ी खूबसूरत होती है कभी देखा है तुमने
कभी फुरसत मिले तो आराम से बैठ कर देखना
बड़ा सुकून मिलता है ये मेरे लिए दवा की तरह है
जब तुम मुझे छोड़ कर गयी तो अकेला था मैं
एक रोज़ शाम ने मेरा हाँथ पकड़ कर बैठा लिया मुझे
उसने कहा कुछ मत देखो बस तुम मुझे देखो
मैं उसे देखता रहा गौर से और फिर एक जादू हुआ
मेरा हर गम कुछ वक़्त के लिए मुझसे जुदा हुआ
मैं बैठे हुए सिर्फ ढलती हुई शाम को देखता रहा
जैसे स्याह समंदर में कोई नील समंदर खो गया
तुझे भी कभी वक़्त मिले तो शाम से मिलना
वह तुझे भी वही सुकून देगा जो सबको दिया है
शाम मधहोश होकर रात की आगोश में डूब रही है
और हम तेरी याद में धीरे धीरे उतरते ही जा रहे है
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Md Danish Ansari
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