Wednesday, 24 January 2018

जमुहीरियत भाग-1


क्यों जुल्म करे तू जुल्मी तेरा हक़ मुझपे क्या है 
क्यों सताए तू मुझको तेरा हक़ मुझपे क्या है 
मैंने चुना था तुझको अपनी रहनुमाई के लिए 
तू मुझको तड़पाये बता तेरा हक़ मुझपे क्या है 
ये मुल्क हमारा है ये जमुहीरियत हमारी है 
तू इस जमुहीरियत की बस एक छोटी सी इकाई है 
क्यों जुल्म करे तू जुल्मी तेरा हक़ मुझपे क्या है 
क्यों सताए तू मुझको तेरा हक़ मुझपे क्या है 
मैं ज़मीं का सीना चीर उसपे फसल उगाता हूँ 
अपने हाँथों पे छाले लिए तेरा भार उठाता हूँ 
फिर क्यों मेरी फसल का मुझको मिलता नही दाम 
है खाली मेरे हाँथ, नही मिलता मुझको कोई काम 
ज़मी बेचीं घर बेचा बेचा सब कौड़ियों के दाम 
अपने हिस्से का सारा सुख भी किया तेरे नाम 
शिक्षा ली दीक्षा ली दिया अपना मत और सम्मान 
मिला नही रोजगार मुझको कैसा है तेरा काम 
सवाल करूँ तो तू मुझपे लाठी क्यों चलवा दे 
आवाज करूँ तो तू मुझपे गोली क्यों चलवा दे
क्यों जुल्म करे तू जुल्मी तेरा हक़ मुझपे क्या है 
क्यों सताए तू मुझको तेरा हक़ मुझपे क्या है

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Md Danish Ansari

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