जो भी उससे मिलता है वो उसी का हो जाता है
कुछ इस तरह उसने अपना किरदार बनाया है
लोग सालो साल तक याद रखते है उसे
इस क़दर उसने अपनी यादों के निशान डाला है
हर कोई चाहता है एक उसी से बाते करना
इस तरह उसने लफ्ज़ो का जादू बिखेर डाला है
महफ़िल में जब वो आये तो रौनक हो जाती है
इस तरह का अपने चेहरे पे नूर ले के आयी है
न हो वो मेरे करीब तो भी कोई गम नही मुझे
हो अगर नज़रो से दूर तो फिर ग़म ही ग़म है
कभी करीब होती है तो कभी दूर होती है
इसी कश्मकश में ज़िन्दगी मजबूर होती है
जो न चाहे उसकी किसी भी अदा पे मरना
अक्सर वही उसकी हर एक अदा पे मारा जाता है
सवाल करते है करने वाले अक्सर ये हमसे
अंसारी तुम्हे भी कभी किसी से इश्क़ हुआ है
अब उन्हें कैसे बताये क्या हाले दिल है हमारा
हम तो उनके पैरों की ख़ाक भी सीने से लगाते है
*****
Md Danish Ansari
No comments:
Post a Comment