Sunday, 21 January 2018

इज़ाजत .....


इस दिल की आरज़ू है के तुझे छू लूँ में सनम
हो अगर तेरी इज़ाजत तो तुझे बाँहों में भर लूँ
अभी तो बड़ी दूर तलक मुझे सफर करना है
हो अगर तेरी इज़ाजत तो कुछ दूर तेरे संग चलूँ
मेरे पास तेरी कोई तस्वीर नही है जाना
इन आँखों से तेरी एक तस्वीर दिल में बना लूँ
तुम्हारी ये ख़ामोशी मुझे बैचेन करती है
कुछ तो कहो डाँट ही दो यूँ चुप न रहो तुम
तेरे दिल की हर बात तेरे आँखों में उमड़ती है 
कह दो मुझसे हर बात के ये नैना तरसती है 
जी लो मेरे साथ इस हर एक पल को जाना 
फिर न जाने हमारी कब मुलाकात हो न हो 
फिर ऐसा नही है के मैं तुमसे मुँह फेर लूँगा 
इस ज़िन्दगी का क्या भरोशा कल हो न हो 

*****

Md Danish Ansari

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