दिल की है बाते दिल ही जाने
माने न माने बात कुछ भी न माने
तोड़ देता है हर दीवार उसके लिए
ये दिल बहुत बड़ा बाग़ी हो गया
उसे देखता है तो मुस्कुराता है
अंदर ही अंदर मुझे गुदगुदाता है
ख्याल खुद का रखे न रखे मगर
उसके लिए दिन रात एक करता है
पूछ लिया एक दिन मैंने उससे
ए दिल बता तुझपे हक़ किसका है
वो मुस्कुरा कर कह देता है जब
तू उसी का है तो मैं किसका हूँ
*****
Md Danish Ansari
No comments:
Post a Comment