Wednesday, 31 January 2018

माँ ......

January 31, 2018 0 Comments

माँ कितना खुबसूरत शब्द है न पर इससे भी खुबसूरत है वो जिसे कहते है माँ 
शर्द रातों में जब कभी कम्बल मेरे शरीर से हट जाता है माँ उसे सही करती है 
रातों को उठ उठ कर बार बार मुझे देखने आती है उसका लाल सोया की नहीं
उसे कोई परेशानी तो नही ये जानने के लिए वो बैचेन रहती है ऐसी होती है माँ 
कई बार कहा है माँ को जब रोटियाँ घट जाती है तो मुझे कम दिया कर खुद खा लिया कर
मगर हर बार ये कह कर बात टाल जाती है के मुझे भूक नहीं है शाम को नास्ता कर लिया 
पिता जी जब कभी माँ पर गुस्सा करते है तो बहुत गुस्सा आता है 
मगर जब कभी मैं माँ की को कोई बात चिड के कहता हूँ तो पिता जी सामने आते है 
इससे ये तो पता चलता है की माँ और बाबा का रिस्ता बहुत गहरा है 
उसकी ममता का समुन्दर इतना गहरा है की कोई समझ ही नहीं पाता है 
बहुत सताता हूँ उसे कभी किसी चीज को लेकर तो कभी किसी बार को लेकर 
अक्सर सोचता हूँ मैं क्या औरत का कोई और रूप भी ऐसा हो सकता है 
इससे खुबसूरत जो बेपनाह मोहब्बत करे बदले में कुछ भी न चाहे बस प्यार करे 
शायद नहीं कभी नहीं माँ तुझे इतना सताता हूँ तेरी बात नहीं मानता हूँ 
फिर भी तू मुझे इतना प्रेम करती है हमेशा मेरा ख्याल करती है हमेशा ध्यान देती है 
हर छोटी से छोटी बात याद रखती है मेरी जरूरतों का बदले में कुछ नहीं मांगती है 
कभी बाहर जाना हो जाये तो बार बार सामानों के बारे में याद दिलाती रहती है 
ये रखा की नहीं वो रखा की नहीं अरे देख तेरी बनियान यहाँ राखी है अरे ये ब्रश 
ओ माँ तू सब कुछ करती है मेरे लिए और मैं कुछ भी नहीं करता तेरे लिए 
पगली हँस के कहती है तू खुश है न बस वही बहुत है और कुछ नहीं चाहिए मुझे 
माँ तुझपे चाहे मैं जितना लिखूं तमाम समुन्दर को स्याही और तमाम वृक्ष को कागज़ बना 
के चाहे तो ता उम्र लिखूं मगर सच कहूँ तो तेरी ममता का मैं कभी "म" भी नहीं लिख पाउँगा 
माँ अपने इस गुनाहगार बेटे को माफ़ कर देना तेरे दूध का क़र्ज़ नहीं चूका सकता 
माँ तू अपने दुध का क़र्ज़ मुझपे माफ़ कर देना तेरे दुध का क़र्ज़ हमसे न अदा होगा माँ 
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Md Danish Ansari

Tuesday, 30 January 2018

ये वो ख्वाब है जो कभी पूरा नही सकता

January 30, 2018 0 Comments

चलो आ भी जाओ अब मुझे इतना भी न तडपाओ 
कब से इंतज़ार कर रहा हूँ एक तेरे हाँ की 
डोली सजा रखी है मैंने एक तेरे नाम की 
दोस्त मरे जा रहे है नागिन डांस करने के लिए 
कोई हांथों में रुमाल लिए सपेरा बनने के लिए 
चूड़ी कंगन चुनरी पायल सब कुछ रख लिया माँ ने 
सब बेताब हुए जा रहे बस एक तेरे हाँ के इंतज़ार में 
चलो भी अब इतना क्या सरमाना कह भी दो 
क्या ज़िन्दगी भर के लिए हमसफ़र बनोगी तुम मेरे लिए 
देखो कब से बैठा हूँ अपने घुटनों पे एक तेरे हाँ के लिए 
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ये वो ख्वाब है जो कभी पूरा नही सकता 
मगर इस दिल के बेहद करीब हुआ 
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Md Danish Ansari

Monday, 29 January 2018

आँखों में नींद है .....

January 29, 2018 0 Comments

आँखों में नींद है मगर सोना नही चाहते 
उसकी यादों में फिर हम खोना नही चाहते 
बहुत तकलीफ होती है मुझे हर सुबह 
जो उसके ख्वाब देखे और उसको करीब नही पाते 
ये भी तकलीफ है मुझे दूर उससे रह नही सकते 
बाते उनकी करना चाहें मगर करना नही चाहते 
अधूरी लकीरे ले कर आया हूँ इस दुनिया में
काश ज़िन्दगी की लकीरे भी मिटा पाते 
ये जख्म दीखता नही पर गहरा है 
ये उभरता नही मगर अब भी खून निकलता है 
सवाल करते है करने वाले क्यों गमगीन हो तुम 
ये हंसी ख़ुशी वाला चेहरा क्यों उदास बैठा है 
सच कह दूँ अगर तो तेरी बदनामी ही बदनामी है 
मगर ये भी काम दिल को कहा जायज ठहरा है 
इतना आसन नही होता अपने जख्म छुपाना 
रोज़ अपने आसुओं से जख्म को धोना पड़ता है 
माँ समझती है हाले दिल मेरा वो बस दुआ करती है 
रब की बारगाह में भी दुआ जल्दी कहा कबूल होती है 
तेरी ही गलती थी यह मानता है दिल मगर 
तू मासूम है पाक है इस बात से कहाँ मुकरता है 
सवाल खड़े होते है एक से एक महफ़िल में मुझ पर 
जवाब है मेरे पास लेकिन तुझे रुसवा करने से डरता है 
आँखों में है नींद मगर हम सोना नही चाहते 
दे कोई ऐसी दवा सोये तो उसके ख्वाब न आयें 

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Md Danish Ansari

Saturday, 27 January 2018

बोझल विचार ..........

January 27, 2018 0 Comments

बहुत दिन हो गए मुझे अच्छी नींद लिए रात भर जगता रहता हूँ कभी इस करवट कभी उस करवट कभी मोबाइल में आँखें गड़ा देता हूँ तो कभी कानो में हेड फ़ोन लगा कर गीतों से दिल बहलाने की कोशिश करता हूँ , मगर सच यही है न तो दिल बहलता है और न ही नींद आती है विज्ञान की भाषा में हम इसे अनिद्रा कहेंगे जिसमे व्यक्ति को नींद नही आती कुछ कारणों की वजह से 
वजह तो है पर इस वजह को कैसे भला आप और मैं अनिद्रा से जोड़ सकते है भावनाओ के इस उथल पुथल समंदर में भला विज्ञान की नैया कभी तैरी भी है विज्ञान सदियों से मानव मस्तिस्क पर शोध कर रहा है की हमारी भावनाये आखिर जन्म कैसे लेती है ! मैं विज्ञान के खिलाफ नही हूँ मुझे विज्ञान पर उतना ही भरोशा है जितना खुद पर मगर कभी कभी विज्ञान ही हमे भ्रम में ड़ाल कर माया जाल की रचना कर देता है हम समझ नही पाते की आखिर आज जो कुछ भी हमारे साथ हो रहा है आखिर क्यों हो रहा है क्या हमने कोई गलती की है अपने बीते हुए कल में जिसकी सजा हम आज भुगत रहे है या फिर हमने पूर्व नियोजित घटनाओं के ताल मेल को बिगाड़ दिया जिससे हमे यह सारी परेशानियाँ झेलनी पड़ रही है ! अगर हम यह मान ले की जो कुछ भी हो रहा है उसके असली ज़िम्मेदार सिर्फ हम है तो आप इसे कैसे देखते है एक खुशहाल ज़िन्दगी जिसमे पैसो की कोई कमी नही है हर ऐशो आराम की चीज आपके पास मौजूद है जो चाहते है वह आपको मिल रहा है तब आप इस तरह की ज़िन्दगी को क्या अपनी पुरानी मान्यताओं से जोड़ कर देखेंगे जिसमे दुःख ही दुःख थे !

क्या आप इस बात पर यकीं करेंगे पुरे विश्वाश के साथ की आपको जो भी मिला वह सिर्फ ईश्वर के द्वारा दिया गया है या फिर यह मानेंगे की यह सब कुछ आपके अपनी मेहनत का परिणाम है बहुत से लोग इसे ईश्वर का दिया हुआ अच्छा परिणाम कह कर उसका सुख भोगने में व्यस्त हो जायेंगे और बहुत से यह विचार करेंगे की यह उनकी मेहनत का परिणाम है उन्होंने मेहनत की इसी लिए उसे यह सब कुछ मिला मगर, अगर सही तरह से देखा जाये तो इन दोनों ही विचारों पे सवाल उठते है गर यह हमारी ज़िन्दगी का हर फैसला अगर ईश्वर करता है फिर चाहे वह सुख जो या दुःख तो फिर हम इसे ईश्वर की इक्षा मानकर उसे स्वीकार क्यों नही कर लेते है क्योकि ईश्वर तो सबके लिए आसानी ही चाहता है और अगर हम यह मान कर चले की हमने जो हासिल किया वह अपने दम पर हासिल किया तो फिर जब हम दुःख के भागीदारी बनते है तो फिर ईश्वर को क्यों याद किया  इस दुःख और सुख के जिम्मेदार तो आप खुद है न तो फिर आप इसे नियंत्रित क्यों नहीं कर सकते वास्तिविकता में मनुष्य हमेशा से स्वार्थी रहा है जब तक उसके साथ अच्छा हो रहा है तो वह उसे अपनी मेहनत का परिणाम  मानता है और जब उसके साथ बुरा होता है तो उसे ईश्वर पे लाद कर अपना जी छुड़ा लेना चाहता है !

वह ईश्वर भी जब हमे देखता होगा तो यह कह उठता होगा की नादानो की नादानियाँ भला कब जाएँगी !

अरे हाँ मैं तो भूल ही गया मुझे तो नींद सता रही है अजीब बात है न मैं इतनी देर से स्क्रीन पे नज़रे गड़ाए पोस्ट लिख रहा हूँ और मेरी पलके एक बार भी नींद से नही झपकी जब की दूसरे काम करते जाते ही नींद चारो और से घेर लेती है खैर मुझे लिखना अच्छा लगता है शायद यही वजह होगी ,,,,, तो दोस्तों अगली बार जब आप यह कहे की इसमें ईश्वर की मर्जी थी या ईश्वर ही ऐसा चाहता था तो कुछ देर खुद को रोक कर विचार करे की क्या वाकई ईश्वर ऐसा चाहता था या सिर्फ आपका यह भ्रम मात्र है और जब आप यह कह उठे की यह सिर्फ और सिर्फ आपकी कड़ी मेहनत का परिणाम है तो फिर से इसपे जरूर विचार करे !

लेकिन एक बात आपको अच्छी तरह से यह जान लेना चाहिए की आप ज़िन्दगी में जो भी हासिल करते है चाहे अच्छा या बुरा उसके जिम्मेदार आप कभी भी पूरी तरह से खुद नही हो सकते और न ही ईश्वर और न कोई और , हमारे कार्यों का जो भी परिणाम होता है उस परिणाम में संपूर्ण विश्व भागीदार होता है अगर यकीं नही तो फिर मेरे विचार पर विचार कीजिये !

Friday, 26 January 2018

फ़ितरत.....

January 26, 2018 0 Comments

फूलों की है फ़ितरत महकना सो वो महका करते है
मेरी फ़ितरत में है मोहब्बत तो हम मोहब्बत करते है 
तुम्हारी नज़रो की फ़ितरत भी कमाल की लगती है 
सबको घायल भी करती है और मरहम भी करती है 
क्या तेरी फ़ितरत में ही शामिल है ये नटखटपन सनम 
जो मोहब्बत भी करती है और इनकार भी करती है 
अक्सर सामने से आकर तुम मेरा दिल धड़का जाती हो 
और इज़हार ए मोहब्बत करूँ तो अक्सर मुकर जाती हो 
क्या अक्सर मुकर जाना भी है तेरी फ़ितरत में शामिल 
कभी मुझे छू कर ये एहसास दिलाती हो तुम मेरी हो 
तो कभी कभी गैरो सा सलूक मुझसे क्यों कर जाती हो 
चाहे कुछ भी हो तुम्हारी फ़ितरत में शामिल सनम 
मुझे तो ये पता है के तुम बस एक मेरी सिर्फ मेरी हो 
तू वो फूल नही जो हर भौरे के लिए महक जाया करे 
न मैं वो भौरा हूँ जो हर फूल पे जा कर मंडराया करे 

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Md Danish Ansari

Thursday, 25 January 2018

एहसास.....

January 25, 2018 0 Comments

आज वो मुझसे मिलकर मेरे हालात पे खूब रोई 
हम यही सोचते रहे क्या ये वही है जो साथ छोड़ गयी 
मुझसे लग कर वो कुछ इस तरह अश्क़ बार हुई 
ये दिल न चाह कर भी मद्धम से धड़कने लगा क्यूँ 
बहुत मोहब्बत करते थे उनसे आज भी करते है 
मगर अब इस सीने में दिल नही बस उसकी चंद साँसे है 
मेरे चेहरे पे खिलखिलाती हँसी का वहीं पर्दाफ़ाश हो गया 
जब उसने कहा सालो बीत गए है अब भी मर्ज़ वही है 
मुझमे एहसास तो है मगर उन्हें दफ़्न कर रखा है
इन एहसासों ने ही मुझको उससे शै और मात दी थी


तन्हाई में जब कभी उसकी याद आ जाती है न 
तो फुट फुट रोता हूँ जबां पे एक आवाज़ नही होती 
अंदर से चीखें मार मार कर रो रहा होता हूँ 
ये दर्द ये तकलीफ ये मायूसी किसके बदौलत है 
ये एहसास ही है जो मुझे इतना दर्द दे जाते है 
इन एहसासों का दफ़्न हो जाना ही बेहतर था 
तुम क्यों मुझसे मिली और क्यों ये एहसास जागे 
तुमसे मिलकर जितनी ख़ुशी हुई मुझे उस वक़्त
उससे कहीं ज्यादा तकलीफ तुम्हारे जाने के बाद हुई 

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Md Danish Ansari

वजूद ....

January 25, 2018 0 Comments

लफ्ज़ लफ्ज़ हर्फ़ हर्फ़ सब टूट टूट कर बिखर रही 
नाराज़गी भरी आवाज़ से हर साज़ टूट कर बिखर रही  
रात रात नही दिन दिन नही और ज़िन्दगी में चैन नही 
जो हर बात टूट कर बिखर गयी वो आवाज़ तुम नही
***
अब्र अब्र बस धुआँ धुआँ तेरी याद में कुछ इस तरह हुआ
के अब मैं अपने ही वजूद से पूरी तरह से ग़ाफ़िल हुआ 
हर गली हर शहर में तेरी तलाश को एक मेरी तलाश है
शहर शहर गाओं गाओं की ख़ाक तुमने छान ली 
मेरे क़मर तूने बस अपने दिल में मेरी तलाश न की 
कहाँ कहाँ तू ढूँढ रही है मुझे पागलो की तरह 
हर घडी हर वक़्त मैं तो तेरे वजूद में रच बस रहा

****
कठिन शब्द :- "अब्र - बादल" , "लफ्ज़ - शब्द" , "हर्फ़ - अक्षर" , "क़मर - चाँद" , "ग़ाफ़िल - अनजान"

Md Danish Ansari

मेरा दिल....

January 25, 2018 0 Comments

कुछ तो कहे ये मेरा दिल खामोश क्यूँ है बता 
अच्छा भला तू था यहाँ ये दबी जबान क्यूँ है बता
ये दबी दबी सी तेरी हंसी क्यूँ है भला तू बता 
कुछ तो कहे क्यूँ चुप रहे किसने तुझे छू लिया 
ए दिल तेरी ये नादानियाँ क्या राज़ है तू बता 
कुछ तो कहे क्यूँ चुप रहे मुझसे छुपता क्यूँ भला 
उसे देख कर कुछ तो हुआ क्या है असर वो बता
कुछ तो कहे ये मेरा दिल खामोश क्यूँ है बता 
आइने में देख के खुद को शरमाता क्यूँ है भला 
किसका तुझे अक्स दिख गया मुझको तू उससे मिला 
जाने कहा उड़ता फिरा अब तो तू मेरे करीब आ 
कुछ तो बता कुछ तो सुना क्या हाल है मुझको बता 
कुछ तो कहे ये मेरा दिल खामोश क्यूँ है बता 
अच्छा भला तू था यहाँ ये दबी जबान क्यूँ है बता 

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Md Danish Ansari

जमुहीरियत भाग - 2 शोषण

January 25, 2018 0 Comments
Suprime Court The Last Hope For Justice

बेरोजगार हूँ रोजगार दो मुझे घंटी और अज़ानों के बीच न बाँटो मुझे 
अनपढ़ हूँ शिक्षा दो मुझे अपनी गन्दी राजनीति से न छलो मुझे 
शिक्षित हूँ फिर भी बेहाल हूँ तुम्हारे बच्चो का भी भार ढोया करता हूँ 
लड़ कर भीड़ कर हार कर जो ली हमने शिक्षा बता उसका मैं क्या करूँ 
तुम कहते हो तुम भ्रष्ट नही तुम कहते हो तुम्हारे दामन में दाग नही 
तो बताओ ये ऊँचे महल ये शानदार सवारी कहा से आयी दौलत सारी 
मेरी ईमानदारी से मुझे दो वक़्त की रोटी भी नसीब नही और 
तेरी कैसी ईमानदारी है की दौलत की तीनो पहर बरसात हो रही 
तुम्हारे बच्चो की शादी में करोड़ो खर्च हो जाते है तुम्हे कोई फर्क नही
मेरे बच्चो की शादी में एक जोड़ी कपडे भी नही और मैं निढ़ाल वही
तुम्हारे बच्चे शानदार महलो में शिक्षा लेने जाते है, और वही 
मेरे बच्चो के सर के ऊपर एक छत भी नही, ऐसी गरीबी सबको मिले 
मेरी बच्ची भात भात कह कर मर गयी तुम्हारे बच्चे छप्पन भोग खाते है 
है विधाता ऐसी ईमानदारी का इनाम यह है तो ऐसी ईमानदारी सबको दे 
मुझे भी दे ज़मीं और आसमान को भी दे चिंद और परिन्द को भी दे 
जो कहते है भ्रष्टाचार मिटायेंगे वो खुद भ्रष्ट है वो बस हमे मिटायेंगे 
यह ऐसा है जैसे शेर खुद बकरी से आ कर कहे मैं शाकाहारी हूँ 
मेरी मौत पर भी राजनीति करते है ये मगरमच्छ के आँसू बहाते है ये 
तुम्हारे आँसूं तुम्हारे मुआवजे यह सब कुछ तुम्हारा ढ़कोशला है 
असल में तुम्हे तो बस गन्दी राजनीति कर मेरा वोट बटोरना है 
समझ में नही आता जो चौथा स्तम्भ था उसमे मेरी आवाज़ होनी थी 
मगर हाय अफ़सोस वो सरकार से बिक कर उसकी बोलती बोलता है 
दो तरह की राजनीति होती है दुनिया में एक अच्छी और एक गन्दी 
जब अच्छी हो तो दूध का दरिया बहता है और जब गन्दी हो तो लहू बहता है 
संस्थाओं ने खुद अपने आप को सरकार की झोली में ड़ाल दिया और 
पत्रकारिता ने अपना ईमान बेच कर सरकारी कोठे से राग अलाप रही है 
जिस पत्रकारिता की कलम की वजह से पूरी सरकार हिल जाती थी 
आज उसकी नीचे दर्जे की पत्रकारिता से गली का गुंडा भी नही हिलता 
सरकार का गुणगान तो ऐसे गा-गा कर ,कर रही है जैसे सब भला है 
रोजगार स्वास्थ सुविधा स्कूल कॉलेज सड़क बिजली पानी
यह सब कुछ जनता के घर घर तक जा कर मिल रहा है 
तुम्हारी पत्रकारिता से अच्छी तो वैश्या है जिसका जिस्म बिकता है ईमान ज़िंदा है 
मगर जहा अँधेरा वहीं उजाला है कुछ पत्रकारों में अभी ईमान ज़िंदा है 

***** 

Md Danish Ansari

Wednesday, 24 January 2018

मुबारक हो तुम्हे नया साल

January 24, 2018 0 Comments

पल पल बीतने के साथ मेरी आरज़ू मेरे ख्वाब मेरी तमन्ना इस दिल की धड़कन बढाती है 
नए साल में भी तुम रहो मेरे साथ साथ और पास यही दुआ इस दिल से बार बार आती है 

कुछ नए रंग तुझपे चढ़ेंगे कुछ पुराने उतर जायेंगे कुछ धुल जायेंगे कुछ रंग जायेंगे 
न फीका पड़े हमारी मोहब्बत का रंग कुछ इस तरह हम तुम्हारा साथ निभा जायेंगे 

बहुत से लोग तुम्हे बधाई देंगे बहुत से लोग देंगे तुम्हे कुछ नए उपहार 
मगर हमने तो तुम्हे दिल दिया है फिर से मुबारक हो तुम्हे नया साल 

क्या करती हो क्या खाती हो हर बार कुछ नया सा है तुझमे 
ये नए साल की चमक है या चमक रहा है तुझसे नया साल 

बेवजह की मुबारक बाद देना अच्छा नही लगता हमे मगर 
तुम्हे मुबारक बाद देना सच में यूँ बेवजह कभी था ही नही

बड़ो की दुआयें हो साथ साथ माँ बाप की मोहब्बत हो हर पल आस पास 
तुम कुछ कहो न कहो लोग समझे तुम्हारे दिल की बात मुबारक हो तुम्हे नया साल 

*****

Md Danish Ansari

ख्वाब .....

January 24, 2018 0 Comments
कुछ ख्वाब इन आँखों में अधूरे रह गए कुछ ख्वाब इन हाँथों से गिर करटूट गए 
आप आओ  आओ फर्क नही पड़ता हमे ये साँस कब का इस जिस्म कोछोड़ गए 

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Md Danish Ansari

मेरी डायरी - (1) शुभकामना ...

January 24, 2018 0 Comments
रात के ११:३५ मिनट हो रहे है और मैं अभी तक सोया नही हूँ मुझे नींद तो बहुत आ रही है पर मैं सोना नही चाहता असल में मेरे दिमाग में एक ही वक़्त में बहुत सारी चीजे चल रही है जैसे की कल ऑफिस जाऊंगा तो क्या होगा क्या फिर से वही कंप्यूटर की स्क्रीन में नज़र गडाए ये ज़िन्दगी बीत जाएगी या फिर उससे भी ज्यादा कुछ होगा मेरे लिए ! रात के बारह बजते ही नए साल का पहला दिन गुजर जायेगा आप सबने भी बहुत जश्न मनाया होगा ! कोई फुल पी के टल्ली हुआ होगा तो कोई इतना पिया होगा की बस सब वापस निकाल रहा होगा कुछ ऐसे भी होंगे की बेचारे ये सोच रहे होंगे की कहा साला इसके साथ फंस गया जब पचा नहीं सकता तो इतना पीया ही क्यों बहुतो ने कल रात को ये कसम खायी होगी की नए साल से पीना बंद और बहुतो ने तो पहली बार शराब को हाँथ लगाया होगा कुछ सिगरेट छोड़ने की कसमे खा रहे होंगे तो कुछ पहली बार सिगरेट पी रहे होंगे ! कोई चुपके से पिया होगा तो कोई खुलेआम पिया होगा किसी ने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ खूब मौज मस्ती की होगी तो किसी का ब्रेकअप हुआ होगा किसी ने किसी का सर फोड़ा होगा तो किसी ने किसी का दिल जोड़ा होगा ! तो बहुत से ऐसे भी होंगे जो बिच सड़क पे हैप्पी न्यू इयर लिख रहे होंगे आने जाने वाले मुसाफिरों को अपनी शुभकामनाए देने के लिए कुछ ने तो अपने पड़ोसियों की दीवारे भी लीप दिया होगा बेचारा पडोसी उठा ख़ुशी ख़ुशी आज नया साल है जब देखा दीवाल की हालत तो बस फुट पड़ा होगा और बेचारे मोहल्ले वाले ये कह कर अपना माथा पकड़ लेंगे की यार नए साल के दिन ये क्यूँ चिल्ला रहा है बहुतो ने तो इतना इंजॉय किया होगा की अभी तक बिस्तर से उठने की ताक़त ही नही आई होगी ! खैर इस बिच कोई मंदिर गया होगा कोई मस्जिद कोई गुरुद्वारा तो कोई चर्च कोई नास्तिक बन रहा होगा तो कोई आस्तिक कोई किसी से साथ जीने और मरने की कसमे खाया होगा तो कोई किसी का साथ छोड़ गया होगा सब कुछ हो रहा है इसी बिच हमारी ज़िन्दगी बस चलती जा रही है वक़्त का पहिया घूमते जा रहा है समय को दो तरीके से देखा जाता है कुछ लोग इसे आगे की तरफ देखते है तो वही कुछ इसे पीछे की तरफ देखते है यानि सब कुछ बदल रहा है कुछ भी ऐसा नहीं है जो थमा हुआ हो कोई रो रहा है कोई चिल्ला रहा है कोई हँस रहा है कोई गा रहा है बस इसी तरह सब चलते जा रहे है अपने अपने सफ़र में बहुत सी जिंदगियों ने इस दुनिया को अलविदा कह कर आगे की सफ़र पे बढ़ गए है तो कुछ इस दुनिया में जन्म लेकर यहाँ का सफ़र अब शुरू कर रहे होंगे जो माँ और पिता बने है उन्हें ढेर सारी शुभकामनाए !
इन सभी चीजो से एक बात तो समझ आ रही है की ज़िन्दगी तभी तक कायम है जब तक समय चल रहा है जब तक समय का वजूद है जिस दिन समय थम गया उस दिन बस फुफ्फ्फ़ सब कुछ होकर भी कुछ नही होगा बस धुआं धुआं तो दोस्तों आप सबको नए साल की बहुत बहुत शुभकामनाए आप खुश रहे आबाद रहे प्यार मोहब्बत से रहे सेहतमंद रहे और अपने अपने वादों पे कायम रहे और दीन दुनी रात चौगुनी तरक्की करते जाये और अपने आस पास सफाई रखे और हा गरीबो पर थोडा रहमो करम भी करे ताकि दुआएं मिलती रहे आप सब की उम्र लम्बी हो और सेहतमंद हो ! आमीन !

इसी के साथ अलविदा कल ज़िन्दगी रही तो फिर मिलेंगे !

अल्लाह हाफिज़ शुभ रात्रि गुड नाईट

Md Danish Ansari

छेर छेरा तिहार ...

January 24, 2018 0 Comments
आगे रे आगे रे संगी देखो छेर छेरा तिहार 
फसल के कटाई होंगे दाई ये ख़ुशी के तिहार  
चलो रे चलो रे संगी जाबो हमन घरे घर मा
छेर छेरा कोठी के धान ला हेरत हेरा गाबो संग मा  
आगे रे आगे रे संगी देखो छेर छेरा तिहार 
नाचो गाओ धूम मचाओ ख़ुशी मनाओ यार 
आओ संगी हाँथ बढ़ाओ भरो कोरा कोरा धान 
हमर छत्तीसगढ़ के दाई के अचरा हा भरगे यार 
आगे रे आगे रे संगी देखो छेर छेरा तिहार 
नाचो गाओ धूम मचाओ ख़ुशी मनाओ यार 

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Md Danish Ansari

अतीत वर्त्तमान और भविष्य

January 24, 2018 0 Comments
सबसे पहले तो हमे यह जानना चाहिए की दुनिया किसे कहे क्या भौगोलिक रूप से दिख रही वस्तुओं इमारतों को ही हम दुनिया कह सकते है या फिर लोगो के व्यवहार और उनकी भावनाओं को भी हम दुनिया का हिस्सा मान सकते है ? मेरे विचार से हमारे वर्त्तमान में हर वह चीज जो भौतिक और अभौतिक रूप से विद्यमान है वह सब कुछ हमारी दुनिया का हिस्सा है ! अब आप यह कहेंगे की अगर सिर्फ वर्त्तमान ही हमारे दुनिया का हिस्सा है तो हमारा अतीत और भविष्य क्या है ?
आपका सवाल सही है लेकिन आपको यह याद रखना चाहिए की अतीत हमारा बिता हुआ कल है अतीत में की गयी किसी भी गलती या अच्छे बुरे व्यक्तिगत और अवक्तिगत किसी भी मामले को लेकर हम उसे अपने वर्त्तमान से नही जोड़ सकते हम उसे याद रख सकते है या फिर अपनी की गयी गलतियों से सिख कर अपना आज को बेहतर बना सकते है मगर उसका बदला अपने वर्त्तमान में नही ले सकते फिर चाहे वह अच्छा हो या फिर बुरा हो !
जैसा की आज कल आप देख ही सकते है की इतिहास को लेकर कितना ज्यादा राजनैतिक फायदा लिया जा रहा है और इसी बिच झूठा इतिहास भी रचा जा रहा है जैसे नेहरू जी के पिता मुस्लिम थे या नेहरू और पटेल जी में बिलकुल नहीं बनती थी वगेरा वगेरा जबकि यह सब खोखला झूठ है इसी तरह का और भी बहुत सारे झूट फैलाये जाते है इतिहास को लेकर लेकिन एक समझदार और जागरूक व्यक्ति क्या करेगा क्या वह इतिहास को लेकर अपने आज पर हावी हो जायेगा या फिर अपने ज्ञान कोष को सही करके इतिहास को इतिहास में रहने देगा और उस नेता की बात को नज़रअंदाज़ कर देगा तब तक के लिए जब तक वह उसके मुद्दे पर बात नहीं करता !
आपको यह भी याद रखना चाहिए की आप अतीत में नही जी सकते अगर जीने की कोशिश करेंगे या फिर अतीत का बदला अगर वर्तमान में लेंगे तो आपका वर्त्तमान ख़त्म हो जायेगा और उसके साथ ही आप भी !
दुनिया में बहुत से लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते है यह अच्छी तरह जानते है की भविष्य उन्हें नही पता कौन जाने मैं इस पोस्ट को लिखते लिखते ही मर जाओं और यह पोस्ट आपके सामने ही नहीं आये लेकिन क्या इसका मतलब यह होना चाहिए की मैं अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहूँ ! हम जिस भविष्य के लिए इतना रोते रहते है परेशान रहते है वह पूरा का पूरा भविष्य सिर्फ और सिर्फ हमारे आज पर टिका हुआ है तो फिर उस भविष्य के लिए इतना रोना रक्यूँ ? 

इसकी सबसे बड़ी वजह है हमारा डर ज्यादातर लोग ऐसे ही होते है  हमेशा खुद को कम्फर्ट जोन में देखना चाहते है वह कभी भी रिस्क नही लेना चाहते ! यहाँ रिस्क लेने से मतलब यह नही है की आप अपने जान की बाजी लगाते फिरे यहाँ रिस्क लेने से मतलब है व्यवपार में आप अपने चारो तरफ देखिये जितने भी अमीर लोग है उनमे से सबसे ज्यादा लोग बिज़नेस ही कर रहे है और जो नौकरी कर रहे है उन्हें देखिये क्या फर्क नज़र आया ! असल में  दौलत  सोहरत रिस्क लेने का उपहार है जबकि कम्फर्ट जोन में हर महीने आपके खाते में एक तय सुदा अमाउंट आ जाता है और आप इसे ही छोड़ने को तैयार नही एक बार आप कम्फर्ट जोन में चले गए तो फिर आपका उस कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है !
तो क्या इसका मतलब यह हुआ की हमे भविष्य के लिए किसी तरह की तैयारी नहीं करनी चाहिए ? गलत मैं यह नहीं कह रहा की भविष्य की तैयारी न की जाये मैं यह कह रहा हूँ की भविष्य हमारे आज पर खड़ा हुआ है तो हमे हर बार सिर्फ और सिर्फ अपने आज को मजबूत करना चाहिए उसमे जोश भरते रहना चाहिए इस आज में ही आपको अपना सबसे बेहतर से बेहतर परफॉर्मेंस देना चाहिए और जब आप यह करने लगेंगे तो आप का आज भी बेहतर और उज्वल होगा बल्कि  कल भी खूबसूरत होगा और आपका भविष्य तो कहीं है ही नहीं और अगर कही है तो वह भी अच्छा और खूबसूरत और उज्वल ही रहेगा और यह सब संभव है सिर्फ और सिर्फ आपके आज में ! याद रखिये एक बात *अतीत* एक *याद* है और *भविष्य* एक खूबसूरत *ख्वाब* है और *वर्त्तमान* एक साक्षात् सत्य है अब यह आप पर निर्भर करता है की आप किसे कबूल करते है और किसे नही!


काल करे सो आज कर आज करे सो अब 
पल में परलय होगी बहुरि करेगा कब || 

*****

Md Danish Ansari

मेरी डायरी - (2) अनवर जलालपुरी

January 24, 2018 0 Comments
उर्दू के बेहतरीन शायर अनवर जलालपुरी अब नही रहे उनका निधन कल दो जनवरी को सुबह के वक़्त किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेण्टर में हो गया 28 दिसम्बर को उन्हें मस्तिष्क आघात पहुँचा जिसके बाद उन्हें ट्रामा सेण्टर में एडमिट किया गया था अनवर जलालपुरी ने अपने पीछे एक विरासत छोड़ गए है हमारे लिए उन्होंने "भगवत गीता" (2013) को उर्दू ज़बान में ट्रांसलेट किया  उर्दू शायरी में "गीतांजलि" (2014) उन्होंने लिखी और "राहरौ से रहनुमा तक" (2012) यह सब उनकी विरासत है जो उन्होंने हम सबको सौप दी है !

अनवर जलालपुरी जी का जन्म 06/07/1947 को जलालपुर अम्बेडकर नगर उत्तरप्रदेश राज्य में हुआ था आपने अकबर द ग्रेट धारावाहिक के संवाद भी लिखे है आपको यश भारती सम्मान साल 2015 में दिया गया !


आपकी प्रमुख गज़ले कुछ यूँ है -

* उम्र भर जुल्फ ए मसाएल यूँ ही सुलझते रहे
* जंज़ीर व तौक या रसन व दार कुछ तो हो
* हुस्न जब इश्क़ से मन्सूब नही होता है
* ख्वाहिश मुझे जीने की ज़ियादा भी नही है
* खुदगर्ज़ दुनिया में आखिर क्या करें
* मेरी बस्ती के लोगो अब न रोको रास्ता मेरा
* मैं जा रहा हूँ मेरा इंतज़ार मत करना
*जुल्फ को अब्र का टुकड़ा नही लिखा मैंने
* मैं शायर हूँ मेरा रुतबा नही किसी वज़ीर जैसा
* बाल चाँदी हो गए दिल गम का पैकर हो गया


इसी तरह की और भी बहुत सारी ग़ज़लें अनवर जलालपुरी जी की है जो दिल को सीधा छू जाती है अल्लाह उनकी रूह को सुकून बख्से और उन्हें जन्नत में दाखिल करे ! आमीन !


Md Danish Ansari

जमुहीरियत भाग-1

January 24, 2018 0 Comments

क्यों जुल्म करे तू जुल्मी तेरा हक़ मुझपे क्या है 
क्यों सताए तू मुझको तेरा हक़ मुझपे क्या है 
मैंने चुना था तुझको अपनी रहनुमाई के लिए 
तू मुझको तड़पाये बता तेरा हक़ मुझपे क्या है 
ये मुल्क हमारा है ये जमुहीरियत हमारी है 
तू इस जमुहीरियत की बस एक छोटी सी इकाई है 
क्यों जुल्म करे तू जुल्मी तेरा हक़ मुझपे क्या है 
क्यों सताए तू मुझको तेरा हक़ मुझपे क्या है 
मैं ज़मीं का सीना चीर उसपे फसल उगाता हूँ 
अपने हाँथों पे छाले लिए तेरा भार उठाता हूँ 
फिर क्यों मेरी फसल का मुझको मिलता नही दाम 
है खाली मेरे हाँथ, नही मिलता मुझको कोई काम 
ज़मी बेचीं घर बेचा बेचा सब कौड़ियों के दाम 
अपने हिस्से का सारा सुख भी किया तेरे नाम 
शिक्षा ली दीक्षा ली दिया अपना मत और सम्मान 
मिला नही रोजगार मुझको कैसा है तेरा काम 
सवाल करूँ तो तू मुझपे लाठी क्यों चलवा दे 
आवाज करूँ तो तू मुझपे गोली क्यों चलवा दे
क्यों जुल्म करे तू जुल्मी तेरा हक़ मुझपे क्या है 
क्यों सताए तू मुझको तेरा हक़ मुझपे क्या है

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Md Danish Ansari

Tuesday, 23 January 2018

तस्वीर .....

January 23, 2018 0 Comments

सालो बाद हमने रंगो को को हाँथ लगाया 
सालो बाद हमने कागज पर रंगो को बिखेरा 
जो तस्वीर बनी तो देख कर हैरान हुए हम 
इस दिल में तेरी कोई तस्वीर अब भी बाकि है
देख कर उसे रोना आया फिर ठहाके लगाया
हंस पड़ा मैं अपनी ही नादान बेवकूफ़ी पे 
उसे भुलाना चाहा जो हमेशा मुझमे ही रहा 
मैं भूल गया भला उसे कैसे भुलाया जा सके 
जो खुद के ही मन मंदिर में रचा बसा हुआ है 
हम तुमसे रूठ सकते है गुस्सा हो सकते है 
मगर तुझे या तेरी याद को मिटा नही सकते
सच कहूँ तो तू मेरे वजूद का वो हिस्सा रहा 
जो मेरे मरने के बाद भी लोगो को याद रहेगा 
सोचते है तुझसे न मिले होते तो ज़िन्दगी कैसी होती 
खूबसूरत होती या यूँ ही दुसरो सी आम होती
कभी जो तुझे वक़्त मिला करे तो पढ़ लिया कर 
दिल के इन जज्बातों को और साँसों की फरियादों को 
मुझे एक पूरी ज़िन्दगी जीनी थी तेरे साथ मगर 
अफ़सोस एक साल भी मुझे नसीब न हुआ तेरे साथ 
अब बस इस दिल को दिलाशा देते रहते है हम 
यही ज़िन्दगी है अंसारी जो न सोचा वह भी होता है
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Md Danish Ansari

कुछ तो ख्याल है उसे भी अपने रिस्तों का

January 23, 2018 0 Comments

कुछ तो ख्याल है उसे भी अपने रिस्तों का 
वरना यूँ वो हमसे निगाह न चुराया करती 
परदे की आड़ से करती है वो दीदार हमारा  
वो खुद का दीदार हमे कराया नही करती   
जब भी मिलता हूँ मैं अक्सर उससे तो बस
दूर से ही देख कर हमे गुजर जाया करती
बड़ा खूबसूरत एहसास है मुझे उसके लिए 
क्या वो इन्हे कभी महसूस भी किया करेगी 
सोचता हूँ कह दूँ अपने दिल का सारा हाल 
मगर डरता हूँ क्या वो इनकी कद्र करेगी 
अभी तो उसने मुझे अपनाया भी नही है 
फिर ये खो जाने का डर क्यों है मुझमे 
उसकी सरारती आँखों से छलकता तो है 
इश्क़ है मगर दबी जबां कुछ कहती नही
आँखों ही आँखों से वो बहुत कुछ कहती है 
मगर लफ्ज़ो की जबां में बस ख़ामोशी है 
लफ्ज़ तो बहुत है उसके और मेरे दिल में
वो जज्बात जबां पे कैसे लाये जो दिल में है 
कुछ तो ख्याल है उसे भी अपने रिस्तों का 
वरना यूँ वो हमसे निगाह न चुराया करती 
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Md Danish Ansari

Monday, 22 January 2018

युवा है हम .....

January 22, 2018 0 Comments

युवा है हम इस देश की शक्ति है हम नवनिर्माण क्रांति की ज्वाला है हम 
अपने देश के लिए जो ढ़ाल बने है ऐसा हमारा सीना है वो सेना है हम 
अपने मुल्क के कण कण में जो ऊर्जा भर दे वो भरपूर नव ऊर्जा है हम 
सोये मुल्क किस्मत जो जगा दे ऐसे ताले को जो खोले वो चाबी है हम 
समाज की सभी रूढ़िवादी विचारो को जो चुनौती दे ऐसी ललकार है हम 
छुआ छूत उच्च नीच जाती वर्ग वर्ण व्यवस्था को जो भेदे वो तीर है हम 
हर बाधा हर मुश्किल को जो काटते हुए आगे बड़े वो ऐसी तलवार है हम 
युवा है हम इस देश की शक्ति है हम नवनिर्माण क्रांति की ज्वाला है हम 
जो राष्ट्र के काम न आये वो जवानी बेकार है मगर यह भी सच है युवाओं 
जो अंधराष्ट्रवाद के लिए खुद को झोंक दे उस जवानी पर भी धिक्कार है 
जो दबे कुचले लोगो की आवाज़ बनके हल्ला बोले उस युवा को सलाम है 
जो लोगो को डराए धमकाए शोषण करे ऐसी युवा शक्ति पे धिक्कार है 
जो राष्ट्र निर्माण में अपना सब कुछ न्यौछावर कर दे उसको सलाम है 
जो राष्ट्र निर्माण के नाम पर औरो को ठग ले उन सभी पर धिक्कार है 
जो कर्म करे सेवा करे फले फुले वो सभी अपने मुल्क के सम्मान है 
समाज में हिंसा फैलाये हिंसा करे ऐसी युवा शक्ति पर राष्ट्र का धिक्कार है 
युवा है हम इस देश की शक्ति है हम नवनिर्माण क्रांति की ज्वाला है हम 
अपने मुल्क के कण कण में जो ऊर्जा भर दे वो भरपूर नव ऊर्जा है हम 
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नोट :- उस हर एक युवा को समर्पित जिसने अपनी युवा शक्ति का सही उपयोग करके खुद का विकास किया समाज में सुधार किया राष्ट्र के नवनिर्माण में अपना सहयोग दिया और जो दे रहे है और जो आगे देने वाले है !

Md Danish Ansari

Sunday, 21 January 2018

इज़ाजत .....

January 21, 2018 0 Comments

इस दिल की आरज़ू है के तुझे छू लूँ में सनम
हो अगर तेरी इज़ाजत तो तुझे बाँहों में भर लूँ
अभी तो बड़ी दूर तलक मुझे सफर करना है
हो अगर तेरी इज़ाजत तो कुछ दूर तेरे संग चलूँ
मेरे पास तेरी कोई तस्वीर नही है जाना
इन आँखों से तेरी एक तस्वीर दिल में बना लूँ
तुम्हारी ये ख़ामोशी मुझे बैचेन करती है
कुछ तो कहो डाँट ही दो यूँ चुप न रहो तुम
तेरे दिल की हर बात तेरे आँखों में उमड़ती है 
कह दो मुझसे हर बात के ये नैना तरसती है 
जी लो मेरे साथ इस हर एक पल को जाना 
फिर न जाने हमारी कब मुलाकात हो न हो 
फिर ऐसा नही है के मैं तुमसे मुँह फेर लूँगा 
इस ज़िन्दगी का क्या भरोशा कल हो न हो 

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Md Danish Ansari