Friday, 7 December 2018

क्या मोहब्बत इंसान को अँधा कर देती है ?

December 07, 2018 0 Comments
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आप में से कितने ऐसे लोग है जो ऊपर लिखी लाइन से सहमत है ! की मोहब्बत अंधी होती है या मोहब्बत इंसान को अँधा बना देती है ! इससे पहले की आप किसी भी नतीजे पे पहुँचे और अपना पक्ष चुन कर एक दूसरे का विरोध करने लगे उससे पहले मेरे विचारों को पढ़ लीजिये उस पर विचार कर लीजिये उसके बाद खुद का पक्ष चुनिए ! जब एक माँ अपने पुत्र की गलती होने के बावजूद उसे डाँट लगाने के बजाये उसका विरोध करने के बजाये वह उन लोगो में खोट और गलतियाँ निकालने और गिनाने लगती है ! जिन्होंने उसके पुत्र या पुत्री पर आरोप लगाया है या उसके पुत्र ने किसी के प्रति अपराध किया यह जानते हुए भी की मेरा पुत्र गलत है ! इसके बावजूद वह उसका पक्ष लेती है तो आप इसे क्या कहेंगे माँ की ममता या फिर अपनी ममता में अंधी हो चुकी एक माँ जिसे अपने बच्चो में कोई गलती ही नज़र नहीं आती ! जाहिर है इसे पुत्र मोह कहेंगे यानि अपनी ममता में एक माँ अंधी हो चुकी अब वह निष्पक्ष होकर फैसला नहीं दे सकती ! क़ुरआन में कहा गया है की अल्लाह सत्तर माओं से ज्यादा मोहब्बत करता है अपने बन्दों से इस बात से मेरे मन में प्रश्न उठना लाजमी था ! अगर एक माँ अपने बच्चो के खिलाफ कुछ बर्दास्त नहीं करती भले ही उसने कोई अपराध किया हो, इसके बावजूद वह उसका बचाओ करती है तो क्या मेरा रब मुझे नहीं बचाएगा जो मुझे सत्तर माओ से ज्यादा प्रेम करता है !
बहुत से लोग कहेंगे की क्यों नहीं जरूर बचाएगा ! और फिर यहीं प्रश्न उठ खड़ा होता है की अगर मैं किसी का गला काट दूँ तो क्या ईश्वकर मुझे दंड नहीं देगा ? इसका जवाब भी क़ुरान में ही है , बेशक इसमें कोई दो राय नहीं की अल्लाह हम से सत्तर माओं से ज्यादा मोहब्बत करता है ! किन्तु इसके बावजूद अगर आप किसी के प्रति कोई अपराध करते है किसी को ठेस पहुँचाते है तो आप दंड के भागिदार जरूर बनेंगे और उसकी सजा भी जरूर मिलेगी ! तो क्या इसका मतलब हम यह समझे की ईश्वर हमसे सत्तर माओ से अधिक प्रेम नहीं करता यह कहना गलत है की अल्लाह भगवन ईश्वर जिस किसी भी नाम से आप उसे जानते है वह आपको दंड देता है  सत्तर माओ से ज्यादा प्रेम नहीं करता ? मगर हमने यहाँ ईश्वर को बिच में लाया है तो फिर यह जानना भी जरुरी है की ईश्वर संतान मोह में नहीं पड़ता ! इसका मतलब यह हुआ की ईश्वर हमसे मोहब्बत तो करता है मगर वह हमारे मोह में नहीं पड़ता इसलिए वह इन सभी इंसानी भाव से मुक्त भी है और उसे इन सब का ज्ञान भी है ! ईश्वर के द्वारा अपनी रचना से किया गया यह प्रेम ही हमे मोहब्बत की झूठी भ्रम पैदा करने वाली अपराध और सच्ची  मोहब्बत में फर्क समझाती है !

आप अक्सर ऐसे लोगो को समाज में देख सकते है जिन्होंने मोहब्बत के नाम पर ऐसे ऐसे गुल खिलाये है की पूछो मत ! फिर चाहे वह लड़कियों के द्वारा न कहे जाने पर एक सनकी के द्वारा उस पर तेज़ाब फेकना हो या फिर मोहब्बत के नाम पर अपने ही पति के पीठ पीछे किसी और से सम्बन्ध बनाना हो ! हाल ही में जब सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया की एक स्त्री पुरुष की संपत्ति नहीं होती इसी लिए अब उसके द्वारा किया गया अडल्ट्री एक्टिविटी अपराध नहीं है ! यह फैसला ही अपने आप में पक्ष पात पूर्ण है क्योकि यह तो सही है की एक स्त्री पुरुष की संपत्ति नहीं है जो उस पर अधिकार जमाये किन्तु माननीय सुप्रीम कोर्ट इस आदेश को देते वक़्त यह भूल गए की जब एक पुरुष और स्त्री विवाह बंधन में बंधते है तो उसमे यह वचन भी शामिल होता है की वह दोनों हमेशा एक दूसरे के प्रति वफादार रहेंगे और कभी जीवन में कोई ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो तो आपसी सहमति से विवाह सम्बन्ध का विच्छेद करेंगे ! लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट ने तो सीधा सीधा यह कह दिया तुम हमारे पीठ पर छुरा घोंपो सनम क्योकि अब हमारा तुम पर कोई अधिकार नहीं ! 

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया उसके विरोध में सिर्फ इस लिए हूँ क्योकि उन्होंने कहा है की महिला पुरुष की संपत्ति नहीं और मैं इस बात से सहमत हूँ मगर जब कोर्ट ने ये कहा की एक महिला अपनी मर्ज़ी से किसी और से सम्बन्ध बना सकती है तब में विरुद्ध में हूँ वो इस लिए ठीक है अगर महिला किसी और से सम्बन्ध बनाना चाहती है बनाये मगर पहले विवाह सम्बन्ध से मुक्त हो जाये क्योकि ऐसे में उसके द्वारा किया गया कोई भी कार्य लौट कर उसके पति तक आने ही है ! बेशक सुप्रीम कोर्ट ने यह जरूर कहा की अगर पति चाहे तो ऐसे में वह महिला से तलाक ले सकता है ! क्या यह अजीब नहीं है की पहले आप ही मेरे दामन में दाग लगाए और फिर खुद ही अपराध मुक्त हो जाये ये कहा का न्याय है सुप्रीम कोर्ट को यह कहना चाहिए था की "एक महिला पुरुष की संपत्ति नहीं होती है ऐसे में एक महिला अपनी सहमति से किसी पुरुष या अन्य के साथ सम्बन्ध बनाना चाहती है तो वह इसके लिए मुक्त है अगर वह अविवाहित है तो अगर कोई महिला विवाहित है और वह फिर भी किसी अन्य व्यक्ति से सम्बन्ध बनाना चाहती है तो इसके लिए उसे पहले अपने विवाहित सम्बन्धो से त्याग करना होगा तलाक देना होगा ताकि पति का मान सम्मान भी बना रहे और महिला की अपनी स्वतंत्रता भी" तब यह बात हजम भी होती और न्याय पूर्ण भी ! अब मैं आपसे फिर से सवाल करता हूँ क्या मोहब्बत अंधी होती है या इंसान मोहब्बत में अँधा हो जाता है या इंसान का अपना स्वार्थ उसे अँधा बना देता है जिसे वह उचित ठहराने के लिए मोहब्बत अंधी होती है या मोहब्बत में इंसान अँधा हो जाता है जैसे दोगली दलीले देता है !

अगर मोहब्बत अंधी होती है अगर मोहब्बत में इंसान अँधा हो जाता है तो फिर अक्षय कुमार ने अपनी फिल्म में कहा था की :- अगर मोहब्बत और जंग में सब जायज है तो फिर लड़कियों पर एसिड फैकने वाले लफुटों की हरकत भी जायज़ है ! और किसी लड़की के न कह देने पर उसका वस्त्र हरण करके उसका रेप कर देना भी जायज़ है क्योकि मोहब्बत अंधी होती है और मोहब्बत में इंसान अँधा होता है ! अब मैं फिर से आपसे वही सवाल पूछता हूँ बताइये मुझे क्या है आपका उत्तर ? आप लोगो का उत्तर चाहे जो भी हो मुझे उसकी परवाह नहीं मगर मेरा उत्तर पढ़ते जाइये जनाब 

"न तो मोहब्बत अंधी होती है और न गूंगी बहरी न तो इंसान मोहब्बत में अँधा होता है और न गूंगा बहरा इंसान के अंदर छुपा उसका स्वार्थ उसे अँधा बनाता है ! जिसे सच में किसी से मोहब्बत हो न वो स्वार्थ के लाख अन्धकार फ़ैलाने के बावजूद सच्ची मोहब्बत की रौशनी में रास्ता पा ही लेता है तो इसका अर्थ यह है, न तो पीठ पीछे विश्वास घात करना मोहब्बत है और न ही न कह देने पर तेज़ाब से किसी को जला देना मोहब्बत है और न ही किसी को किसी के लिए मार देने में मोहब्बत है ! मोहब्बत बस एक एहसास है उसे महसूस कीजिये उसे पाने की कोशिश करेंगे तो दूर हो जाएगी और अगर उसे महसूस करते हुए ज़िन्दगी जियेंगे तो करीब आएगी !"

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Md Danish Ansari

Thursday, 18 October 2018

आतंकवाद (वियतनाम युद्ध) 1955 - 1975 | Part 1

October 18, 2018 0 Comments
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आतंकवाद की परिभाषा :- ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के द्वारा परिभाषित किया गया ऑक्सफ़ोर्ड के द्वारा परिभाषित आतंकवाद कुछ यूँ है- " राज्य या विरोधभाव को दबाने के लिए हिंसा या भयोत्पादक उपायों का अवलंबन"
सेकंड वर्ल्ड वॉर के ख़त्म होते ही दुनिया में दो मुल्को के बिच ताक़त और शक्ति विस्तार की होड़ शुरू हुई और आप जानते है की मैं किन दो मुल्को की बात कर रहा हूँ ! अमेरिका और रूस, सोवियत यूनियन के टूटने पर रूस की ताकत घट गयी और फिर अमेरिका की हुकूमत आयी पूरी दुनिया पर रूस लगा तार अपने पक्ष में देशों को एक जुट करता रहा वही दूसरी तरफ अमेरिका उसे तोड़ने और अपने साथ जोड़ने में लगा रहा !

विएतनाम युद्ध : 1 नवंबर 1955 को विएतनाम में युद्ध शुरू हुआ यह युद्ध शीतयुद्ध के दौर में लड़ा गया यह युद्ध दो अलग अलग विचार धरा को भी देखते हुए लड़ा गया अमेरिका पूँजीवाद का समर्थक है जबकि रूस और चीन मार्क्सवाद के ऐसे में उत्तरी वियतनाम को चीन और रूस का साथ मिला जबकि दूसरे खेमे दक्षिणी वियतनाम की और से अमेरिका और मित्र राष्ट्र लड़ रहे थे ! इस युद्ध की शुरुआत वियतनाम का फ्रांस के साथ आजादी के लिए लड़े गए नाकाम युद्ध से शुरू हुआ दूसरे विश्व युद्ध के बाद फ्रांस में इतनी ताकत नहीं थी की वह वियतनाम पर और ज्यादा देर तक के लिए अपना दबदबा बना कर रख सके ऐसे में विएतनाम दो भागो में बट गया उत्तरी विएतनाम सम्पूर्ण आजादी चाहता था साथ ही वह मार्क्सवादी था वही दूसरी और दक्षिणी वियतनाम था जो अमेरिका और मित्र राष्ट्रों की जी हुजूरी ही करता ! साथ ही दक्षिणी वियतनाम के शासक भ्रष्ट हो चुके थे उन पर कई गंभीर आरोप लग रहे थे ! वियतनाम कम्बोडिया चीन बर्मा और थाईलैंड से घिरा हुआ इन सब के बिच एक छोटा सा देश है लाओस उसने अपनी जमीन उत्तरी वियतनाम को दी उसके ऐसा करने पर अमेरिका इतना गुस्से में आया की उसने उस पर इतने बम गिराए जितना की उसने अफगानिस्तान और इराक युद्ध में भी नहीं गिराए ! जबकि लाओस खुद इस युद्ध में सीधे शामिल नहीं हुआ था लाओस में 1964 से लेकर 1973 तक अम्रेरीकी वायु सेना ने हर 8 मिनट में एक बम गिराए गए है ! मीडिया रिपोर्ट और इतिहासकारों के अनुसार अमेरिका ने 260 मिलियन क्लस्टर बम विएतनाम पर गिराए है जोकि इराक युद्ध में गिराए गए कुल संख्या का 210 मिलियन ज्यादा है ! अमेरिकी सेना द्वारा वियतनाम के लोगो का कत्ले आम हुआ और यह सब कुछ न्यूज़ में साफ़ साफ़ दिखाया जा रहा था अमेरिकी सेना ने एक बड़े पैमाने पर वियतनामी लोगो को मार डाला जबकि वो निहथ्थे थे और मासूम थे मरने वालो में सिर्फ पुरुष ही नहीं थे इसमें बड़ी संख्या में औरते बच्चे बूढ़े और नौजवान थे इनमे सबसे ज्यादा लोग खेती करने वाले आम किसान थे ! अमेरिकी सेना ने लगातार रासायनिक हथियारों की बम बारी की जिससे लाखो एकड़ खेत तबाहो बर्बाद हो गए और जंगल के जंगल तबाह होते गए ! यह सब किस लिए था सिर्फ इस लिए न की उत्तरी वियतनाम ये चाहता था की दोनों एक हो के रहे जैसे वो पहले थे या फिर सिर्फ ये की वियतनाम मार्क्सवाद को सपोर्ट करता था इस लिए और आपको रास नहीं आया तो आप ने उस पर हमला कर दिया ! अमेरिका को लगा था की वियतनाम कमजोर है इसलिए वह जल्द ही घुटने टेक देगा और युद्ध समाप्त हो जायेगा पर ऐसा नहीं हुआ वियतनाम का पलड़ा भारी होता रहा और अमेरिकी सैनिक मुँह की खाये ! वियतनाम में अमेरिका के इतने सैनिक मरे गए की खुद अमेरिका में इस युद्ध को लेकर विरोध प्रदर्शन होने लगे की हम अपनी जान ऐसे युद्ध में क्यों खतरे में डाले जो युद्ध हमारा है ही नहीं !

यह बात सच भी है की यह युद्ध किसी भी नजरिये से अमेरिका के लिए थी ही नहीं तो फिर अमेरिका क्यों जबरदस्ती इस युद्ध में कूद पड़ा ! अमेरिका खुद को  महान दिखने के लिए हमेशा ये कहता रहा है की दूसरे विश्व युद्ध में वह नहीं उतरता अगर जापान ने पर्ल हार्बर पर हवाई हमला न किया होता ! तो यही पर हम यह पूछना चाहते है की फिर आप विएतनाम के युद्ध में क्या कर रहे थे आप के सैनिक वियतनाम की आम जनता को क्यों मार रही थी ! इसीलिए न की वो लोग अमेरिका की सोच और उसके विचारो से सहमत नहीं थे बस इसी लिए न अपनी ताकत और दबदबे का रौब दिखाने के लिए आप ने लाओस जैसे छोटे और कमजोर देश को पूरी तरह क्लस्टर बम में जला कर राख कर दिया किसके लिए जाहिर है सिर्फ और सिर्फ अपने अहंकार की भूख को मिटाने के लिए और आज पूरी दुनिया में खुद को आतंक विरोधी के रूप में दिखाते हो पर सच तो यही है की अमेरिकी अर्थववस्था और उसका विकास गरीब और पिछड़े लोगो के शोषण और उनके संसाधनों को लूट कर ही फलता फूलता रहा है !

अब मैं चाहता हूँ की आप सबसे ऊपर "आतंकवाद" की परिभाषा को फिर से पढ़े जिसे ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने परिभाषित किया है ! ताकि आप यह समझ सके की दुनिया भर में कैसे आतंकवाद जन्म ले रहा है और कौन सी वो ताक़त है जो इसे बना रही है और इसे पनपने देने का पूरा मौका दे रही है ! वो भी सिर्फ और सिर्फ अपने राजनैतिक और आर्थिक भूख को मिटाने के लिए तुम गोली चलाओ तो सुरक्षा दूसरे गोली चलाये तो आतंकवाद !

राज्य या विरोधभाव को दबाने के लिए हिंसा या भयोत्पादक उपायों का अवलंबन" ही आतंकवाद है !
अर्थ : किसी राज्य या देश के लोगो के द्वारा विरोध को या उनके विरोधात्मक भाव को दबाने या कुचलने के लिए हिंसा या फिर उन्हें डराना धमकाना या ऐसे उतपात मचाना या फिर गलत प्रचार प्रसार करना जिससे समाज या व्यक्ति के मन में डर या भय फैले आतंकवाद कहलाता है ! 

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Md Danish Ansari

Thursday, 11 October 2018

बहुसंखयक समाज अल्पसंखयक समाज से क्यों डरता है

October 11, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh
गोंडवाना लैंड के विभाजन से पहले सभी देश एक ही महाद्वीप का हिस्सा थे जिसे गोंडवाना लैंड कहा जाता है ! धरती के भाहरी परत में टूट और उसके बिखराओ ने बहुत सारी सीमाओं का सीमांकन किया एक तरफ जहा उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका का निर्माण हुआ वही दूसरी तरफ यूरोप महाद्वीप का निर्माण हुआ वही अफ्रीका का और कुछ इसी तरह एशिया महाद्वीप का निर्माण हुआ ! भारत जोकि कभी अफ्रीका से लगा हुआ था वह टूट कर हिन्द महासागर से होता हुआ चीन से जा कर टकराया पृथ्वी के बाहरी परतो का आपस में यूँ मिलना और उनका एक दूसरे के अंदर सरकना इसकी वजह से हिमालय का निर्माण हुआ ! आपको जान कर यह हैरानी होगी की यह खिसकाओ आज भी जारी है और हर साल माउन्ट एवेरेस्ट की उचाई करीब आधा सेंटीमीटर बढ़ जाती है ! 

इसके बाद दुनिया के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग महान सभ्यताओं का विकास हुआ जिसमे सबसे पुरानी सभ्यता थी मेसोपोटामिया उसके बाद मिश्र की सभ्यता फिर भारत की हड़प्पा और मोहन जोदरो की सभ्यता फिर चीन की सभ्यता और फिर अमेरिका की माया सभ्यता और इन सभ्यताओं में सबसे पहले जिन दो सभ्यताओं का मिलन हुआ वो थी मेसोपोटामिया और मिश्र की सभ्यता यह इस लिए भी संभव हुआ क्योकि दोनों सभ्यताओं की सरहद लगभग सटी हुई थी ! कई विद्वानों का तो यह भी कहना है की मेसोपोटामिया सभ्यता ही मिश्र की सभ्यता है पर इसमें बहुत विवाद है ! उसके बाद मिश्र से अरब का विकास हुआ और अरबो का आना जाना भारत में हुआ जिससे अब दुनिया की तीन सबसे बड़ी सभ्यताएं एक दूसरे के सम्पर्क में आ चुकी थी अरब भारत से ववपार करते थे ! जबकि दुनिया की दो और सभ्यताएँ हम उनसे और वो हमसे बिलकुल अछूते थे क्योकि एक तरफ हिमालय था तो दूसरी तरफ विशाल समुद्र शायद यही वजह रही की इन सभ्यताओं का आपस में मिलान नहीं हुआ बहुत लम्बे वक़्त के लिए !

दुनिया बदलती गयी उसके साथ ही सभ्यताएँ विकास करने लगी वहाँ भी जीवन पनपा जहा जीवन की कोई सम्भावना ही नहीं होनी थी ! समय और अंतरिक्ष ने मानव जाति को विकास करने और आगे बढ़ने का पूरा मौका दिया और उसका हमने भरपूर उपयोग भी किया और इसी के साथ दुनिया भर के अलग अलग हिस्सों में राज व्यवस्था का उदय हुआ सब एक से बढ़ कर एक थी और सभी ने अपना शक्ति विस्तार किया दुनिया में शायद ही कोई ऐसी रजवावस्था होगी जिसने अपने शरहद और शक्ति का विस्तार न किया हो और इसी शक्ति और सिमा विस्तार में कई अलग अलग संस्कृति आपस में टकराई ! भौतिक विज्ञानं में हमे पढ़ाया जाता है की जब दो पार्टिकल्स आपस में टकराते है तो पहले विनाश होता है फिर उसी विनाश से निर्माण का काम शुरू होता है ! यही नियम दुनिया भर की सभ्यताओं का आपस में टकराना और उनका विध्वंश होना और उनके विध्वंश से फिर नयी संस्कृति और राजवावस्था का जन्म होना इसका प्रमाण है !

खैर वक़्त के साथ सब कुछ बदलता है हमारी पूरी दुनिया बदल गयी फिर आया हमारा युग जिसे हम आधुनिक युग कहते है ! इसी आधुनिक युग की शुरुआत में राष्ट्रवाद की शुरुआत हुई वैसे इस आधुनिक युग से पहले राष्ट्र की अवधारणा तो थी मगर वह उतनी मजबूत नहीं थी जब तक राष्ट्रवाद की अवधारणा सामने न आयी फिर उसके बाद दुनिया भर में राष्ट्रवाद के नाम पर बहुसंख्यक समाज अल्पसंख्यक समाज के साथ राष्ट्रवाद के नाम पर सिर्फ और सिर्फ बर्बरता ही दिखाई है ! यह बात मैं किसी एक देश के लिए नहीं कह रहा यह दुनिया भर के मुल्को पर फिट बैठता है फिर चाहे वो यूरोप में यहुदिओं का कत्लेआम हो या फिर अमेरिका में गोरे लोगो के द्वारा काले लोगो का शोषण ! आप दुनिया के हर एक मुल्क का इतिहास और उसका आज देख लीजिये कल भी बहुसंख्यक समाज एक झूठे डर का सहारा लेकर अल्पसंख्यक समाज को कुचलता रहा है और आज भी वही हो रहा है ! यह अल्पसंख्यक समाज सिर्फ धर्म के आधार पर नहीं है बल्कि कही रंग के आधार पर है तो कही नस्ल के आधार पर कही संस्कृति के आधार पर तो कही भाषा के आधार पर मेरे कहने का तात्पर्य यह है की बहुसंखयक समाज हमेशा अल्पसंखयक समाज का शोषण करता रहा है किसी एक वक़्त या जगह पर यह अपवाद हो सकता है !

मगर ज्यादातर यही देखा और पाया गया है एक ही जैसी सोच मान्यता संस्कृति सभ्यता और भाषा बोलने और उन्हें फॉलो करने वाले लोग हमेशा से अपने से अलग लोगो से डरते रहे है ! उनका ये डर जोकि बेबुनियाद है अक्सर आक्रामक हो जाता है फिर शुरू होता है कत्लेआम का वो दौर जिसमे इंसानी ज़िन्दगी का कोई महत्व नहीं रह जाता ! अब सवाल यह है की बहुसंख्यक समाज भला अल्पसंखयक समाज के लोगो से डरता क्यों है ? इसकी वजह साफ़ है हम इंसानो ने अपने अंदर ही एक तरह का सुरक्षा कवच तैयार कर लिया है जिसे हम दिमाग की प्रोगरामिंग करना कह सकते है ! हम अपने दिमाग को इसी बात में यकीं दिलाते रहते है की जो हमारे जैसा दीखता है उनसे हमे कोई खतरा नहीं यहाँ दिखने का मतलब हर तरह के स्तर पर है जैसे धर्म जाती संस्कृति नाम रहन सहन पहनावा खाना पीना इत्यादि ! जहा उनके बिच कोई ऐसा व्यक्ति आ जाता है जिसका नाम अलग है पहनावा अलग है बोलने खाने पिने रहन सहन सब कुछ भिन्न है, वैसे ही बहुसंख्यक समाज सुरक्षा की मुद्रा में आ जाता है जबकि यह बात सच है की उसे किसी तरह का खतरा नहीं है ! इसके बावजूद वह हर कीमत पर सामने वाले को कुचल देना चाहता है वही अगर उन्ही के जैसा कोई व्यक्ति भले ही उन्हें ज़िन्दगी भर छलता रहे उनका शोषण करता रहे फिर भी वह उसमे विश्वास दिखाते है और यह कहने में कुछ गलत नहीं की यह आधुनिक समाज में लोगो की सबसे निचले स्तर की मूर्खता मात्र है !

नोट : आप मेरे विचारो से असहमत हो सकते है !

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Md Danish Ansari

Saturday, 6 October 2018

आज़ाद हूँ

October 06, 2018 0 Comments
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आज़ाद हूँ परवाज हूँ हर बात की मैं काट हूँ 
रोके ज़माना मेरे कदम क़तरा क़तरा कहे मैं आज़ाद हूँ 
आज़ाद हूँ परवाज हूँ हर बात की मैं काट हूँ 
आँधियाँ क्या मोड़े मुझे मैं खुद ही तूफान हूँ 
आज़ाद हूँ। ......... आज़ाद हूँ। ......... आज़ाद हूँ 
कितने दिनों से मेरे पर क़तरता रहा है ज़माना यहाँ 
खामोश मैं सहमी हुई डरपोक मैं डरी हुई 
अब कहा वो डर है अब कहा वो दहशत दिल में है 
आज़ाद हूँ। ......... आज़ाद हूँ। ......... आज़ाद हूँ 
नोचते रहे हो तुम गोश्त मेरे सीने से 
अब ये बताओ मुझे क्या मिला है तुम्हे 
प्यास तेरी बुझती नहीं आग तेरी ठण्डी पड़ती नहीं 
फिर तो बेकार मेरा यूँ खामोश मर जाना मेरा 
आज़ाद हूँ परवाज हूँ हर बात की मैं काट हूँ 
आज़ाद हूँ परवाज हूँ हर बात की मैं काट हूँ 
आज़ाद हूँ। ....... आज़ाद हूँ। ......... आज़ाद हूँ 
आज़ाद हूँ !


Md Danish Ansari

Wednesday, 29 August 2018

नन्ही चिड़िया - Inspiration Story | Conclusion

August 29, 2018 0 Comments
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मैं थोड़ा उदास हो गया उसे वह न देख कर तभी अचानक से वो ची ची की आवाज करते हुए उसी पेड़ पर लोट आयी उसकी चोंच में कई तिनके थे ! शायद वह फिर से अपना घोसला बनाने वाली थी और देखते ही देखते उसने दिन भर तिनके इकठ्ठे करके अपना घोसला बनाना शुरू कर दी पर इस बार उसने अपना घोसला दूसरी डाल पे बनाई क्योकि पहली डाल तो टूट चूका था ! वो दिन भर काम करती रही मैंने घर वालो से कह कर उसके लिए अपनी खिड़की पर दाने रखवा दिए ताकि उसे कही दूर न जाना पड़े अपने खाने की तलाश में वो काम करती रही और मैं उसे देखता रहा ! वो बड़ी बारीकी से अपना काम कर रही थी एक एक तिनके को ऐसे एक दूसरे के साथ मिला रही थी जैसे एक चादर बुनने वाला धागों के क्रम को बड़ी सटीकता से करता है ठीक वैसे ही जैसे कपड़ो पे कढ़ाई की जाती है ! इससे पहले मैंने कभी इस पर धयान नहीं दिया कुछ देर बाद मेरी आँख कैसे लगी मुझे पता ही नहीं चला सुबह मुझे ची ची की आवाज़ सुनाई दी मैं जाग गया देखा वो चिड़िया मेरी खिड़की पे बैठी है !

मैंने उसके घोसले की तरफ देखा तो वह बन कर तैयार हो चूका था वो पहले वाले से बड़ा और ज्यादा मजबूत लग रहा था ! मैंने उस नन्ही चिड़िया से कहा - ओ तो तुम मुझे अपना घर दिखाना चाहती हो काफी खूबसूरत है तुम्हारा घर तुमने बहुत मेहनत की है इसके लिए है न ! वो बस खिड़की पे बैठी रही और ची ची की आवाज़ करती रही ऐसे जैसे वो मेरी बातो का जवाब दे रही हो शायद मेरा दिमाग ख़राब हो चूका है जो एक चिड़िया से बाते कर रहा हूँ और उससे उम्मीद कर रहा हूँ की वह मेरी बात को समझे और उसका जवाब दे ! तुम कितनी खुश किस्मत वाली हो तुम जहा चाहो वहा जा सकती मगर मैं नहीं हा कभी मैं भी दुनिया देखना चाहता था पर काम से फुर्सत ही नहीं थी आज फुर्सत है तो कही जाने के लायक ही नहीं ! खैर तुम्हे भूक लगी होगी तुमने कुछ खाया की नहीं, तभी दरवाजे पे दस्तक हुई अम्मी अंदर आयी तुम किस्से बाते कर रहे हो बीटा ? कुछ नहीं बस उस चिड़िया से देखिये उसने कितना खूबसूरत घोसला बनाया है अपने लिए, इसका पहला वाला घोसला बारिश और हवा के चलते बिखर गया था और वो डाल भी टूट गयी !

कुछ देर अम्मी मुझसे बाते करती रही फिर वो निचे चली गयी काम करने मेरी इस हालत को देख कर अम्मी उदास हो जाती है पर इसमें न तो मैं कुछ कर सकता था और न ही वो ! बारिश होने वाली है मैं उस नहीं चिड़िया के लिए थोड़ा परेशां भी हूँ पिछली बार उसका घोसला बिखर गया था इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए ये सोच कर बस उसके लिए दुआ कर दी ! उसका घोसला सही सलामत था मुझे यह देख कर काफी खुसी हुई कुछ दिन बीते और फिर एक रोज जब मैं सुबह उठा और खिड़की के बाहर जैसे ही देखा तो वह घोसला वहा नहीं था मैं थोड़ा परेशान हुआ मैंने जोर से अम्मी को आवाज लगाया और वो ऊपर, क्या हुआ तुम्हे ? अम्मी खिड़की से बाहर झाँक कर देखिये क्या उसका घोसला फिर से बिखर गया है ? तुम क्या कह रहे हो मैं कुछ समझी नहीं ? उस चिड़िया का घोसला देखिये की वो क्या बिखर गया है या निचे गिर गया है ! अम्मी निचे बाहर देख कर बोली माफ़ करना बेटा उसका घोसला टूट चूका है , मैं उदास हो गया !

कई दिनों तक वह मुझे दिखी नहीं मैं और परेशान होने लगा मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई मेरा अपना मेरा साथ छोड़ गया हो मैं उसके बारे में बहुत ज्यादा सोच रहा था ! तभी एक शाम वो वापस आयी मेरी खिड़की पे उसके मुँह में फिर से कुछ तिनके थे ! मैं हैरान था - क्या तुम फिर से अपना घोसला बनाने वाली हो और वो भी उसी जगह देखो अगर तुम चाहो तो तुम यहाँ मेरे कमरे में रह सकती हो ! उसने अपने चोंच में दबे तिनके को खिड़की पे राखी और कुछ बोला उसने ची ची ची मैं समझ नहीं पाया की वो क्या कहना चाह रही है और वह फिर से उड़ कर उसी पेड़ पर जा बैठी और फिर शुरू हुई उसकी कारीगरी वह दिन रात मेहनत करती रही और देखते ही देखते फिर से घोसला तैयार हो गया ! मैं उसे देख कर हैरान था एक नन्ही सी जान जिसकी ज़िन्दगी शायद कुछ ही सालो की होगी वह इतना संघर्ष कर रही है सिर्फ अपने घर के लिए यह सब देख कर मैं हैरान था !

यह सब देख कर मुझे एक सिख मिली ज़िन्दगी चाहे छोटी हो या बड़ी उसे खुल कर जीना चाहिए और उस ज़िन्दगी में चाहे जितनी भी मुश्किलें आये उसका डट कर सामना करो आप हारोगे गिरोगे बार बार फ़िसलोगे मगर आपको रुकना नहीं है आपको बस वही करते जाना है ! जो आप करना चाहते है दुनिया क्या कहती है क्या करती है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता फर्क सिर्फ इस बात से आपको पड़ता है की आप क्या करना चाहते क्या पाना चाहते किससे प्यार करना चाहते है ये ज़िन्दगी आपकी है इसलिए आप यह तय करेंगे की आप अपनी ज़िन्दगी कैसे जीना चाहते है क्या आप बहादुरी के साथ ज़िन्दगी में आयी बड़ी से बड़ी तूफ़ान से सीधे टकरा जाना चाहते है या फिर उससे बचने के लिए भागना चाहते है आप बुजदिल बन कर जीना चाहते है या एक योद्धा की तरह वीर की तरह मरना चाहते है ! मैं इस बेड पर अपनी सारी ज़िन्दगी नहीं गुजारने वाला मैं बाहर जाऊंगा घूमूँगा जो मन में आएगा करूँगा प्यार करूँगा एक अच्छी ज़िन्दगी के लिए जो करना पड़े मैं करूँगा मैं हार नहीं मानुगा मैं हार नहीं मानुगा मैं हार नहीं मानुगा !

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Md Danish Ansari

Monday, 27 August 2018

नन्ही चिड़िया - Inspiration Story | Begining

August 27, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh - Nanhi Chidiya | Inspiration Story
घर के पास एक बिहि के पेड़ पर एक नन्ही सी चिड़िया का घोसला था ! वो अक्सर सुबह पहले उठती और देर शाम को वापस अपने बसेरे पर आ जाती इस घोसले को बनाये अभी उसे कुछ ही महीने हुए थे ! उसका घोसला मेरे बेड के पास से ही लेटे हुए अपने बाजु वाली खिड़की से देख सकता था ! छुट्टी वाले दिन कभी कभार मेरी नज़र उसके घोसले पर पड़ती तो वो कभी खाली होता तो कभी वो नन्ही सी चिड़िया उसमे उछल कूद कर रही होती तो कभी उसमे कुछ और तिनके बुन रही होती ! यह सब जब मैं देखता तो अजीब सा एहसास होता ऐसा सुकून महसूस होता जैसे कोई धीरे धीरे आपको ख़ुशी दे रहा हो और आपको उसमे मज़ा आ रहा है लेकिन आप उसे बता नहीं सकते और न ही किसी को समझा सकते है !

इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में जब थक हार कर अपने कमरे में वापस लौटता तो अपने बेड पे जाते ही नज़रे कभी कभी उसे ढूंढ़ने लगती ! गर्मी का मौसम आ गया जबरदस्त गर्मी पड़ रही थी ! एक दोस्त ने मुझे मैसेज किया  की गर्मी का वक़्त है थोड़ा सा अनाज और पानी परिंदो के लिए छत पर रखा करो क्योकि वो प्यासे और भूके मर जाते है ! मैंने हलके से झुक कर खिड़की के बाहर देखा तो वो चिड़िया वही थी ! उसकी चहचहाट बहुत खूबसूरत थी कभी कभी तो वो मेरे खिड़की के पास आ बैठती तो मैं उसे बस देखते रहता की आखिर ये करना क्या चाहती है ! वो इधर से उधर फुदकते रहती मुझे अच्छा लगता था मैंने उसके लिए अपनी खिड़की के पास अनाज और पानी रख छोड़ा था ! वो अक्सर आती दाना चुगति और हलकी सी आवाज़ पर भी फुर से उड़ जाती !

दिन यूँही गुजरते गए और बारिश का मौसम आ गया मुझे बारिश बहुत पसंद है और भीगना भी मैं जानता हूँ ज्यादातर लोगो को बारिश का मौसम पसंद नहीं पर मुझे पसंद है ! एक दिन मैं अपने दोस्त के घर से लौट रहा था रात काफी हो चुकी थी और जोरो की बारिश हो रही थी ! मैं फिर भी बाइक धीरे धीरे चलाता रहा ! भीग भी रहा था अचानक से हवा तेज़ हो गयी तो ढंड लगने लगी हाँथ भी कापने लगे ! मैं धीरे धीरे बढ़ता रहा तभी अचानक से टायर स्लीप हुआ मैंने गाड़ी को संभालना चाहा मगर गलती से एस्क्लेटर दे दिया और मेरी बाइक सीधे साइड में लगे लोहे डिवीडर से टकराया और मैं फैका गया ! मुझे पैरो में काफी चोट लगी थी खून बह रहा था पर मैं उठ नहीं पाया बहुत कोशिश करने के बाद भी नहीं फिर बेहोश हो गया ! सुबह आँख हॉस्पिटल में खुली फिर मेरे दोस्तों ने मुझे घर पहुँचाया डॉक्टरों का कहना था की रात भर मेरा खून बहता रहा जिससे मेरे शरीर में खून की कमी हो गयी साथ ही पैर की कुछ खास नशों को ज्यादा चोट लगी जिससे खून बहुत बहा और वह सिकुड़ कर एक दूसरे से चिपक सी गयी यही वजह थी की मुझे अपने सीधे पैर में जान महसूस नहीं हुई !
डॉक्टर तो यहाँ तक बोल गए की शायद ये पैर अब कभी काम न करे मैं इस बात को लेकर काफी परेशान रहता ! फिर एक दिन बिस्तर पर लेटे लेटे अचानक से मुझे उस नन्ही चिड़िया का ख्याल आया तो मैंने खिड़की से बाहर देखा तो उसका घोसला वहा नहीं था वो डाल शायद उसी तूफ़ान में टूट गया था जिस दिन मेरा एक्सीडेंट हुआ था !

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Wednesday, 8 August 2018

फिर भी तेरी यादों के निशाँ बाकि है

August 08, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh

तेरी यादों पे जमती रही है धूल मगर 
फिर भी तेरी यादों के निशाँ बाकि है 
एक मोटी परत है धूल की मगर देखो 
उसमे भी तेरे नाम के हर्फ़ बाकि है 
कभी उभरता है तो साफ़ दीखता है 
कभी छुपने की नाकाम कोशिश करता है
कभी मेरे पीछे बेसुध दौड़ पड़ता है 
तो कभी छुप छुपा कर पीछा करता है 
अजीब दास्ताँ है मेरी और तेरी यादों का 
कभी खिलती धुप की तरह है, तो 
कही टिमटिमाती लौ की तरह है 
सच कहता हूँ। ....... 
तेरी यादों पे जमती रही है धूल मगर 
फिर भी तेरी यादों के निशाँ बाकि है 
कभी तड़पता हूँ तो कभी खुश होता हूँ 
कभी रूठता हूँ कभी खुदी को मनाता हूँ 
शहर-ए-यार में इन आँखों ने हुश्न का दीदार बहुत किया है 
मगर इस दिल ने एक तेरे सिवा किसी से न वफ़ा किया है 
किसी भूली बिसरी कहानी की तरह है 
फिर भी यहाँ तेरी यादों के निशाँ बाकि है
तेरी यादों पे जमती रही है धूल मगर 
फिर भी तेरी यादों के निशाँ बाकि है। 

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Md Danish Ansari

Saturday, 7 July 2018

उस पेड़ की छाँव

July 07, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh
घर के बाहर थोड़ी दूर पे एक विशाल बड़ (बरगद) का पेड़ है वो इतना विशाल है कि उसकी शाखाओं के नीचे आस पास के कई घर आते थे अक्सर बारिश के मौसम में लोगो को अपने घरों की छत को साफ करना पड़ता था क्योंकि उसकी पत्तियाँ छत पे पानी को बहने नही देती थी। गर्मी के मौसम में सब उसके नीचे जा कर आराम करते लाइट गोल होती तो उसके चबूतरे पर लोग लेटे रहते उसकी शाखाओं पर मधुमखियों के कई छत्ते थे जो शहद से भरे रहते हर सुबह और शाम को अलग अलग तरह की चिड़ियों की आवाज़ होती वो उसी पर रहते फिर एक दिन जोर की हवा चली और उसकी एक डाल टूट कर नीचे गिर गई कोई जख़्मी नही हुआ और न ही किसी का घर टुटा मगर लोगो के दिलों का डर उस पेड़ के लिए मुसीबत हो गई पहले उसकी एक शाख को काटा गया लोग उसे लेकर अब बुरा भला ही बोलते की ये पेड़ यहाँ नही होना चाहिये वगेरा वगैरा और देखते ही देखते वह बड़ का पेड़ सूखने लगा उसकी शाखाएँ सुख गयी लोगो ने उसे कटवाना शुरू किया और देखते ही देखते उस पेड़ का सिर्फ अब तना ही रह गया। अब न तो मधुमखियों के छत्ते है और न ही सुबह शाम को चिड़ियों की आवाज़ बस एक खामोशी है वो पेड़ अब बढ़ नही रहा उसकी तने पे कुछ पत्तियाँ फूटती तो है फिर सुख कर झड़ जाती है। शायद वह अब डर गया है उसने इंसान की कुल्हाड़ी की धार जितनी महसूस न कि होगी उससे ज्यादा उनकी जली कटी बाते महसूस की होगी। इस साल गर्मी में जब सूरज ने आग बरसाया तो सबको उस पेड़ की छाँव याद आ ही गई।
यह सब देख कर मुझे अपने अंदर का वो हिस्सा नज़र आया जो हम इंसान अक्सर सभ्य दिखने के लिए छुपाने की कोशिश करते है। वह पेड़ न जाने कितने सालों से वहाँ था न जाने उसने कितनी बारिशें देखी होंगी वह पेड़ उस जगह पर तब से था जब वहा इंसान की बस्ती तो क्या कोई इंसान भी नही था। अब सब कहते है अरे ये पेड़ था तो कितना सुकून था अब सभी को उस पेड़ की छाँव याद आती है।
नोट: यह लघु कथा सच्ची घटना पर आधारित है।

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Md Danish Ansari

Thursday, 5 July 2018

कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी

July 05, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh
कई बार सोचा है मैंने इस बारे में

कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी
तो क्या बात होगी 
क्या पुरानी बातें फिर से उखड़ने लगेगी
या नए रिस्तों के साथ नई बातें होगी
अक्सर सोचता हूँ 
कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी 
तो क्या बात होगी 
क्या पुरानी शिकवे और शिकायते होगी
या नई चाहतो और मंज़िलों की बाते होगी
कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी 
तो क्या बात होगी 
क्या मस्जिदों की अज़ाने और मंदिरों की 
आरती भी साथ होगी
या फिर सहरा के सन्नाटो में बात होगी
मैं अक्सर सोचता हूँ इस बारे में
कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी 
तो क्या बात होगी
क्या तुम पहले की ही तरह मुझसे मिलोगी
या फिर जमाने की बंधनो में जकड़ी हुई 
सुगबुगाहटों भरी बातें होगी
कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी
तो क्या बात होगी
तेरी आँखों में कशिश क्या अब भी वही है
क्या उनमे अब भी ऊँची लहरें उठती है
क्या उसमे अब भी वही कशिश है
जो जमाने को ठहरने पे मजबूर कर दे
क्या तेरे किरदार में अब भी वो भोलापन है
जो पत्थर को पिघलने पर मजबूर कर दे


कई बार सोचा है मैंने इस बारे में

कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी
तो क्या बात होगी 

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Md Danish Ansari

Tuesday, 26 June 2018

Gauhar Jaan | The Musician & Dancer

June 26, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh - Gauhar Jaan

Bharat ki pahli mahila recording super star Gauhar Jaan ke 145ve janmdin par google ne unhe sammanit karte huye yaad kiya hai tatha unka Doodle bana kar post kiya hai ! 26 june 1893 ko janmi bhartiya sinema ki mashhoor gayika ka asli naam Angelina yoward tha, wah bharat ki pahli gaayika thi jinhone apne gaaye gaano ki bakayda recording karwai thi  or yahi wajah hai ki unhe bharat ka pahla recording super star ka darja mila hua hai !

13 saal ki umr me rape

Bhartiya sangeet ko shikhar par pahuchane wali Gauhar Jaan asal zindagi me Shoshan ka shikaar hui thi ! 13 saal ki umr me unka balatkaar hua tha , is sadme se ubharte huye Gauhar jaan ne apna Sikka sangeet ki duniya me aajmaya or wah Kaamyaab bhi hui ! Asal me Gauhar Jaan ki kahani 1900 ke dasak me mahilaon ke shoshan dhokhadhadi or sangharsh ki kahani hai ! Gauhar jaan ki kahaani ko Vikram sanpath ne apne saalo ki research ke baad apni kitaab “My Name Is Gauhar Jaan” ke naam se sabke saamne laaye !

Gauhar Jaan ne 600 se jyada gaane record kiye

Gauhar jaan ne lagbhag 20 bhashaon me Thumri se lekar BHajan tak gaaye hai unhone lagbhag 600 Geet record kiye the , gauhar jaan south india ki pahli mahila gaayika thi jinke gaane sangeet Gramophone company ne record kiye the! 1902 se 1920 ke bich “The Gramophone Company of India “ ne Gauhar Jaan ke Hindustani , Bangla, Gujrati, Marathi, Tamil, Arbi, Farsi, Pashto, Angreji or French Geeton ke 600 Disk nikaale the, dekhte hi dekhte unka dabdaba itna buland ho gaya ki Riyasaton or Sangeet Sabhaon me unhe bulana pratishtha ki baat hua karti thi !

Gauhar Jaan ji ki Background Information

Birth Name  – Angelina Yeoward
Born            – 26 june 1873 Aazamgarh,
                      UttarPradesh, India
Died            – 17 jan 1930 Umr – 56 saal , India
Genres        –  Ghazal, Thumri, Dadra
Occupation  – Musician, Dancer

Years active – 1900 – 1930 

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Md Danish Ansari

Sunday, 24 June 2018

Tu Khwaab Hai Bahut Khubsurat

June 24, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh

Tu   khwaab   hai.....  bahut   khubsurat 
Tujhse  hai   kyun    mujhko   mohabbat
Chahun...  tujhe...   maangu...   tujhe.. 
Har  dua  me  hai  fir  bhi  adhura  main
Khwaab hi to hai gujar kyun  nahi jaata
kyun  is  dil  me  meri  kasak   rahi  jata
Aana  hai  to  aa  kyun  tadpaye   mujhe
Kyun chhede mujhe kyun sataye mujhe
Bahut   khubsurat   khwaab   hi   to   hai
Tujhse  hai  fir   kyun  mohabbat  mujhe
Din raat   jaagu.....  bas   ek   tere   liye 
Neend  hai  ke  bojhal   ab  bhi   mujhpe
Palke hai meri ke  bas jhuk jhuk hi jaati
Aankhen hai fir  bhi Sone  ko nahi  jaati 
Dil  hai   ke   bas    Dhadakta   hi   rahta 
Or  khyaal  ke  roku  fir   bhi  rukti  nahi
Tu khwaab   hai.....  bahut   khubsurat... 
Tujhse   hai   kyun   mujhko   mohabbat
Ek   dhuan  hi  dhuan  bas  chaaro  taraf
Bhatak  rahi hai jaan meri hiran ke jaise
Adhure   khwaab   se...   itni   mohabbat
Na  dekha hai maine na suna  hai ab tak
Tu  khwaab  hi  to  hai bahut  khubsurat
Tujhse  hai  fir  kyun mujhko mohabbat

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Md Danish Ansari

Thursday, 14 June 2018

सुबह जब तुम्हे देखता हूँ

June 14, 2018 0 Comments
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सुबह जब तुम्हे देखता हूँ तो बहुत खुश हो जाता हूँ
एक अलग ताज़गी और  जोश से पूरा भर जाता हूँ
बड़ा बेताब  रहता है  मेरा  दिल  तुझसे  मिलने को
तेरी हर एक  मुस्कुराहट पर मैं  कुर्बान हो जाता हूँ
तुम्हारी   आँखों  में   कोई  खूबसूरत   सा  जादू   है 
जिधर   को   देखती  है   उधर  को   ठहर  जाता  हूँ 
बात करती हो तो एक  अलग ही दुनिया में होता हूँ 
उस  दुनिया  में बस  एक तुम  हो और  एक  हम है 
ये  खूबसूरत  एहसास मेरे  दिल के  बहुत करीब  है 
मैं  तुम्हे   कैसे  बताऊँ   तुम्हे   कितना   चाहता  हूँ 
मुझे तो खुद ही नहीं पता के तुम्हे कितना चाहता हूँ 
कभी कभी ये  सारे सवाल मुझे  अटपटे से  लगते है 
फिर भी  अगर ये  तुम्हारे लिए  एहमियत  रखते है 
तो मैं तुम्हे बताना चाहता हूँ 
समंदर की  गहराई से  ज्यादा है  तुमसे मोहब्बत 
आसमान की ऊँचाई से ज्यादा है तुमसे मोहब्बत 
हवा  की  ताज़गी  से  ज्यादा  है  तुमसे  मोहब्बत 
आग  की  तपिश  से  ज्यादा  है  तुमसे  मोहब्बत 
सितारों की  रौशनी से  ज्यादा है  तुमसे मोहब्बत 
चाँद  की  चाँदनी   से  ज्यादा  है  तुमसे  मोहब्बत 
मगर  सच   कहूँ   तो  यह  सब   कुछ   बेमानी  है 
क्योकि   मेरी   मोहब्बत    इनमे    से   कोई   भी 
न तौल सकता है और न ही उसको मोल सकता है
तुमसे मैं बस इतना ही कहना चाहता हूँ
सुबह जब तुम्हे देखता हूँ तो बहुत खुश हो जाता हूँ
एक अलग  ताज़गी और  जोश से पूरा भर जाता हूँ

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Md Danish Ansari

Friday, 8 June 2018

बड़े दिनों के बाद मैंने कुछ लिखा है

June 08, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh

बड़े दिनों के बाद मैंने कुछ लिखा है 
कुछ बातें लिखा है कुछ शिकायतें लिखा है 
तुम्हारे आने से लेकर तुम्हारे जाने तक का सफ़र लिखा है 

लिखा है मैंने के कैसे तुम बहार बन के आये 
ये भी लिखा के कैसे तुम मुझ पर बरसात बन के आये  
ये भी लिखा की चिलमिलाती धुप में कैसे तुमने छाव दी मुझे
कभी जुल्फों से साया किया तो कभी आँचल से साया किया 

ये भी लिखा है के कैसे किसी से बात न करते करते 
तुम्हारे साथ बैठे बिठाये खिलखिला गए 
लिखा है मैंने हर एक दास्ताँ हमारी मुलाकातों का  
लिखा है मैंने ये भी कैसे हम एक दुसरे के करीब आ गए 
सब कुछ लिखा है बस ये नहीं लिखा के 
कब क्यूँ कहाँ तुम मुझसे बेवफा से हो गए 
क्यों उन सारी बातों का वजूद मिटने लगा 
क्यों उन सभी वादों का सफ़र ख़त्म होने लगा 

क्यों सारी बातों की कशिश फ़ना हो गयी 
क्यों हर मुस्कराहट चीख ओ पुकार और आहों में बदल गयी 
सब कुछ लिखा है मगर तेरी बेवफाई लिखी न गयी 
तेरे टूटते वादों की चीखो पुकार लिखी न गयी 
लिखी न गयी मेरे आँखों में मरती हर उम्मीद की तकलीफ 
न लिखी गयी मुझसे मेरे जज्बातों की ख़ामोशी 
न लिखे गए मुझसे मेरे टूटते ख्वाबों के मंज़र 
न लिखे गए मुझसे मेरी मरती मोहब्बत के मंज़र 
सारी गालियाँ बद दुआएँ मैंने अपने नाम लिखा है और 

सारी तारीफे और दुआएँ तेरे नाम लिखा है 
मुझे ये अब भी गवारा नहीं के कोई तुझे गलत कहे 
मुझे यह गवारा नहीं के तुझसे कोई नफरत करे 
मुझे यह भी गवारा नहीं के तू ज़माने भर में बदनाम हो 
हाँ मैंने सब कुछ लिखा है बस तेरी बेवफाई नहीं लिखी 
तुम भले ही मुझे सबके सामने जलील करो 
मगर मैं किसी से तुम्हारा सच न कहूँगा 
मेरे लिए यह काफी है के सच तू जानती है 
बड़े दिनों के बाद मैंने कुछ लिखा है 
तुम्हारे आने से लेकर तुम्हारे जाने तक का सफ़र लिखा है 

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Md Danish Ansari

Wednesday, 6 June 2018

आज किसी खुशबु से मुझे मिलना है

June 06, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh

आज बहारों की बहार से
रंगो की मुस्कान से
आज मुझे मिलना है
आज किसी खुशबु से मुझे मिलना है
कोई तो बताओ जरा उनसे कैसे मिले
क्या पहन के जाऊँ
क्या संवर के जाऊँ
चेहरे पे मुस्कान और
दिल में घबराहट ले के जाऊँ
कोई तो बताओ जरा उनसे कैसे मिले
आज किसी खुशबु से मुझे मिलना है
क्या कुछ तोहफे उसके नाम
ले के जाऊँ
या फिर यूँही बस खाली हाँथ
ले के जाऊँ
क्या उसकी तारीफ में कुछ
अलफ़ाज़ कह जाऊँ
या फिर यूँही खामोश चुप चाप
हो के गुजर जाऊँ
आज किसी खुशबु से मुझे मिलना है
कोई तो बताओ जरा उनसे कैसे मिले

नोट : खुशबु = महक 

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Md Danish Ansari

Tuesday, 5 June 2018

शुक्रिया | Thanks

June 05, 2018 0 Comments

लगभग शाम हो ही चली थी सूरज क्षितिज पे था मौसम सुहाना था खुशनुमा था मैं अपने दुकान में बैठे बैठे लोगो को आते जाते देखता रहा सुबह से शाम हो गयी और अभी तक मैंने दिन की पहली बोहनी नही किया था बार बार मैं आज के दिन को लेकर दुखी हो जाता फिर आसमान पर जैसे ही नज़र पड़ती दिल खुश हो जाता बहुत ही खूबसूरत सुहाना मौसम था ! मैं जवान था इसलिए यह ख्याल आया काश इस सुहाने मौसम में हमसफ़र साथ होता तो ये शाम और भी खूबसूरत होती फिर कुछ देर बाद मैंने मन ही मन में ये कहा छोडो यार ये इश्क़ फरमाने की बातें जब ज़ेब और पेट खाली हो तो ये इश्क़ और मोहब्बत ही साँप और बिच्छू बन कर डसने लगते है ! उसके बाद मैंने आँख बंद करके खुदा से दुआ करने लगा ए मेरे मालिक ए सारे कायनात को बनाने वाले इसके कर्ता धर्ता क्या तेरे इस गुनहगार बन्दे को आज क्या खाली हाँथ ही लौटा देगा क्या तू मुझसे इतना ख़फ़ा है की तू अपने बेसुमार खजाने से मुझे एक बून्द भी अता नही कर सकता मेरे गुनाहों को माफ़ कर मेरे मालिक और अपने इस गुनहगार बन्दे को अपने खजाने से कुछ हलाल-ए-रिज़्क़ अता कर दे ! इतनी सी दुआ करके मैंने अपनी आँख खोला तो देखा सामने एक खातून खड़ी है मेरे तरफ पीठ करके दूकान में कुछ देख रही है, मैं फ़ौरन कह उठा आपको कुछ चाहिए और वो पलटी मैं बस वही चित हो गया उसने सामान जो ख़रीदा सो ख़रीदा मैंने उस खातून के बेग में उसके ख़रीदे सामान के साथ अपना दिल भी पैक कर दिया और मुझे खबर भी न हुई आज वो खातून मेरी ज़िन्दगी और मौत दोनों जहाँ में हमसफ़र है और हम आज मिट्टी के छः फुट गड्ढे में दफ़्न है ! शुक्रिया ज़ुलेखा मेरा साथ निभाने के लिए शुक्रिया युसूफ मुझे अपने सफर का हमसफ़र बनाने के लिए शुक्रिया मेरे मौला हमे ये खूबसूरत ज़िन्दगी देने के लिए और शुक्रिया मौत से मिलाने के लिए मौत के बगैर ज़िन्दगी अधूरी है जैसे मैं और तुम !

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Md Danish Ansari

Wednesday, 30 May 2018

वो एक पहली नज़र

May 30, 2018 0 Comments

वो एक पहली नज़र जो तुझपे पड़ी 
गुम  हुआ  हाँ  मैं  गुम  हुआ 
तुम मानो ना मानो ये जो दिल है 
सिर्फ  तुझे  ही, चाहे..................
मुझसे जो की तुमने बात 
आया नहीं मुझको कुछ भी ख्याल
सुनते रहे बस तेरी ही बाते 
उलझी हुई थी ये मुलाकाते 
वो एक पहली नज़र जो तुझपे पड़ी 
गुम  हुआ  हाँ  मैं  गुम  हुआ 
क़रीबियाँ थी फिर भी दूरियाँ थी 
समझोगे तुम कैसे समझाऊँ कैसे 
हर याद तुझसे मुझसे जुडी है और 
हर बात तुझसे शुरू मुझपे ख़त्म हुई
फिर यूँ एक दिन कुछ जादू सा हुआ 
तेरी आँखों मैं कुछ तो जादू सा हुआ 
होंठ खामोश थे फिर आँखें बोलती 
लबो पे तुम्हारी दबी मुस्कुराहटें थी 
और फिर तुम बहुत करीब आके 
कानो में कह गयी क्या................
वो एक पहली नज़र जो तुझपे पड़ी 
गुम  हुई  हाँ  मैं  गुम  हुई 
मानो न मानो चाहती हूँ तुमको 
खुद से भी ज्यादा मानती हूँ तुमको 
जानती हूँ मैं भी चाहते हो मुझको 
कहते फिर क्यों नहीं जो कहना चाहो 
फिर...... फिर क्या हुआ ???
फिर यूँ कुछ हुआ जादू हुआ 
जो भी हुआ बहुत अच्छा हुआ 
वो एक पहली नज़र जो तुझपे पड़ी 
गुम  हुआ  हाँ  मैं  गुम  हुआ 
हाँ मुझे तुमसे मोहब्बत हुई..... 
हाँ मुझे भी तुमसे मोहब्बत हुई


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Md Danish Ansari


Tuesday, 29 May 2018

दरख़्त | Darakht

May 29, 2018 0 Comments

कई हज़ारो साल पहले इस ज़मीन पर एक बाहरी दुनिया से एक बीज आया और इसकी सतह से टकरा गया बारिश हुई और वह अंकुरित होने लगा और फिर धीरे से एक पौधा बना धीरे धीरे हवा पानी मिटटी और रौशनी ने इसे सिचा और वह धीरे धीरे बढ़ता हुआ आखिर एक विशाल दरख़्त में बदल गया! इस दरख़्त का फल बाकि आस पास मौजूद दरख्तों से ज्यादा मीठा और रसदार था इसके एक फल से ही आपका पेट तो भर जाता मगर आपका मन नहीं भरता धीरे धीरे इसकी शाखाये बढ़ती गयी इसके बीज दूर दूर तक फैलते गए और देखते ही देखते पूरा एक जंगल तैयार हो गया हरा भरा और खूबसूरत जंगल दूर दूर से जानवर परिंदे सब यहाँ आ कर रहने लगे जिससे इस जंगल की खूबसूरती और बढ़ गयी यहाँ हर तरह के जानवर थे चाहे वो शाकाहारी हो या मांसाहारी ! सभी जानवर मिल जुल कर रहते थे सभी अपनी प्रकृति के अनुसार ही व्यवहार करते थे ! मांसाहारी जानवर शाकाहारियों को खाते और शाकाहारी जानवर पेड़ पौधो को खाते और इस तरह पूरी एक खाद्य श्रृंखला निर्मित हो गयी फिर उन्ही में से कुछ ऐसी प्रजातियां भी पनपी जो इन दोनों को खाती थी और इस तरह से यह जंगल फलने पलने लगा फिर अचानक से कुछ जानवरो ने अपनी प्रकृति के अनुसार व्यवहार करना बंद कर दिया उसने बाकि जानवरो पर अपना दबाव बनाना शुरू कर दिया और धीरे धीरे पुरे जंगल में इसी तरह के व्यवहार सभी में आने लगा और जंगल के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग जानवरो और परिंदो ने कब्ज़ा कर लिया फिर उन जानवरो में आपसी संघर्ष हुआ क्योकि पुरे जंगल में हर चीज हर जगह नहीं थी और अपनी जरूरतों के लिए वो एक दूसरे पे हमला करने लगे इसी तरह सब चलता रहा साल बीते और सदियाँ बीती मगर खाना बदोशी जंगो का सिलसिला नहीं रुका कुछ परिंदो ने समझदारी दिखाई और शांति बहाल करने की नियत से उनमे आपसी समझौते करवाए मगर इसके बावजूद बेवजह क़त्ल होते रहे और पुरे जंगल की जमीन पर लहू की मोटी परत जम गयी यह परत साल दर साल बनती रही और फिर बारिश का पानी जंगल में न ठहर सका और दरख़्त मरने लगे जंगल के उस सबसे पुराने पेड़ ने आसमान से मदद मांगी मगर आसमान के बेतहासा बारिशों के बाद लहू की वो मोटी परत तो जरूर ढीली हो गयी मगर इसका असर और भयानक हो गया लहू में मौजूद नमक पानी में घुल कर मिटटी को खारा बना दिया अब और देखते ही देखते जंगल मरने लगा और अपने ही अंदर सिमटने लगा मिटटी अब उपजाऊ नहीं रही और देखते ही देखते सारा जंगल तबाह हो गया और वो सभी जानवर और परिंदे भी तबाह हो गए जो सालो से आपस में लड़ रहे थे और वो दरख़्त भी धीरे धीरे मर गया उसकी ये हालत देख आसमान खूब रोया इतना रोया की ज़मीन की घिसावट शुरू हुई और पानी ने उसे बहा कर उसे अथाह गहराई के खाई में इकठ्ठा होने लगा और देखते ही देखते खारे पानी का विशाल दरिया बन गया और जमीन पहले की तरह उपजाऊ हो गयी खाना बदोशी जंग और संघर्षो के बिच कुछ बीज जमीं में दबे हुए थे और फिर वो अंकुरित हुई और एक पौधे की शक्ल लेने लगा आसमान ज़मीन हवा और रौशनी ने उसे सहारा दिया और वह धीरे धीरे बड़ा होते हुए एक विशाल दरख़्त में तब्दील हो गया और फिर से जमीन हरी भरी और बेसुमार खूबसूरती में तब्दील हो गयी ! 

सिख : इस पूरी कहानी में इंसान वो जानवर है जिसने जंग शुरू की और खुद की तबाही का ज़िम्मेदार बना हम वो जानवर है जो धर्म , जाति , सम्प्रदाय , संस्कृति , राजनैतिक , आर्थिक , सामाजिक , खान , पान , वेश , भूषा , बोली , भाषा , रहन , सहन , वैचारिक और न जाने किन किन वजहों की वजह से एक दूसरे से जंग लड़ रहे है और वो खूबसूरत दरख़्त यानि हमारी ज़मीन अब धीरे धीरे मर रही है आसमान चाहे जितना बरसे वह पानी अब इसपर ठहरता नहीं है और जा मिलता है तेज़ी से अथाह गहराई वाले खारे समंदर में !


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Md Danish Ansari

Sunday, 27 May 2018

|| शैतान का मुँह ||

May 27, 2018 0 Comments

आज सुबह जब उठा तो हर रोज़ की तरह सब कुछ ठीक ही था कुछ वक़्त हुआ ही था मुझे उठे हुए की अम्मा और मझले भाई में बहस शुरू हो गयी अम्मा को मझले भाई की हरकते पसंद नहीं वो घर का कोई भी काम नहीं करता उसके लिए ये घर एक होटल की तरह है और खून के रिश्ते उसके सेवक है और वो कस्टमर, बैड से उठा आँगन की तरफ गया तो बड़ा भाई न जाने सुबह सुबह किससे बहस में लगा हुआ था घंटो गुजर गए और वह मोबाइल में सामने वाले से किसी बात पर बहस करता रहा यहाँ लोग सुबह उठते ही अपने काम के लिए दौड़ लगाते है और यहाँ सब लोग बहस में लगे हुए थे मन किया सबको चिल्ला कर बोलूँ बस करो बहुत हो गया फिर सोचा अगर मैंने अपनी जबान खोली तो फिर मैं भी इसी बहस का हिस्सा हो जाऊंगा बाथरूम में नहाते नहाते ये ख्याल आया, लगता है आज सब शैतान का मुँह देख कर उठे है कब से एक दूसरे के खिलाफ मुँह बाए हुए है और एक दूसरे को समझने की कोशिश भी नहीं कर रहे बस आग उगल रहे है शैतान के मुँह में जहन्नम की आग की तरह लपट रहे है ये सोचते हुए मैं चुप चाप खुदा का नाम ले कर अपने काम पर चला गया !

सीख : अपनी ज़बान पर काबू रखो जब बहस की स्थिति बने तो अपनी जबान पे ताले जड़ दो जहन्नम में सबसे ज्यादा बदजुबानी लोग होंगे !

Md Danish Ansari

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Thursday, 24 May 2018

Bade Din Huye Tumse Baat Nahi Hui...

May 24, 2018 0 Comments

Bade din huye tumse baat nahi hui
Na hii na hello or na hi koi faltu sa joke bheja tumne
Is bich lagataar baar baar maine tumse baat karna chaha
Magar tumse koi reply ki umeed hi nahi rahi
Shayad ab tum bhi mujhse ubb gayi ho
Shayad tum ab apni zindagi me badi mashruf ho gayi ho
Shayad ab hum, tumhare akelepan ke sathi nahi
Shayad tujhe mujhse behtar koi mahfil mil gayi ho
Pahle to kabhi aisa hua nahi fir ab kyun
Shayad waqt badal gaya or tumbhi badal gayi ho
Mujhe yaad hai tumne ek baar kaha tha mujhse
Jo waqt ke sath badalta nahi wo fana ho jaata hai
Tumne hi kahi or tumne hi amal kiya
Sach kahun to main yahi chahta hun
Main kisi bhi qimat par khud ko badalna nahi chahta
Main khud ko fana to karna chahta hun
Magar tere liye kuch kar bhi jaana chahta hun
Main khaak hone ko taiyaar hun har waqt
Bas mujhe sirf ek aise waqt ki talash hai
Jis pal me main tere liye kuch kar sakun
Humara sath bahut khubsurat raha
Jitna bhi raha bahut hi behtarin or bemishal raha
Tum soch bhi nahi sakti ke kitne betaab rahte the hum
Tere intezaar me har waqt rahte the hum
Subah mujhse dekhte hi teri good morning wish
Mere dil ko behisaab khushiyon ke liye kafi thi
Khair khaak dalo in sab par meri dua hai
Tum jaha raho khush raho aabaad raho bas itna hi


Note : Ek khubsurat khwaab jiski kabhi tabeer nahi ho sakti

Md Danish Ansari

Tuesday, 24 April 2018

मुझे भी तमन्ना होती है तेरी

April 24, 2018 0 Comments


मुझे भी तमन्ना होती है तेरी 
तुझे भी क्या मुझसी तड़प उठती है
ख्यालों ख्यालों में रहता हूँ हर वक़्त 
तुझे भी क्या मुझसी तलब होती है
कहना मैं चाहूँ पर कुछ भी न कह पाऊँ
तुम्ही बता दो मैं कैसे जताऊँ
है इस दिल में प्यार जो तेरे लिए है
कैसे मैं उसको तुझसे मिलाऊँ
मुझे भी तमन्ना होती है तेरी
तुझे भी क्या मुझसी तड़प उठती है
गुजर जाती है दिन तुझको याद करके
रातें गुजरती है तेरी फरियाद करके
तीनों पहर में ख्याल है मुझको
तू मेरी नही किसी और कि है 
लड़ लड़ मैं जाता सबसे यहाँ पे
जो तुम ये कहती इश्क़ है तुमसे
मगर कोई अफ़सोस नही है मुझको
जो भी हुआ है तेरे हक़ में हुआ है 
सिर्फ इश्क़ ही यहाँ जरूरी नही है
क़ाबील बनाना पड़ता है खुद को
इश्क़ का रंग मुझपे भी चढ़ा है
उसकी खूबसूरत यादों का 
मुझ पर पहरा है 
वो रगो में दौड़ती है लहू बनके मेरी 
उसकी एक एक मुस्कान का 
मेरी आँखों में बसेरा है
इश्क़ में हम तो हम ही नही है
कहता है ज़माना के बस तू ही तू है
मैं मैं भी अब रहा नही साक़ी
अब तू ही बता मुझमे मेरा क्या है बाकि

मुझे भी तमन्ना होती है तेरी

तुझे भी क्या मुझसी तड़प उठती है

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Md Danish Ansari