Monday, 27 August 2018

नन्ही चिड़िया - Inspiration Story | Begining

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Mera Aqsh - Nanhi Chidiya | Inspiration Story
घर के पास एक बिहि के पेड़ पर एक नन्ही सी चिड़िया का घोसला था ! वो अक्सर सुबह पहले उठती और देर शाम को वापस अपने बसेरे पर आ जाती इस घोसले को बनाये अभी उसे कुछ ही महीने हुए थे ! उसका घोसला मेरे बेड के पास से ही लेटे हुए अपने बाजु वाली खिड़की से देख सकता था ! छुट्टी वाले दिन कभी कभार मेरी नज़र उसके घोसले पर पड़ती तो वो कभी खाली होता तो कभी वो नन्ही सी चिड़िया उसमे उछल कूद कर रही होती तो कभी उसमे कुछ और तिनके बुन रही होती ! यह सब जब मैं देखता तो अजीब सा एहसास होता ऐसा सुकून महसूस होता जैसे कोई धीरे धीरे आपको ख़ुशी दे रहा हो और आपको उसमे मज़ा आ रहा है लेकिन आप उसे बता नहीं सकते और न ही किसी को समझा सकते है !

इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में जब थक हार कर अपने कमरे में वापस लौटता तो अपने बेड पे जाते ही नज़रे कभी कभी उसे ढूंढ़ने लगती ! गर्मी का मौसम आ गया जबरदस्त गर्मी पड़ रही थी ! एक दोस्त ने मुझे मैसेज किया  की गर्मी का वक़्त है थोड़ा सा अनाज और पानी परिंदो के लिए छत पर रखा करो क्योकि वो प्यासे और भूके मर जाते है ! मैंने हलके से झुक कर खिड़की के बाहर देखा तो वो चिड़िया वही थी ! उसकी चहचहाट बहुत खूबसूरत थी कभी कभी तो वो मेरे खिड़की के पास आ बैठती तो मैं उसे बस देखते रहता की आखिर ये करना क्या चाहती है ! वो इधर से उधर फुदकते रहती मुझे अच्छा लगता था मैंने उसके लिए अपनी खिड़की के पास अनाज और पानी रख छोड़ा था ! वो अक्सर आती दाना चुगति और हलकी सी आवाज़ पर भी फुर से उड़ जाती !

दिन यूँही गुजरते गए और बारिश का मौसम आ गया मुझे बारिश बहुत पसंद है और भीगना भी मैं जानता हूँ ज्यादातर लोगो को बारिश का मौसम पसंद नहीं पर मुझे पसंद है ! एक दिन मैं अपने दोस्त के घर से लौट रहा था रात काफी हो चुकी थी और जोरो की बारिश हो रही थी ! मैं फिर भी बाइक धीरे धीरे चलाता रहा ! भीग भी रहा था अचानक से हवा तेज़ हो गयी तो ढंड लगने लगी हाँथ भी कापने लगे ! मैं धीरे धीरे बढ़ता रहा तभी अचानक से टायर स्लीप हुआ मैंने गाड़ी को संभालना चाहा मगर गलती से एस्क्लेटर दे दिया और मेरी बाइक सीधे साइड में लगे लोहे डिवीडर से टकराया और मैं फैका गया ! मुझे पैरो में काफी चोट लगी थी खून बह रहा था पर मैं उठ नहीं पाया बहुत कोशिश करने के बाद भी नहीं फिर बेहोश हो गया ! सुबह आँख हॉस्पिटल में खुली फिर मेरे दोस्तों ने मुझे घर पहुँचाया डॉक्टरों का कहना था की रात भर मेरा खून बहता रहा जिससे मेरे शरीर में खून की कमी हो गयी साथ ही पैर की कुछ खास नशों को ज्यादा चोट लगी जिससे खून बहुत बहा और वह सिकुड़ कर एक दूसरे से चिपक सी गयी यही वजह थी की मुझे अपने सीधे पैर में जान महसूस नहीं हुई !
डॉक्टर तो यहाँ तक बोल गए की शायद ये पैर अब कभी काम न करे मैं इस बात को लेकर काफी परेशान रहता ! फिर एक दिन बिस्तर पर लेटे लेटे अचानक से मुझे उस नन्ही चिड़िया का ख्याल आया तो मैंने खिड़की से बाहर देखा तो उसका घोसला वहा नहीं था वो डाल शायद उसी तूफ़ान में टूट गया था जिस दिन मेरा एक्सीडेंट हुआ था !

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