Wednesday, 8 August 2018

फिर भी तेरी यादों के निशाँ बाकि है

mera aqsh, mera aks, md danish ansari, author ansari, urdu shayri, hindi shayri, poetry,
Mera Aqsh

तेरी यादों पे जमती रही है धूल मगर 
फिर भी तेरी यादों के निशाँ बाकि है 
एक मोटी परत है धूल की मगर देखो 
उसमे भी तेरे नाम के हर्फ़ बाकि है 
कभी उभरता है तो साफ़ दीखता है 
कभी छुपने की नाकाम कोशिश करता है
कभी मेरे पीछे बेसुध दौड़ पड़ता है 
तो कभी छुप छुपा कर पीछा करता है 
अजीब दास्ताँ है मेरी और तेरी यादों का 
कभी खिलती धुप की तरह है, तो 
कही टिमटिमाती लौ की तरह है 
सच कहता हूँ। ....... 
तेरी यादों पे जमती रही है धूल मगर 
फिर भी तेरी यादों के निशाँ बाकि है 
कभी तड़पता हूँ तो कभी खुश होता हूँ 
कभी रूठता हूँ कभी खुदी को मनाता हूँ 
शहर-ए-यार में इन आँखों ने हुश्न का दीदार बहुत किया है 
मगर इस दिल ने एक तेरे सिवा किसी से न वफ़ा किया है 
किसी भूली बिसरी कहानी की तरह है 
फिर भी यहाँ तेरी यादों के निशाँ बाकि है
तेरी यादों पे जमती रही है धूल मगर 
फिर भी तेरी यादों के निशाँ बाकि है। 

*****

Md Danish Ansari

No comments:

Post a Comment