Thursday, 5 July 2018

कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी

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Mera Aqsh
कई बार सोचा है मैंने इस बारे में

कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी
तो क्या बात होगी 
क्या पुरानी बातें फिर से उखड़ने लगेगी
या नए रिस्तों के साथ नई बातें होगी
अक्सर सोचता हूँ 
कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी 
तो क्या बात होगी 
क्या पुरानी शिकवे और शिकायते होगी
या नई चाहतो और मंज़िलों की बाते होगी
कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी 
तो क्या बात होगी 
क्या मस्जिदों की अज़ाने और मंदिरों की 
आरती भी साथ होगी
या फिर सहरा के सन्नाटो में बात होगी
मैं अक्सर सोचता हूँ इस बारे में
कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी 
तो क्या बात होगी
क्या तुम पहले की ही तरह मुझसे मिलोगी
या फिर जमाने की बंधनो में जकड़ी हुई 
सुगबुगाहटों भरी बातें होगी
कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी
तो क्या बात होगी
तेरी आँखों में कशिश क्या अब भी वही है
क्या उनमे अब भी ऊँची लहरें उठती है
क्या उसमे अब भी वही कशिश है
जो जमाने को ठहरने पे मजबूर कर दे
क्या तेरे किरदार में अब भी वो भोलापन है
जो पत्थर को पिघलने पर मजबूर कर दे


कई बार सोचा है मैंने इस बारे में

कभी मेरी तुम से मुलाकात होगी
तो क्या बात होगी 

*****

Md Danish Ansari

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