Thursday, 11 October 2018

बहुसंखयक समाज अल्पसंखयक समाज से क्यों डरता है

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Mera Aqsh
गोंडवाना लैंड के विभाजन से पहले सभी देश एक ही महाद्वीप का हिस्सा थे जिसे गोंडवाना लैंड कहा जाता है ! धरती के भाहरी परत में टूट और उसके बिखराओ ने बहुत सारी सीमाओं का सीमांकन किया एक तरफ जहा उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका का निर्माण हुआ वही दूसरी तरफ यूरोप महाद्वीप का निर्माण हुआ वही अफ्रीका का और कुछ इसी तरह एशिया महाद्वीप का निर्माण हुआ ! भारत जोकि कभी अफ्रीका से लगा हुआ था वह टूट कर हिन्द महासागर से होता हुआ चीन से जा कर टकराया पृथ्वी के बाहरी परतो का आपस में यूँ मिलना और उनका एक दूसरे के अंदर सरकना इसकी वजह से हिमालय का निर्माण हुआ ! आपको जान कर यह हैरानी होगी की यह खिसकाओ आज भी जारी है और हर साल माउन्ट एवेरेस्ट की उचाई करीब आधा सेंटीमीटर बढ़ जाती है ! 

इसके बाद दुनिया के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग महान सभ्यताओं का विकास हुआ जिसमे सबसे पुरानी सभ्यता थी मेसोपोटामिया उसके बाद मिश्र की सभ्यता फिर भारत की हड़प्पा और मोहन जोदरो की सभ्यता फिर चीन की सभ्यता और फिर अमेरिका की माया सभ्यता और इन सभ्यताओं में सबसे पहले जिन दो सभ्यताओं का मिलन हुआ वो थी मेसोपोटामिया और मिश्र की सभ्यता यह इस लिए भी संभव हुआ क्योकि दोनों सभ्यताओं की सरहद लगभग सटी हुई थी ! कई विद्वानों का तो यह भी कहना है की मेसोपोटामिया सभ्यता ही मिश्र की सभ्यता है पर इसमें बहुत विवाद है ! उसके बाद मिश्र से अरब का विकास हुआ और अरबो का आना जाना भारत में हुआ जिससे अब दुनिया की तीन सबसे बड़ी सभ्यताएं एक दूसरे के सम्पर्क में आ चुकी थी अरब भारत से ववपार करते थे ! जबकि दुनिया की दो और सभ्यताएँ हम उनसे और वो हमसे बिलकुल अछूते थे क्योकि एक तरफ हिमालय था तो दूसरी तरफ विशाल समुद्र शायद यही वजह रही की इन सभ्यताओं का आपस में मिलान नहीं हुआ बहुत लम्बे वक़्त के लिए !

दुनिया बदलती गयी उसके साथ ही सभ्यताएँ विकास करने लगी वहाँ भी जीवन पनपा जहा जीवन की कोई सम्भावना ही नहीं होनी थी ! समय और अंतरिक्ष ने मानव जाति को विकास करने और आगे बढ़ने का पूरा मौका दिया और उसका हमने भरपूर उपयोग भी किया और इसी के साथ दुनिया भर के अलग अलग हिस्सों में राज व्यवस्था का उदय हुआ सब एक से बढ़ कर एक थी और सभी ने अपना शक्ति विस्तार किया दुनिया में शायद ही कोई ऐसी रजवावस्था होगी जिसने अपने शरहद और शक्ति का विस्तार न किया हो और इसी शक्ति और सिमा विस्तार में कई अलग अलग संस्कृति आपस में टकराई ! भौतिक विज्ञानं में हमे पढ़ाया जाता है की जब दो पार्टिकल्स आपस में टकराते है तो पहले विनाश होता है फिर उसी विनाश से निर्माण का काम शुरू होता है ! यही नियम दुनिया भर की सभ्यताओं का आपस में टकराना और उनका विध्वंश होना और उनके विध्वंश से फिर नयी संस्कृति और राजवावस्था का जन्म होना इसका प्रमाण है !

खैर वक़्त के साथ सब कुछ बदलता है हमारी पूरी दुनिया बदल गयी फिर आया हमारा युग जिसे हम आधुनिक युग कहते है ! इसी आधुनिक युग की शुरुआत में राष्ट्रवाद की शुरुआत हुई वैसे इस आधुनिक युग से पहले राष्ट्र की अवधारणा तो थी मगर वह उतनी मजबूत नहीं थी जब तक राष्ट्रवाद की अवधारणा सामने न आयी फिर उसके बाद दुनिया भर में राष्ट्रवाद के नाम पर बहुसंख्यक समाज अल्पसंख्यक समाज के साथ राष्ट्रवाद के नाम पर सिर्फ और सिर्फ बर्बरता ही दिखाई है ! यह बात मैं किसी एक देश के लिए नहीं कह रहा यह दुनिया भर के मुल्को पर फिट बैठता है फिर चाहे वो यूरोप में यहुदिओं का कत्लेआम हो या फिर अमेरिका में गोरे लोगो के द्वारा काले लोगो का शोषण ! आप दुनिया के हर एक मुल्क का इतिहास और उसका आज देख लीजिये कल भी बहुसंख्यक समाज एक झूठे डर का सहारा लेकर अल्पसंख्यक समाज को कुचलता रहा है और आज भी वही हो रहा है ! यह अल्पसंख्यक समाज सिर्फ धर्म के आधार पर नहीं है बल्कि कही रंग के आधार पर है तो कही नस्ल के आधार पर कही संस्कृति के आधार पर तो कही भाषा के आधार पर मेरे कहने का तात्पर्य यह है की बहुसंखयक समाज हमेशा अल्पसंखयक समाज का शोषण करता रहा है किसी एक वक़्त या जगह पर यह अपवाद हो सकता है !

मगर ज्यादातर यही देखा और पाया गया है एक ही जैसी सोच मान्यता संस्कृति सभ्यता और भाषा बोलने और उन्हें फॉलो करने वाले लोग हमेशा से अपने से अलग लोगो से डरते रहे है ! उनका ये डर जोकि बेबुनियाद है अक्सर आक्रामक हो जाता है फिर शुरू होता है कत्लेआम का वो दौर जिसमे इंसानी ज़िन्दगी का कोई महत्व नहीं रह जाता ! अब सवाल यह है की बहुसंख्यक समाज भला अल्पसंखयक समाज के लोगो से डरता क्यों है ? इसकी वजह साफ़ है हम इंसानो ने अपने अंदर ही एक तरह का सुरक्षा कवच तैयार कर लिया है जिसे हम दिमाग की प्रोगरामिंग करना कह सकते है ! हम अपने दिमाग को इसी बात में यकीं दिलाते रहते है की जो हमारे जैसा दीखता है उनसे हमे कोई खतरा नहीं यहाँ दिखने का मतलब हर तरह के स्तर पर है जैसे धर्म जाती संस्कृति नाम रहन सहन पहनावा खाना पीना इत्यादि ! जहा उनके बिच कोई ऐसा व्यक्ति आ जाता है जिसका नाम अलग है पहनावा अलग है बोलने खाने पिने रहन सहन सब कुछ भिन्न है, वैसे ही बहुसंख्यक समाज सुरक्षा की मुद्रा में आ जाता है जबकि यह बात सच है की उसे किसी तरह का खतरा नहीं है ! इसके बावजूद वह हर कीमत पर सामने वाले को कुचल देना चाहता है वही अगर उन्ही के जैसा कोई व्यक्ति भले ही उन्हें ज़िन्दगी भर छलता रहे उनका शोषण करता रहे फिर भी वह उसमे विश्वास दिखाते है और यह कहने में कुछ गलत नहीं की यह आधुनिक समाज में लोगो की सबसे निचले स्तर की मूर्खता मात्र है !

नोट : आप मेरे विचारो से असहमत हो सकते है !

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Md Danish Ansari

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