ये न समझना के अब हम तुमसे मोहब्बत नहीं करते
बात ये है की हुनर आने लगा है इसे छुपाने का तुमसे
कई रातों से सोये नहीं हम और काम कर रहे
काम क्या ख़ाक कर रहे काम तमाम कर रहे
आँखें लाल हो रही और पलके बोझल हो गयी
नींद न आने की बीमारी हाय मुझे कैसे हो गयी
रातों को करवट बदलते रहे आँखों को बंद किये हुए
न जाने कब कैसे आँख लगी ही थी की सुबह हो गयी
दिमाग थक चूका है शरीर टूट रहा है
फिर भी चल रहा हूँ समय की धारा में
तुम ये भी सोचती होगी शायद के, मेरे लफ्ज़ो में तेरा ज़िक्र नहीं है
मगर तुम गौर से देखो तो हर लफ्ज़ और हर हर्फ़ एक तुम्ही से है
तुम कभी न भूलना के कोई है कही इसी दुनिया में किसी जगह पे
जो तुमसे मोहब्बत करता था करता है और हमेशा करता रहेगा
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Md Danish Ansari
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