Thursday, 22 March 2018

ख्वाब | Dream


कल रात फिर मुझे नींद नहीं आयी पता नहीं किस बात का मुझे परेशानी थी पूरी रात बिस्तर पर बस करवंटे बदलता रहा कभी इधर कभी उधर खुद को कोसता रहा सो जा बे नालायक कल ऑफिस भी जाना है तुझे, मगर एक नींद थी की रात के पहर में कही दूर दूर तक नहीं थी ! मैं सोना चाहता था पर सो ही न पाया अपनी पलकों को बार बार बंद करता मगर ये बार बार खुल जाते जैसे कोई मेरे सिरहाने बैठा हो और मुझे जगा रहा हो ये कह रहा हो की मुझे नींद आ नहीं रही और तुम यहाँ मजे से सोने की तैयारी में हो !
रात भर करवंटे बदलता रहा कभी नींद पर गुस्सा करता तो कभी खुद पर पूरी रात सो न सका, सुबह करीब छः बजे के आस पास मेरी आँख लगी ही थी के बहन ने मुझे आवाज़ लगा कर जगा दिया 

ओये उठ पता नहीं क्या क्या बड़बड़ाता रहता है मुझमे उस वक़्त जैसे बिजली सी दौड़ गयी मैं फ़ौरन आँख खोल दिया और उठ कर बैठ गया एक बार उठा तो फिर दुबारा नहीं सोया बस यही सोचता रहा की पता नहीं क्या क्या कहा होगा मैंने बहन बता रही थी की इतने जोर जोर से बड़बड़ा रहा था की मेरी आवाज़ से अम्मी की नींद खुल गयी ! काफी देर बाद मैंने खुद ही पूछ लिया वैसे मैं नींद में क्या कह रहा था - पता नहीं कुछ समझ नहीं आया मुझे ! 
मैंने चैन की साँसे ली और मन ही मन कहा बच गया बैठा दानिश तू वरना पता नहीं कितनो के आज राज खुल जाते जिसमे से एक तेरा भी होता इन सबसे एक बात तो यह मैं समझ गया की मुझे जितना जागते हुए सावधान रहना है उससे कहीं ज्यादा सोते वक़्त रहना होगा ! आप सोच रहे होंगे यार वो ख्वाब क्या था - बस इतना समझ लीजिये बहुत खूबसूरत और खास था और डरावना भी जो किसी से कह नहीं सकता!

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Md Danish Ansari

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