Friday, 30 March 2018

कुछ टूट रहा कुछ बिखर गया

March 30, 2018 0 Comments

कुछ टूट रहा कुछ बिखर गया 
मुझमे जैसे कोई रेत सा फिसल गया 
सिर्फ बाहर को ही शाम होती नहीं यहाँ 
एक शाम उतर रही चुपके से मुझमें 
स्याह अँधेरा कुछ पल में ही हो जायेगा 
वो मुझे अपने गिरफ्त में ले जायेगा 
तू आ और रौशनी कर मेरे अंदर 
मुझे रास्ता दिखा मुझी को मेरे अंदर 
डूब जाये न कही मेरी ज़िन्दगी का सूरज 
तू आ और मेरी कुछ तरबियत कर 
मैं वक़्त का मारा हुआ हूँ मेरे खुदा 
तू अपनी कलम से मेरी हिफाजत कर
मैंने कागज़ के नाओं पे तेरे नाम के सहारे 
सफर पर निकल चूका हूँ तेरे ही सहारे 
डूबता हूँ तो डूब जाऊँ परवाह नहीं मुझको 
तू मुझे कभी याद करे इस दरिया के किनारे 
कोई पूछे की ये दरिया कौन सी है 
तो कहना एक पागल बन्दे की है 
जिसने कागज के नाओं पे मेरा नाम लिखा 
लहरों से जा टकराया एक मेरे नाम के सहारे
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Md Danish Ansari

Thursday, 22 March 2018

ख्वाब | Dream

March 22, 2018 0 Comments

कल रात फिर मुझे नींद नहीं आयी पता नहीं किस बात का मुझे परेशानी थी पूरी रात बिस्तर पर बस करवंटे बदलता रहा कभी इधर कभी उधर खुद को कोसता रहा सो जा बे नालायक कल ऑफिस भी जाना है तुझे, मगर एक नींद थी की रात के पहर में कही दूर दूर तक नहीं थी ! मैं सोना चाहता था पर सो ही न पाया अपनी पलकों को बार बार बंद करता मगर ये बार बार खुल जाते जैसे कोई मेरे सिरहाने बैठा हो और मुझे जगा रहा हो ये कह रहा हो की मुझे नींद आ नहीं रही और तुम यहाँ मजे से सोने की तैयारी में हो !
रात भर करवंटे बदलता रहा कभी नींद पर गुस्सा करता तो कभी खुद पर पूरी रात सो न सका, सुबह करीब छः बजे के आस पास मेरी आँख लगी ही थी के बहन ने मुझे आवाज़ लगा कर जगा दिया 

ओये उठ पता नहीं क्या क्या बड़बड़ाता रहता है मुझमे उस वक़्त जैसे बिजली सी दौड़ गयी मैं फ़ौरन आँख खोल दिया और उठ कर बैठ गया एक बार उठा तो फिर दुबारा नहीं सोया बस यही सोचता रहा की पता नहीं क्या क्या कहा होगा मैंने बहन बता रही थी की इतने जोर जोर से बड़बड़ा रहा था की मेरी आवाज़ से अम्मी की नींद खुल गयी ! काफी देर बाद मैंने खुद ही पूछ लिया वैसे मैं नींद में क्या कह रहा था - पता नहीं कुछ समझ नहीं आया मुझे ! 
मैंने चैन की साँसे ली और मन ही मन कहा बच गया बैठा दानिश तू वरना पता नहीं कितनो के आज राज खुल जाते जिसमे से एक तेरा भी होता इन सबसे एक बात तो यह मैं समझ गया की मुझे जितना जागते हुए सावधान रहना है उससे कहीं ज्यादा सोते वक़्त रहना होगा ! आप सोच रहे होंगे यार वो ख्वाब क्या था - बस इतना समझ लीजिये बहुत खूबसूरत और खास था और डरावना भी जो किसी से कह नहीं सकता!

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Md Danish Ansari

Tuesday, 20 March 2018

Tum Kaun Piya | First Part

March 20, 2018 0 Comments

Meri yaadon me Tum mere khwabo me Tum
jara bata do itna Mujhe ke Tum kaun piya

Jab bhi udas hoti hun tum aa jate ho 
Bina koi dastak ke Tum ho kaun piya

Main to tumhe janti bhi nahi pahchanti bhi nahi
Fir bhi kyun apne se lagte ho ye bata do piya

Kahte ho ke Main apna gum tumhe de dun
Is Qadar ye meharbani mujh par kyo hai piya

Jab bhi udas hoti hun tum mere kareeb hote ho
Ankhon me ask mere hote magar rote tum kyo piya

Sajti hun sanwarti hun khilkhilati hun hansti hun
Tum dur se hi muskurate ho Tum ho kaun piya

Kitne baar kaha hai tumse ke na aaya karo
Magar Tum ho ke haq apna ada kerne aa jate piya

Meri yaadon me Tum mere khwabo me Tum
Jara bata do itna Mujhe ke Tum kaun piya

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Md Danish Ansari

Sunday, 18 March 2018

हिन्दू नव वर्ष | Hindu New Year

March 18, 2018 0 Comments

ग्रंथो में लिखा है की जिस दिन  सृस्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया उस दिन चैत्र शुदी 1 रविवार था ! हम सभी के लिए आज का ये संवत्सर 2075 बहुत ही महत्वपूर्ण है ऐतिहासिक रूप से और हमारे हिन्दू भाई बहनो के लिए यह धार्मिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योकि इस वर्ष भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रविवार है शुदी और "शुक्ल पक्ष एक है !
चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तारीख को सृस्टि का आरम्भ हुआ था।  हिन्दू नव वर्ष चैत्र प्रतिप्रदा को शुरू होता है इस दिन ग्रहो और नक्षत्रों में दिशा परिवर्तन होता है हिंदी महीने की शुरुआत इसी दिन से होती है !

इसी समय सभी पेड़ पौधों में फूल मंजर कली आते है वातावरण में एक नया जोश होता है जो मन को मोह लेता है ! जीवो में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है और इसी दिन ब्रम्हा जी ने सृस्टि का निर्माण किया था भगवान विष्णु का प्रथम अवतार इसी दिन हुआ था साथ ही साथ नव रात्र की शुरुआत इसी दिन से होती है जहा हिन्दू भाई बहन उपवास रखते है !

वैष्णव दर्शन भी चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है चैत्र का आध्यात्मिक स्वरुप इतना उन्नत है की इसने बैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया। न शीत न ग्रीष्म पूरा पावन काल है श्री राम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के ठीक नवे दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था।  आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन हुई थी यह दिन कल्प सृस्टि युगादि का प्रारंभिक दिन है।  संसार व्यापी निर्मलता और कोमलता के बिच प्रकट होता है हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का सम्बन्ध सिर्फ हमारे काल चक्र यानि समय से ही नहीं बल्कि साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है। 
चैत्र मास का वैदिक नाम है मधु मास मधु मास मतलब आनंद बाटती वसंत का मास। यह वंसत आ तो जाता है फाल्गुन में मगर पूरी तरह व्यक्त होता है चैत्र में पूरी प्रकृति खिलखिला उठती है फल पकने लगते है चारो और पकी फसल का दर्शन आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है खेतो में हलचल फसलों की कटाई हंसिए का खर खर करता स्वर खेतो में डांट डपट मजाक करती आवाजे जरा अपने देखने के नज़रिये को विस्तार दीजिये चैत्र क्या आया मानो खेतो में हंसी ख़ुशी की रौनक  गयी। 
नई फसल का घर में आने का समय भी यही है इस समय प्रकृति में सभी जिव जंतुओं पेड़ पौधों में नया जीवन रचने बसने लगता है।  गौर और गणेश पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान में की जाती है ! चैत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह वर्ष संवत्सर का राजा कहा जाता है , मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर मंत्री होता है , मेषार्क का मतलब क्या है असल में यह मेष राशि से बना है इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है इसी लिए इसे मेषार्क कहा जाता है संधि विच्छेद कुछ इस तरह है मेष + अर्क = मेषार्क। 

नव वर्ष एक उत्सव की तरह पुरे विश्व में अलग अलग स्थानों पर अलग अलग तरीको तथा विधियों से मनाया जाता है ! विभिन्न सम्रदायों के नव वर्ष समारोह अलग अलग होते है और इनके महत्व भी विभिन्न संस्कृतियों में अलग है अलग होती है जैसे -

इस्लामी कैलेंडर का नया साल मुहर्रम से शुरू होता है इस्लामी कैलेंडर पूरी तरह चाँद पर आधारित है जिसके कारण इसके बारह मासो का चक्र 33 वर्षो में सौर कैलेंडर का एक चक्र पूरा करता है। 

हिब्रू नव वर्ष - हिब्रू मान्यताओं के अनुसार ईश्वर द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे इस सात दिन के संधान के बाद नया साल मनाया जाता है। 

पश्चिमी नव वर्ष - नया साल 4000 साल पहले से बेबीलोन में मनाया जाता रहा लेकिन उस समय नए साल का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था ! रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने इसा पूर्व 45 वे वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की उस समय विश्व में पहली बार १ जनवरी को नया साल मनाया गया।  


नोट :- अगर लिखने मैं या किसी तरह की जानकारी साझा करने में कोई गलती हुई हो तो उसके लिए क्षमा का प्रार्थी हूँ। 
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Md Danish Ansari

Friday, 16 March 2018

Tu Sath Sath Hai Mere.....

March 16, 2018 0 Comments

Tu sath sath hai mere
Main sath sath hun tere

Dil jor jor se dhadke 
Jo hanth mera Tum thaame

Khil rahi hai har kali kali
Aaj baagon men muskura ke

Jo ek nazar tu dekh le
Main khil khila si jaun 

Jo chhu lo tum mujhe
Main sharm se dhal jaun 

Tu sath sath hai mere
Main sath sath hun tere

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Md Danish Ansari

Ye Sham Dhal Rahi Hai.....

March 16, 2018 0 Comments

Ye sham dhal rahi hai koi dur ho raha hai
Tum dur na ho mujhse ye dil kah raha hai 

Kahti hai meri aankhen jara sun lo mere sathi
Tujhe dekh lun jara fursat se ye dil kah raha hai 

Ye suraj jo Zarb hota ye kaha kaha ko jaata 
Ye sawal kyo kare Tum iska jawab nahi bhaata

Thahar thahar ke bite ye jo pal fisal raha hai
Hum wada kar rahe hai kal fir hum milenge

Ye sham dhal rahi hai koi dur ho raha hai
Tum dur na ho mujhse ye dil kah raha hai

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Md Danish Ansari

Tere Kareeb.....

March 16, 2018 0 Comments

Tere kareeb rahna chahun main
Tujhse alag nahi Tujhme rahna chahun main

Duriya ho tere mere bich magar itni bhi nahi
Tujhe har waqt har pal khud me mahsus karna chahun main

Khushboo ki tarah Mahak jaye tu
Or phoolon ki tarah bichh jaun main

Tere kareeb rahna chahun main
Tujhse alag nahi Tujhme rahna chahun main

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Md Danish Ansari

Wednesday, 14 March 2018

हमसफ़र | Humsafar Part-8

March 14, 2018 0 Comments

हम पुलिस स्टेशन पहुँचे और वहा काफी देर तक मुझ से पूछ ताक्ष किया गया उन्होंने मेरा पूरा बयान रिकॉर्ड किया फिर हम वहाँ से निकल कर वापस शबनम के घर गए कुछ वक़्त वहा रुकने के बाद मैं जाने लगा तो शबनम की अम्मी ने रोका ! तुम जाओगे कैसे ? जी ऑटो से , रुको मैं ड्राइवर से कह देती हूँ वो तुम्हे छोड़ आएगा ! जी सुक्रिया पर मैं चले जाऊँगा , नहीं बेटा तुम हमारे लिए इतने दूर से यहाँ तक आये हमारी बच्ची की मदद कर रहे हो हम तुम्हारे लिए इतना भी नहीं कर सकते ! जी ये तो बस मेरा फ़र्ज़ था मेरी जगह कोई और होता तो वह भी वही करता जो मैं कर रहा हूँ , शायद ? खैर मैं तुम्हारी एक नहीं सुनने वाली मैं गफ्फूर से कह देती हूँ वो तुम्हे छोड़ देगा ! ठीक है जैसा आप बेहतर समझे , मैं बाहर निकलने लगा तो फिर से उसकी अम्मी ने रोका अच्छा बेटा रात का खाना तुम हम लोगो के साथ ही खाना मैं गफ्फूर को भेज दूंगी वो तुम्हे लाने के लिए चला जायेगा ! जी इसकी क्या जरुरत थी खामखा आप जहमत उठा रही है मैं होटल में खा लूंगा , अरे बेटा जहमत कैसी तुम जब तक यहाँ हो हमारे मेहमान हो और महमानो का ख्याल रखना तो फ़र्ज़ है हमारा ! जी ठीक है आप जैसा बेहतर समझे चलता हूँ अस्सलाम वालेकुम - वालेकुम अस्सलाम !

मैं कार में बैठ गया गाड़ी चलने लगी और मैंने खिड़की से ऊपर की तरफ देखा तो दोनों ऊपर खड़ी हुई थी मैं बस हल्का सा मुस्कुराया ! रात हुई ड्राइवर के साथ मैं फिर शेख साहब के घर गया वहा सब मेरा इंतज़ार कर रहे थे ! देरी के लिए माफ़ी चाहता हूँ असल में रास्ते में ट्रैफिक जाम था , ये दिल्ली है बेटा ये सब आम बात है चलो तुम आ तो गए बेटी शबनम जाओ इसे हाँथ धुलवा दो खाने के लिए , जी अम्मी ! आईये , हाँथ धोने के बाद सब खाना खाने लगे काफी सारी बाते भी हुई सवालों और जवाबों का दौर चलता रहा खाने के बाद काफी बाते हुई मेरे और शेख शाहब के बिच असल में वो चाहते थे की मैं अदालत के कुछ तौर तरीको और सवालों और जवाबों को थोड़ा समझ लूँ उन्होंने साफ़ कह दिया की तुमने जो देखा वह तो तुम बता चुके हो लेकिन जब अदालत में होंगे तो तुम्हारी बात तभी मायने रखेगी जब तुम हर सवाल का जवाब सवाल को समझ कर बेहतर तरीके से दो मगर याद रहे इन सब से घबरा कर तुम कुछ उल्टा सीधा मत कह देना अगर तुम्हे सवाल समझ न आये तो चुप ही रहना ! मैं काफी देर तक उनकी हर एक बात सुनता रहा !

अच्छा जी अब मैं चलता हूँ काफी देर हो गयी है , ठीक है बेटा जाओ , अगर आप बुरा न माने तो क्या मैं संगीता से मिल सकता हूँ बस ज्यादा कुछ नहीं गुड नाईट कह देता , हाँ क्यों नहीं वो इस वक़्त छत पे होगी जाओ मिल लो -  सुक्रिया ! मैं ऊपर गया तो देखा संगीता रो रही थी मैं थोड़ा रुका और खांसा उसने तुरंत अपने आँसू पोछ लिए और खड़ी हो गयी ! अरे आप कब आये बस अभी थोड़ी देर पहले ही आप रो रही है ? नहीं तो , मुझसे झूट मत बोलिये आपकी आँखे बता रही है सब कुछ ! अरे नहीं वो तो मेरे आँखों में कचरा चला गया था तो उसी की वजह से कुछ आँसूं निकल आये सच सच बताइये क्यों रो रही थी आप आपने मुझे अपना दोस्त बनाया अब अगर आप मुझसे कोई बात छुपाएँगी तो मुझे लगेगा की आप सिर्फ मुझे दोस्त कहती है मानती नहीं है ! ऐसा नहीं है अफ़ज़ल , अगर ऐसा नहीं तो फिर बता दीजिये मुझे कम से कम आपका कुछ मन ही हल्का हो जाये बस कुछ अपने लोग याद आ रहे थे कितनी अजीब बात है न आज मेरे अपनों को ही मुझ पर भरोशा नहीं की मैं सच बोल रही हूँ और एक अंकल आंटी है जब उन्हें पता चला तो उन्होंने मुझे सपोर्ट किया अजीब है न कभी कभी खून के रिश्ते पराये से हो जाते है और कभी मुँह बोले रिश्ते खून के रिस्तों से भी ख़ास हो जाते है ! ये तो लोगो पर निर्भर करता है संगीता की वो अपने रिस्तों को कितनी अच्छी तरह से निभाते है और एक दूसरे को समझते है खैर तुम दुखी मत हो एक बार तुम ये कॅश जीत जाओ फिर सब तुम्हे अपना लेंगे ! पता नहीं शायद मेरे अपने मुझे अपना ले मगर क्या ये समाज और उसके लोग मुझे अपनायेंगे वैसे ही जैसे मैं पहले थी ! 

समाज भी तुम्हे आज नहीं तो कल अपना ही लेगा लेकिन किसी के भी तुम्हे अपनाने से पहले तुम्हे खुद अपने आप को अपनाना होगा अगर तुम खुद को नहीं अपना पाई फिर चाहे पूरी दुनिया तुम्हे अपना ले फिर भी तुम खुश नहीं रह सकती इसी लिए पहले खुद को अपनाओ ! तुम्हे ये अच्छी तरह से पता है की जो कुछ हुआ उसमे तुम्हारी गलती नहीं थी तुमने मना किया था उसे पर वो न रुका तुम्हारे इक्षा के विरुद्ध वह सब कुछ हुआ तो फिर बताओ मुझे किस आधार पर तुम अपने आप को दोषी ठहराओगी ! याद रहे संगीता तुम अकेली नहीं हो हम सब तुम्हारे साथ है मैं सिर्फ इतना ही कहूँगा तुम हमारे हार मानने से पहले हार मत मानना देखो समाज तो पहले ही तुम्हे हारा हुआ समझता है तो क्यों न तुम ऐसे लड़ो अपने हक़ के लिए की एक मिशाल क़ायम हो जाये ! शायद तुम सही कह रहे हो ? अगर मैं सही कह रहा हूँ तो चलो ये आँसूं पोछो और खबरदार जो तुम फिर किसी के सामने या अकेले में रोई ! उसने हाँ में सर हिलाते हुए सर निचे कर ली 

अरे इतना लेट हो गया मुझे अब चलना चाहिए अच्छा अब इजाजत दे मुझे काफी देर हो गयी है और कल कोर्ट भी तो जाना है ! ठीक है चलिए मैं आपको निचे तक छोड़ आती हूँ ! सब लोग मुझे गेट तक छोड़ने आये बस एक शबनम ही नहीं थी उनमे मैंने पूछा तो उसकी अम्मी ने कहा वो आज जल्दी सो गयी है बस इसी लिए ,  ठीक है अब मैं चलता हूँ सबको सलाम करके मैं गाडी में बैठ गया और सबको बाए कर ही रहा था की शबनम ऊपर अपने टेरिस पे कड़ी हुई दिखी मैंने उसे देखते हुए अदब से थोड़ा सर को झुका कर सलाम किया उसने भी वही से मुझे सलाम की और फिर गाड़ी चल पड़ी होटल की तरफ जहा मैं ठहरा हुआ था !

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कहानी आगे जारी है। .........

नोट :- अगर आपने हमसफ़र का सातवाँ भाग नहीं पढ़ा है तो इस लिंक पे क्लिक करें
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Md Danish Ansari

Tuesday, 13 March 2018

ज़िक्र | Mention

March 13, 2018 0 Comments

ये न समझना के अब हम तुमसे मोहब्बत नहीं करते 
बात ये है की हुनर आने लगा है इसे छुपाने का तुमसे 

कई रातों से सोये नहीं हम और काम कर रहे 
काम क्या ख़ाक कर रहे काम तमाम कर रहे 

आँखें लाल हो रही और पलके बोझल हो गयी 
नींद न आने की बीमारी हाय मुझे कैसे हो गयी 

रातों को करवट बदलते रहे आँखों को बंद किये हुए 
न जाने कब कैसे आँख लगी ही थी की सुबह हो गयी 

दिमाग थक चूका है शरीर टूट रहा है
फिर भी चल रहा हूँ समय की धारा में 

तुम ये भी सोचती होगी शायद के, मेरे लफ्ज़ो में तेरा ज़िक्र नहीं है
मगर तुम गौर से देखो तो हर लफ्ज़ और हर हर्फ़ एक तुम्ही से है 

तुम कभी न भूलना के कोई है कही इसी दुनिया में किसी जगह पे 
जो तुमसे मोहब्बत करता था करता है और हमेशा करता रहेगा 

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Md Danish Ansari

Saturday, 10 March 2018

मान लिया X = ?

March 10, 2018 0 Comments


जब आपने ये टाइटल पढ़ा होगा तो आपको अजीब लगा होगा, है न की भला ये कैसा टाइटल है X = ? , जी हाँ ये बहुत कमाल का टाइटल है इसी टाइटल से हम सबकी जिंदगी जुडी हुई है आपकी मेरी आपके आस पास सभी मौजूद लोगो की !
मेरा एक सवाल है दर्द और दुःख क्या है ?
आप में से बहुत से ये लोग कहेंगे की जो शारीरक चोट हो तो दर्द होता है जैसे की अगर कोई आपको मारे तो आपको दर्द होता है टांग टूट जाये दर्द होता है चोट लग जाये दर्द होता है ! जब भावनात्मक चोट हो तो दुःख सही कहा न मैंने , लेकिन अगर मैं आपसे यह कहूँ की इस दुनिया में दर्द तो होता है मगर दुःख नहीं होता तो क्या आप यकीं करेंगे ! जाहिर है बहुत से लोग कहेंगे भला ये कैसे हो सकता है की दुःख हो ही न, हमारा कोई अगर अपना मर जाये तो दुःख नहीं होगा क्या कोई बहुत प्यारा अगर हमसे बिछड़ जाये तो दुःख नहीं होगा क्या ?
आपका सवाल सही है और इसी तरह के सभी सवालों का जवाब हमारे आज के टाइटल में छुपा है ***मान लिया X = ?***
दुःख हमे दो चीजो के वजह से होता है (1) पोजीशन (2) रिलेशनशिप
पोजीशन क्या है ?
माँ बाप भाई बहन मालिक नौकर अमीर गरीब पत्नी पति बेटा बेटी स्टूडेंट एम्प्लोयी मेनेजर क्लर्क बॉस कलेक्टर जज प्रधानमंत्री वगेरा वगेरा वगेरा , क्यों यही है न पोजीशन !
रिलेशनशिप क्या है ?
किसी भी पोजीशन पे रहते हुए जब आप दुसरे किसी पोजीशन वाले से किसी तरह जो व्यवहार करते हो उस व्यवहार से जन्मे मन मस्तिस्क के उत्तर को हम रिलेशनशिप कहते है !
समझ में नहीं आया न मैं आपको बताता हूँ ! आप अभी क्या हो आप एक आदमी या औरत है ठीक है लेकिन जैसे ही आप माँ बनती हो या पिता बनते हो बेटी या बेटा बनते हो तो फिर आप एक पोजीशन पे हो ! अगर आप शराब पीते हो तो आप अपने माँ बाप को या अपनी बीवी और बच्चो को नाराज करते हो फिर वो कहते है की आपने उन्हें दुःख पहुचाया ऐसा करके ! मगर सवाल यह है की आपके शराब पिने से भला उन्हें दुःख कैसे हुआ आपने उन्हें तो नहीं पिलाया अब इसे ही कुछ ऐसा करो की अगर आप शराबी हो तो किसी दुसरे शराबी को शराब पिला दो अपने रुपये से वो भी उसे फ्री में बिना उससे कुछ लिए तब वह क्या कहता है या आपके साथ कैसे व्यवहार करता है जाहिर है वह आपके इस व्यवहार से खुश हो जायेगा ! पर ऐसा हुआ क्यों एक तरफ आपके घर के लोग जहा नाराज़ हुए वही दूसरी और एक शराबी खुश हो गया कैसे ! यहाँ भी वही दो वजह काम करती है एक तो पोजीशन और दूसरा रिलेशन शराबी होना एक पोजीशन है अपने उसे शराब पिलाया वो रिलेशन के तहत है !
असल में हमारी पूरी ज़िन्दगी इन्ही दो चीजों से पूरी तरह घिरी हुई है और हम यह भूल जाते है की हम इंसान है हम अपने खुद को भूल जाते है और पोजीशन और रिलेशन के बिच फंस जाते है !
आप खुद सोचिये पति क्या है या बॉय फ्रेंड या गर्ल फ्रेंड क्या है या बेटा या बेटी क्या है और इन सभी की वजह से आपका दुःख क्या है पिता = व्यवहार, पत्नी = व्यवहार, बेटी = व्यवहार, बेटा = व्यवहार, बॉय फ्रेंड = व्यवहार, गर्ल फ्रेंड = व्यवहार, ये सभी X = ? में ही है जहाँ X = पोजीशन है , वहीँ ? = रिलेशनशिप है !
जब कोई लड़की आपको छोड़ के जाती है तो आप कहते है की आप दुखी हो मगर क्या यह सच है आपको दुःख इसलिए है क्योकि आप अभी भी उसी पोजीशन पे बने हुए हो यानि की बॉयफ्रेंड और आप खुद को दुखी इस लिए महसूस करा रहे हो क्योकि आप अभी भी उसी रिलेशनशिप से उम्मीद लगाये हुए हो ! हमे यह नहीं भूलना चाहिए की पोजीशन आती है जाती है और उसी के मुताबिक हमारा रिलेशनशिप भी बदलता रहता है ! एक गरीब कहता है वह बहुत दुखी है अपने गरीबी से मगर एक मिडिल क्लास खुद को उससे तुलना करके खुश  हो जाता है वही जब वो मिडिल क्लास का व्यक्ति किसी अपने से ज्यादा रुपये कमाने वाले से खुद को तौलता है तो फिर दुखी हो जाता है ठीक एक गरीब की तरह तो फिर बताइए गरीब क्या है और अमीर क्या है पोजीशन ही तो है वास्तव में हम सब इंसान है यह कहते तो है मगर मानते नहीं है कबूल नहीं करते की हम एक इंसान है और ये पूरी दुनिया एक रंग मंच है जहा हम सभी अलग अलग करैक्टर प्ले कर रहे है लेकिन यह हम पर निर्भर करता है की हम वह करैक्टर प्ले करना चाहते है की नहीं साथ ही हमे यह भी समझना होगा हर व्यक्ति अलग है उसकी सोच अलग है उसका पोजीशन अलग है उसका रिलेशन अलग है आप उनसे किसी भी चीज की उम्मीद सिर्फ तब तक कर सकते है जब तक वो उस करैक्टर को प्ले करता है अगर नहीं करता तो आप उससे उम्मीद नहीं करनी चाहिए बल्कि मेरा तो यही कहना है की हमे किसी से किसी भी चीज की उम्मीद नहीं करनी चाहिए मगर क्या वाकई नहीं करनी चाहिए ! जब आप ये उम्मीद करना छोड़ देंगे उस दिन आप सही मायनो में हर बंधन से मुक्त हो कर आज़ाद हो जाओगे मगर हम सब को यह ज़िन्दगी जीना पसंद है मुझे भी अगर ऐसा है तो फिर मैं आपको यह सब क्यों बता रहा हूँ ! इसकी वजह यह है की आप किसी भी पोजीशन और रिलेशनशिप के चक्कर में इतना न खो जाये की खुद के वजूद को ही भुला बैठे याद रखिये आप एक मुख्तालीफ़ इंसान है आपके जैसा न तो कोई पहले था और न अब है और न कभी कोई होगा ! जब भी आपको बहुत ज्यादा दुःख हो तो मेरे इस फोर्मुले को याद जरुर करना X = ? और देखिएगा आपको दुःख महसूस ही नहीं होगा !
हम बस मान लेते है की ये मेरा पति है ये मेरा बेटा है ये मेरी पत्नी है ये मेरी बेटी है ये मेरा बॉय फ्रेंड है ये मेरी गर्ल फ्रेंड है वगेरा वगेरा तो अगली बार याद रखियेगा इस फोर्मुले को – मान लिया X ( पोजीशन ) = ? ( रिलेशनशिप, व्यवहार )

नोट :- इस लेख में शराब या किसी भी नशीले पदार्थ का जिक्र करने का मतलब यह नहीं है की मैं उसे अच्छा मानता हूँ या उसका समर्थन करता हूँ ! नशा करना सेहत के लिए हानिकारक है !

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Md Danish Ansari

Thursday, 8 March 2018

औरत | Women's | Happy Women Day

March 08, 2018 0 Comments

औरत ये शब्द सुनते ही आपके मन मस्तिष्क में किसका चेहरा उभर कर आता है शायद माँ का, कहते है माँ ही वो जात है जो अपनी औलाद से बगैर स्वार्थ के मोहब्बत करती है और कोई नहीं बाकि सभी रिस्तो में कुछ न कुछ स्वार्थ होता ही है ! अब इस बात या विचार में कितना सत्य है और कितना झूट मैं नहीं जानता मैं तो बस इतना जानता हूँ की मेरी माँ मेरी परवाह करती है ! हर वक़्त बस हमारे बारे में सोचती है हमारे लिए जीती है कभी कभी तो ऐसा लगता है की ये माँ का कोई अपना वजूद भी है की नहीं बेशक उसी ने बच्चो को इस दुनिया में लाया मगर उसकी ज़िन्दगी उन्ही बच्चों के इर्द गिर्द घूमती रहती है और उन्हें पता भी नहीं चलता की कब वो उम्र के एक छोर से दूसरे छोर पर आ खड़ी हुई है !

सुना है औरत को कोई नहीं जान सकता और न ही उसके मन की अथाह गहराई को कोई माप सकता है पर ऐसा क्यों है ! शायद इसकी वजह यह रही हो की हमने कभी औरतो को अपने घर में और बाहर ऐसा माहौल बना कर ही नहीं दिया जिसमे वो अपनी बाते खुल कर रख सके ! कभी कभी जब वो अपनी बात रखती भी है तो घर और समाज दोनों बवाल करने लगते है यह सिर्फ किसी एक घर की कहानी नहीं और न ही किसी एक मुल्क की बात है यह हर तरह के समाज में आप देख सकते है फिर चाहे वह समाज या मुल्क कितना ही तरक्की पसंद हो या फिर कितना ही पिछड़ा हुआ ! अक्सर महिलाओं के कपड़ो को लेकर लोग जज करते है कमैंट्स पास करते है फिर उन्ही महिलाओं पे सबसे ज्यादा पुरुष फ़िदा भी होते है भले ही वह सिर्फ जिस्मानी जरूरियात लिए ही हो ! इससे एक बात तो तय होती है की हर वह पुरुष जो महिलाओं के छोटे कपडे पर ऐतराज जताता है मगर वही पुरुष अक्सर छोटे कपडे पहनी हुई औरतो पर डोरे डालता है तो वह उस औरत को सिर्फ अपने बिस्तर तक ही लाना चाहता है न की उसे अपनी बीवी बनाना !

ऐसे पुरुष सही मायनो में ढोंगी है जो समाज और घर परिवार में शराफत का मुखौटा ओढ़े रहते है और मौका मिलने पर सबसे पहले कपड़े उतारने में आगे होते है ! विद्या बालन जी की डर्टी पिक्चर में एक लाइन उन्होंने कही थी जब औरत अपने कपड़े उतारती है न तो सबसे ज्यादा मज़ा शरीफों को ही आता है ! मैं बस इतना कहूँगा की अगर कोई पुरुष इस लेख को पढ़ रहा है तो एक बार वो आत्म मथन जरूर करें की जिस तरह वो दुसरो की माँ और बहनों के साथ हमबिस्तरी होने को बेताब है तो क्या वो इस बात को भी तवज्जो देते हुए प्यार से क़बूल करेंगे की कोई और मर्द उनकी माँ बहन के साथ हमबिस्तरी हो ! यहाँ एक बात औरतों के लिए भी है जब आप अपना तन मन किसी को सौपने जा रही हो तो उससे पहले सामने वाले से ये जरूर पूछ लीजियेगा की जिस तरह मैं तुमसे मोहब्बत करती हूँ और तुम्हे अपना सब कुछ देने जा रही हूँ तो क्या तुम इस बात को स्वीकार करते हो की कल को अगर तुम्हारी बहन भी किसी को अपना सब कुछ सौपे अपनी मर्जी से तो तुम्हे उस पर कोई ऐतराज नहीं होगा ! अगर वह इस बात पे गुस्सा करें और आप पर चिल्लाये तो फिर अब आपकी मर्जी है की इसके बावजुद भी अगर आप उसे अपना सब कुछ सौंपना चाहती हो तो सौंप सकती हो ! लेकिन जहाँ तक मैं देख रहा वहा सिर्फ औरत की हार हुई है और हर उस पुरुष की जीत हुई जो औरत को अपनी निजी सम्पत्ति समझता है और सिर्फ एक सम्भोग मात्र वस्तु जो हाड़ मास से ज्यादा कुछ नहीं ! जिसमे न तो आत्मा है न कोई सोच न कोई भावना और न ही आत्म सम्मान वाली कोई और बात और हाँ प्लीज दुबारा फिर कभी औरतों के हक़ और उनकी बाते मत करियेगा क्योकि आप इस लायक नहीं रही क्योकि आप खुद औरत की हमदर्द नहीं बल्कि उसकी खुली दुश्मन है !

मेरे मुस्लिम भाइयों से सिर्फ इतना कहना चाहूँगा की अपने घर की औरतों और बाहर की औरतों पर पर्दा करने का पैगाम देने से पहले यह जरूर याद रखना औरतों को परदे के हुक्म से पहले खुदा ने तुम्हे अपनी नज़रों पर पर्दा करने का हुक्म दिया है ! मगर अफ़सोस मर्दों ने अपने नज़रों से पर्दा गिरा दिया और औरतों से इस बात की उम्मीद कर रहे है की वो पर्दा करें वाह क्या दोगलापन है खुद के चेहरे में कालिख लगी है और दूसरों को आइना दिखाते चल रहे है ! तुम अपनी आँखों पर पर्दा करों अपनी बहन से भी जब मीलों तो अपनी नज़रें नीची रखों पहले खुद का किरदार ऐसा बनाओं फिर अपने घर की औरतों से बाकि चीजों की उम्मीद करना अगर वो करना चाहे तो ठीक अगर न करना चाहे तो अल्लाह के हवाले क्योकि तुम्हारा अमाल और अमल तुम्हारे साथ और उनका उनके साथ ! मैं यहाँ किसी और धर्म के धार्मिक बातों का इस लिए उल्लेख नहीं कर रहा क्योकि मुझे नहीं लगता की यह सही होगा कही अगर भूल हो गयी तो खामखा का बवाल कौन अपने सर पे ले लेकिन इतना तो कह ही सकता हूँ की अगर औरत को देवी का स्वरुप मानते हो तो फिर उनसे अच्छा व्यवहार भी कीजिये किसी भूखे भेड़िये की तरह लार टपकाना बंद कीजिये !

वो मर्द जो औरत को नोच लेना चाहते है उसके जिस्म के हर एक गोस्त को नोचने के लिए लार टपका रहे नज़रों में हवस इतनी है की कुछ और नहीं देख पा रहे है तो उनसे सिर्फ इतना कहूँगा अगर दूसरों की बहन तुम्हे नज़र आ रही है तो दूसरों को भी तुम्हारी माँ और बहने नज़र आ रही है अगर तुम हैवान बन सकते हो तो भूलना मत उन्हें भी अपने अंदर के शैतान को बाहर लाने में कुछ ख़ास वक़्त नहीं लगेगा मगर इन सब के बिच तो अदरक की तरह औरत ही है अब यह औरतों पर है की वह क्या होना चाहती है अदरक या सही मायनों में औरत , एक ऐसी औरत जो अपने हक़ की लड़ाई खुद लड़े न की किसी से मदद की उम्मीद मैं बैठे रहे की कोई आएगा और उनसे कहेगा मैं तुम्हारे साथ हूँ तुम लड़ो ! भाड़ में गयी दुनिया और दुनिया वालो की मदद अगर तुम खुद की मदद नहीं कर सकती तो ईश्वर भी तुम्हारी मदद नहीं कर सकता !


दुनिया भर की औरतों को समर्पित जो अपने अपने हक़ की लड़ाई लड़ रही है फिर चाहे वह छोटी लड़ाई हो या बड़ी उन्हें भी समर्पित जो खूब लड़ी और हार गयी मगर कोशिश जरूर की बिना कोशिश किये हार जाने से बेहतर है कोशिश करते हुए शिकस्त हो जाना !


नोट :- अगर आप भी अपनी कहानी या कोई लेख या कविता गीत हमारे साथ शेयर करना चाहती/चाहते है तो आप मुझे अपना खुद का लिखा हुआ हमे  md.ansari.da@gmail.com  पर मेल करें अगर आप चाहती / चाहते है की आपकी पहचान गोपनीय रखी जाएँ तो आपकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी ! आपका दोस्त आपका भाई मोहम्मद दानिश अंसारी !
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Md Danish Ansari

Tuesday, 6 March 2018

हमसफ़र | Humsafar Part-7

March 06, 2018 0 Comments

अगली सुबह मैं दिल्ली के लिए रवाना हो गया मैंने एक होटल में कमरा बुक किया फ्रेश हुआ और संगीता को कॉल किया ! हाँ अफ़ज़ल जी कैसे है आप इतनी सुबह कैसे कॉल कर दिया आपने ? मैं दिल्ली में हूँ ! क्या आप मजाक कर रहे है , है न! जी नहीं मैं वाकई दिल्ली में हूँ और महाराजा पैलेस में ठहरा हूँ !  अब आप मुझे बताइये की मुझे आगे क्या करना है ? आप वही रुकिए मैं खुद आपके पास आती हूँ ! मैं तब तक नहा धो कर फ्रेश हो गया करीब ग्यारह पैतालीस पे डोर बेल बजी मैंने दरवाजा खोला तो एक लड़की सामने खड़ी थी , जी कहिये ? तभी साइड से वो सामने आयी ! ये मेरी नज़रो का धोखा था या फिर मैं इतने सालो बाद संगीता को देख रहा था उसका असर वह पहले से बहुत ज्यादा बदल चुकी थी और काफी खूबसूरत भी लग रही थी ! गुड मॉर्निंग , उसने कहा ! मैंने रिप्लाई किया , कैसी है आप ? अब सारी बाते यही दरवाजे पर करोगे या हमें अंदर भी आने के लिए कहोगे ? ओह सॉरी , प्लीज आईये न अंदर बैठ कर बाते करते है ! वो अंदर दोनों अंदर आयी , अफ़ज़ल ये है मेरी सहेली शबनम ! सलाम वालेकुम , वालेकुम सलाम प्लीज् आप लोग बैठिये न।   क्या लेंगी आप दोनों कॉफी या चाय ? जी सुक्रिया हम घर पे पी लिए है ! 
तो अब बताइये मुझे क्या करना होगा ? अगर आप तैयार हो तो आप हमारे साथ चलिए वकील से पहले आपको मिलाना वो जो भी पूछे आप उसका सीधा सीधा जवाब दीजियेगा उसके बाद ही वही बताएँगे की आगे हमे अब क्या करना है ! जी ठीक है। 
हम होटल से निकल गए बहार संगीता की सहेली गाड़ी में पीछे बैठी थी ! ये कार किसकी है ? मेरी सहेली की आइये ! मैं आगे की सीट पर बैठ गया और संगीता और उसकी सहेली पीछे बैठ गयी , शबनम ने कहा - गफूर भाई घर चलिए ? आपने तो कहा था की वकील से मिलने जा रहे है ! जी हाँ वही तो जा रहे है मेरे अब्बा वकील है और वही संगीता का केस लड़ रहे है तो अब हम चले ! जी ! मैं शबनम के घर गया वह उन्होंने मुझे शबनम के अब्बा से मिलवाया उन्होंने तो सलाम और दुआ के बात पुरे सवालों का लाइन लगा दिया उनके सवालो का जवाब देते देते मुझे जोरो की भूख लग गयी नास्ता भी नहीं किया था वैसे भी दोपहर के खाने का वक़्त तो हो ही गया था ! जब उनके सवालों और जवाबों का दौर ख़त्म हुआ तो फिर उन्होंने मुझे खाने पे दावत दिया वैसे भी मैं अंदर से बहुत ज्यादा भूखा था मगर क्या करता तहज़ीब नाम की भी कोई चीज़ होती है पहले तो मैंने मना कर दिया फिर उन्होंने मुझे दावत दिया तो फिर मैं मान गया हम खाने के टेबल पे थे खाना लगा और सब खाना शुरू कर दिए और मैं उन्हें देखता रहा ! वो इसलिए क्योकि वो छुरी और काँटों और चमचों से खा रहे थे जो मुझे पसंद नहीं मेरा भूख भी नहीं मिटती !
मुझे खाता न देख कर संगीता ने कहा आप कुछ खा क्यों नहीं रहे है कोई दिक्कत है क्या ? जी नहीं ! फिर मैंने न आओ देखा न ताओ सीधा अपने आस्तीन मोड़े और खाना शुरू कर दिया मुझे हाँथों से खाता देख शबनम जी के अब्बा मुस्कुरा बैठे और उनकी अम्मी रसीदा खातून भी मैं पूरा ध्यान खाने में लगाया और बस मजे से खाता रहा बाद में मुझे बहुत बुरा भी लगा और हंसी भी आयी बुरा इसलिए की वो मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे और हंसी इसलिए की मैं खुद पे ही हँसे जा रहा था ! खाना खा लेने के बाद शेख साहब ने कहा की हम कुछ देर के बाद पुलिस स्टेशन जायेंगे वह भी आपको वही बाते बतानी है जो तुमने मुझे बताई है उनका रवैया कड़क भी हो सकता है और नरम भी तुम बोल तो पाओगे न वहाँ वैसे हमारे पास तुम्हारे अपने शहर के पुलिस वालो को दिए बयां की कॉपी तो है लेकिन यहाँ की पुलिस भी तुम्हारा बयां लेगी तो तैयार रहिएगा ? जी बेशक !


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कहानी आगे जारी है। .....

नोट :- अगर आपने हमसफ़र का छटवाँ भाग नहीं पढ़ा है तो इस लिंक पर क्लिक करें 


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Md Danish Ansari

Monday, 5 March 2018

मजदुर | Workers

March 05, 2018 0 Comments

इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में अब मैं खुद को अकेला महसूस करने लगा हूँ ! हर वक़्त मेरे आस पास लोगो का हुजूम होता है मगर फिर भी अकेला महसूस करता हूँ हर रोज एक ही काम घर से दफ्तर और दफ्तर से घर बस इन्ही दो जगहों में मेरी ज़िन्दगी घूंट कर रह गयी है और बड़ी तेजी से वृद्धावस्था की तरफ जा रही है ! मगर मेरा शरीर जवान है मगर उसमे वो जोश नहीं बचा जो युवावस्था में होता है मन जो चंगा होना चाहिए वो उदास है !
पुरानी ज़िन्दगी बहुत याद आती है जेब में रुपये नहीं थे मगर मन खुश था हर समय उमंग से भरा रहता मगर अब वो सारे उमंग कही खो गए है या फिर दब के रह गया है ! ऑफिस का माहौल भी कोई खुशनुमा माहौल नहीं है हर वक़्त बस एक ही शब्द हर किसी के दिमाग और ज़बान पर होती है वो है टारगेट ! दिन गुजरते है हफ्ते में  हफ्ते गुजरते हुए महीने में बदल जाते है सब कुछ बदल रहा है अगर नहीं बदलता तो वो है ऑफिस और इस मन की वो अवस्था जिसमे सबका हर्ष और उल्लास दफ़्न हो चूका है ! छोटे शहरों में रोजगार कम होता है और जो होता है उसमे रोजगार देने वाला मालिक इतनी सैलरी भी नहीं देता की उससे किसी का घर अच्छे से चल सके और उसमे भी मालिक यह पूरी कोशिश करते है की उसी कम सैलरी में हम कैसे मजदूरों की मेहनत और हुनर का एक एक बून्द निचोड़ ले फिर चाहे मजदूर या एम्प्लोयी अवसाद से ग्रस्त हो जाये या फिर उसकी सेहत बिगड़ जाये !

मैं अच्छी तरह जानता हूँ की जब आप मेरे इस लेख को पढ़ रहे होंगे तो यह कह रहे या सोच रहे होंगे की अगर काम करने वाली जगह में इतनी ही प्रॉब्लम है तो फिर काम छोड़ क्यों नहीं देते ! यकीं मानिये आप इस लेख को पढ़ने के बाद शायद एक बार या दो बार काम छोड़ने की बात कहे मगर सच यह है की मुझ जैसे लाखो नहीं बल्कि करोड़ों मजदुर और एम्प्लोयी है जिनके दिमाग में हर रोज और दिन भर में कई बार ये ख्याल आता है मगर बेरोजगारी इतनी ज्यादा है की कोई भी इस ख्याल पे अमल करने से डरता है ! मेरे देखते ही देखते मेरे बहुत सारे ऑफिस के एम्प्लोयी काम छोड़ दिए और जब उन्हें कोई काम न मिला तो फिर उसी ऑफिस को ज्वाइन कर लिए ! ऐसा जब होता है तो मालिकों का साहस बढ़ जाता है अपने एम्प्लोयी के शोषण को लेकर उसका खुराफाती दिमाग हर समय नए नए तरीके इजात करता  है मजदूरों की पूरी क्षमता को निचोड़ लेने के लिए , मैं आपको इन मालिकों के खुराफाती दिमाग की एक उपज के बारे में बताता हूँ -

आप मुझे बताइये - मान लीजिये आप किसी वजह से महीने के कई दिन ऑफिस नहीं गए क्योकि आप बीमार थे या फिर कोई फॅमिली इशू की वजह से तो जाहिर सी बात है ऐसी स्थिति में आपकी सैलरी कटेगी और यह सही भी है अब आप वापस काम पे आते है और पूरा जी तोड़ मेहनत करते है अपने टारगेट को पूरा करने के लिए और आप पूरा कर भी लेते है ! मगर अब जब बात इंसेंटिव यानि प्रोत्साहन राशि की आती है तो फिर से आपका मालिक आपके इंसेंटिव काट लेता है उतना जितने दिन आपने छुट्टी ली इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आप छुट्टी के लिए आवेदन दे कर गए थे या फिर बिना बताये गए थे बस आप छुट्टी पे थे इस लिए आपका इंसेंटिव यानि प्रोत्साहन राशि काटी जाती है ! 

अब आप मुझे बताइये क्या यह किसी भी तरीके से न्याय संगत है की एक एम्प्लोयी जो छुट्टी पे था आपने उसकी सैलरी भी काटी और फिर उसका इंसेंटिव भी काटा - इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की वह मजदुर या एम्प्लोयी छुट्टी बता कर किया था या बिना बताये !

मैं आपसे पूछता हूँ की दुनियाँ भर में जितने भी मजदुर है जितने भी ऑफिस वर्कर है उन्हें इंसेंटिव अटेंडेंस की वजह से मिलती है या उनके टारगेट अचीवमेंट की वजह से , जाहिर है उनके टारगेट अचीवमेंट की वजह से तो फिर छुट्टी करने पर जब मालिक सैलरी से रुपये काट लेता है तो क्या उसे यह अधिकार है की वह उनका इंसेंटिव भी काटे , जाहिर है नहीं ! अब आप में से बहुत से लोग यह सोच रहे होंगे की अगर ऐसा अन्याय हो रहा है तो एम्प्लोयी कोर्ट क्यों नहीं जाता , मगर इसमें भी एम्प्लोयी की ही हार है अगर वह कोर्ट जायेगा तो उसका बहुत सा समय वही गुजर जायेगा वो काम कब करेगा और कमाएगा कैसे क्योकि तब तक तो उसकी नौकरी भी जा चुकी होगी !

मजदुर जल्दी से हड़ताल नहीं करना चाहते क्योकि उन्हें इस बात का अंदाज़ा है की अन्याय के खिलाफ लड़ने वाली सारी बाते और सारी हीरोपंती सिर्फ किताबों में अच्छी लगती है हकीकत की दुनियाँ में नहीं मजदुर अगर एक हो भी जाये तो भी ये मील मालिक सरकार से हाँथ मिला कर इन मजदूरों के हाँथ पैर तोड़वाने का इन्हे बुरी तरह कुचल देने का पूरी कोशिश करते है और इसी बिच मजदूरों और एम्प्लोयी की माली हालत बिगड़ चुकी होती है जो उसे घुटने टेकने पर मजबूर करती है !

जब मजदुर विरोध प्रदर्शन या हड़ताल करता है तो वह न तो पुलिस की मार से टूटता है न ही मील मालिकों के अलग अलग हथकंडो से वह टूटता है तो खुद के अंदर बन रहे उस हालात से जो उसके परिवार को भूखा सोने पर मजबूर कर देते है ! दुनियाँ भर में लोग कुचले जा रहे है और वो पढ़े लिखे लोग जिन्हे यह दायित्व सौंपा गया था की वह हमारे अधिकारों की रक्षा करेंगे वो मालिकों के साथ मिलकर जल्लाद हो गए , सिर्फ कहने और दिखने के लिए ये राम होते है मगर हकीकत में ये रावण से ज्यादा आगे है ! वरना आप खुद सोचिये की जिस नोटबंदी में पुरे मुल्क के लोगो की आय में कमी हुई वही सिर्फ एक प्रतिशत पूंजीपतियों की आय में छब्बीस से सत्ताईस प्रतिशत की वृद्धि हुई क्या आप बता सकते है यह कैसे हुआ होगा ?

यह सिर्फ एक छोटा सा सच्चा उदाहरण था आपके लिए। ........ और इन्ही सब के बिच मैं हर रोज की तरह हारा हुआ थका हुआ और मरा हुआ घर पहुँच जाता हूँ सिर्फ सोने के लिए क्योकि इतनी ताक़त नहीं होती शरीर में की किसी से बात भी की जाये और गलती से किसी ने बात करने की कोशिश की तो ऐसे झुँझला उठता हूँ जैसे पता नहीं कितनी बड़ी बात हो गयी हो !
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Md Danish Ansari

Thursday, 1 March 2018

Holika Dhahan.....

March 01, 2018 0 Comments

Aaj holika dahan hai or tumhe iski khabar hai
Kyo na bhula de hum tum sare gile sikve apne
Kyo na ek nai shuruaat kare hum naye rang me
Aao is holika dahan me jala de har shikayat
Wo shikayto bhare khat jala do
Wo har lafz har alfaaz jala do
Hum apne dil me fir se ek diya rakhe hai
Aao is dil me us diye ko jala kar roshan karo
Iski prakash me hum tum roshan rahe
Isme hum apne pyar ka tel bharte rahe
Is holika dahan me hum apni burai ko jala de
Apni achhai ko apna le use or nikhar le
Yahan koi bhi sampurn nahi hai na tum or na main
Kuch gun mujhme hai jo tumme nahi
Kuch gun tujhme hai jo mujhme nahi
Aao hum dono ek hokar ek duje ko sampurn kar de
Is holika dahan me khud ko ek kar le
Aao milkar kare udghosh ek nai subah ka
Ek nai raah ek nai disha ka
Aao milkar jashn manayae holi ka
Rang bhare ek duje ki zindagi me
Kuch fike rang kuch chatkile rang
Or khele hum tum ishq ki holi
Tu mujhe rand de main tujhe rang dun
Mera rom rom mera har ang ang rang de
Aao mil kar khele ishq ki holi

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Md Danish Ansari