Saturday, 19 January 2019

सुना है

January 19, 2019 0 Comments
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सुना है उसके हुस्न पे कुदरत को नाज़ है
तो चलो उनका दीदार करके देखते है
सुना है उसकी नज़ाकत पर फूल भी कुर्बान है
तो चलो उसके नखरे उठा कर देखते है
सुना है उसके रुक्सार पे घटाए अंगड़ाइयाँ लेती है
तो चलो उन रुक्सार को जरा छू कर देखते है
सुना है उसकी जुल्फ पर जिन्नो परियों का बसेरा है
तो चलो उन जिन्नो परियों से मुलाकात करके देखते है
सुना है वो मुस्कुराये तो बहारें खिलखिलाती है
तो चलो उन बहारों को जरा छेड़ के देखते है
सुना है उसके कदम जहा भी पड़े वो ज़मीं हरी भरी हो जाए
अगर ऐसा है तो चलो उसे अपने दिल में ठहरा के देखते है
कहते है वो मेहमान नवाज़ी में सबसे आला है
तो चलो हम भी उनके मेहमान बन के देखते है
सुना है जब वो गाती है तो चिड़ियाँ सूर मिलाती है
तो चलो हम भी उसके सूर में सूर मिला के देखते है
सुना है जब वो बात करती है किसी से, तो उसका सब कुछ जीत लेती है
अगर ऐसा है तो चलो हम भी अपना दिल हार के देखते है
सुना है जब रात को उसकी आँखें नींद से बोझल हो जाती है
तो ख़्वाबों के मेले उसकी आँखों में लगते है
अगर ऐसा है तो चलो उसके ख़्वाबों में खुद को शामिल करके देखते है
सुना है उसकी आँखों में खंजर-वंजर चाक़ू-वाकु छुरियाँ-वूरियाँ सब कुछ है
तो चलो हम भी अपना सीना-विना दिल-विल सब आज़मा के देखते है
सुना है उसके शहर में उसे अब भी किसी का इंतज़ार है
तो चलो फिर हम भी अपनी किस्मत आज़मा के देखते है

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Md Danish Ansari

Monday, 7 January 2019

झगड़ालू दोस्त - Quarrelsome friend

January 07, 2019 0 Comments
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जो बात बात पर मुझसे लड़ती वो थी तुम 
पहले खुद ही लड़ती फिर सॉरी भी मुझी से कहलवाती ऐसी थी तुम 
जिसके हर कॉपी पे कहीं न कही मेरा नाम था, वो थी तुम
कभी कभी तो ऐसे लड़ती जैसे मार ही डालेगी 
फिर दूसरे दिन खुद ही पहले से आ कर बात करती 
और कहती - आज कल तेरे बड़े भाव चढ़े हुए है क्यों 
हम इतना लड़े और फिर एक हुए की 
सब यही कहते इनका कुछ समझ ही नहीं आता 
लड़ते है ऐसे की एक दूसरे के जानी दुश्मन 
और दोस्ती ऐसी की दाँत काटी रोटी
पर अब सब बदल रहा, तुम भी और मैं भी 
हमारे रिस्ते बदल रहे है और व्यवहार भी 
कभी जो मैं तुमसे बेधड़क मिलता था 
अब अदबो आदाब का ख्याल करता हूँ 
तुम मिलती हो बड़ी दूर से सलाम करती हो 
तुम हो तो वही मगर अब वो बात पहले जैसी नहीं
मैं भी वही हूँ मगर मुझमे भी वो बात नहीं 
हम दोनों का रिस्ता खुला बेबाक और बेधड़क का रहा 
 अब ये अदब तहज़ीब और दुरी दीवार की तरह लगती है
मगर सच तो यही है की, नए रिस्तो ने 
तुम्हे और मुझे बाँध रखा है और 
मैं भी अब इसी नए रिस्ते के साथ जीने की कोशिश करता हूँ 
ये समझने की कोशिश करता हूँ की 
पहले क्या था और अब क्या है 
वक़्त के साथ साथ सब कुछ बदल रहा है 
मैं भी तुम भी और हमारे रिस्ते भी 
मगर एक बात दिल से कहता हूँ 
अब तुम जैसा कोई नहीं है मेरे पास 
जो मुझसे लड़े मुझी से सॉरी भी कहलवा ले 
तुम्हारे साथ एक नया हमसफ़र है 
मगर मैं अब भी अकेला हूँ, और 
यही सोचता हूँ की मुझे जो हमसफ़र मिलेगा 
वो कैसी होगी, तुम्हारी जैसी या फिर तुमसे अलग 
और क्या वो मेरे साथ वैसे ही खुल कर 
ज़िन्दगी जियेगी जैसे हमने कभी जी थी 
या फिर इन नए रिस्तो में बंध कर, मेरी हमसफ़र बनेगी 
मुझे रिस्तेदारो से दिक्कत नहीं और न ही नए रिस्तो से 
बस डरता हूँ के नए रिस्ते कही मुझे घुटन न दे दें 
मैं बस इतना चाहता हूँ, चाहे जो भी हो 
मेरा हमसफ़र मेरे साथ खुलकर जिए 
मुझसे बराबरी का हक़ रखे 
न तो वो दब के रहे और न मुझे दबाये 
वो खुल कर अपनी बात कहे बिना संकोच 
भले ही मैं उससे सहमत रहूँ या न रहूँ 
और उससे भी मैं बस इसी बात की उम्मीद करता हूँ 
लेकिन चाहे कुछ भी कहो, वो तुम्हारी जगह कभी नहीं ले सकती 
क्यों की तुम तुम थी और वो, वो होगी 
उसका वजूद कुछ और होगा और तुम्हारा कुछ और है 
तुम मेरी सबसे अच्छी पहली दोस्त थी हो और हमेशा रहोगी 
तुम्हारी खुशियों की दुआ करने वाला तुम्हारा दोस्त 
जो तुमसे लड़ा भी और तुम्हे मनाया भी, 
बस इतनी सी इल्तेज़ा है, मुझे अपनी दुआओं में याद रखना 
क्योकि आगे ज़िन्दगी के सफर में तुम नहीं होगी 
लेकिन मैं चाहता हूँ तुम्हारी दुआएँ हमेशा मेरे साथ रहे 
कभी धुप में साये की तरह तो बरसात में छत की  तरह 
ठण्ड में गर्मी की तरह, और हमेशा मेरी परछाई की तरह 
तुम नहीं तो तुम्हारी दुआएँ मेरे साथ रहे 
मुझे याद रखना तुम्हारा झगड़ालू दोस्त !

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Md Danish Ansari

Friday, 7 December 2018

क्या मोहब्बत इंसान को अँधा कर देती है ?

December 07, 2018 0 Comments
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आप में से कितने ऐसे लोग है जो ऊपर लिखी लाइन से सहमत है ! की मोहब्बत अंधी होती है या मोहब्बत इंसान को अँधा बना देती है ! इससे पहले की आप किसी भी नतीजे पे पहुँचे और अपना पक्ष चुन कर एक दूसरे का विरोध करने लगे उससे पहले मेरे विचारों को पढ़ लीजिये उस पर विचार कर लीजिये उसके बाद खुद का पक्ष चुनिए ! जब एक माँ अपने पुत्र की गलती होने के बावजूद उसे डाँट लगाने के बजाये उसका विरोध करने के बजाये वह उन लोगो में खोट और गलतियाँ निकालने और गिनाने लगती है ! जिन्होंने उसके पुत्र या पुत्री पर आरोप लगाया है या उसके पुत्र ने किसी के प्रति अपराध किया यह जानते हुए भी की मेरा पुत्र गलत है ! इसके बावजूद वह उसका पक्ष लेती है तो आप इसे क्या कहेंगे माँ की ममता या फिर अपनी ममता में अंधी हो चुकी एक माँ जिसे अपने बच्चो में कोई गलती ही नज़र नहीं आती ! जाहिर है इसे पुत्र मोह कहेंगे यानि अपनी ममता में एक माँ अंधी हो चुकी अब वह निष्पक्ष होकर फैसला नहीं दे सकती ! क़ुरआन में कहा गया है की अल्लाह सत्तर माओं से ज्यादा मोहब्बत करता है अपने बन्दों से इस बात से मेरे मन में प्रश्न उठना लाजमी था ! अगर एक माँ अपने बच्चो के खिलाफ कुछ बर्दास्त नहीं करती भले ही उसने कोई अपराध किया हो, इसके बावजूद वह उसका बचाओ करती है तो क्या मेरा रब मुझे नहीं बचाएगा जो मुझे सत्तर माओ से ज्यादा प्रेम करता है !
बहुत से लोग कहेंगे की क्यों नहीं जरूर बचाएगा ! और फिर यहीं प्रश्न उठ खड़ा होता है की अगर मैं किसी का गला काट दूँ तो क्या ईश्वकर मुझे दंड नहीं देगा ? इसका जवाब भी क़ुरान में ही है , बेशक इसमें कोई दो राय नहीं की अल्लाह हम से सत्तर माओं से ज्यादा मोहब्बत करता है ! किन्तु इसके बावजूद अगर आप किसी के प्रति कोई अपराध करते है किसी को ठेस पहुँचाते है तो आप दंड के भागिदार जरूर बनेंगे और उसकी सजा भी जरूर मिलेगी ! तो क्या इसका मतलब हम यह समझे की ईश्वर हमसे सत्तर माओ से अधिक प्रेम नहीं करता यह कहना गलत है की अल्लाह भगवन ईश्वर जिस किसी भी नाम से आप उसे जानते है वह आपको दंड देता है  सत्तर माओ से ज्यादा प्रेम नहीं करता ? मगर हमने यहाँ ईश्वर को बिच में लाया है तो फिर यह जानना भी जरुरी है की ईश्वर संतान मोह में नहीं पड़ता ! इसका मतलब यह हुआ की ईश्वर हमसे मोहब्बत तो करता है मगर वह हमारे मोह में नहीं पड़ता इसलिए वह इन सभी इंसानी भाव से मुक्त भी है और उसे इन सब का ज्ञान भी है ! ईश्वर के द्वारा अपनी रचना से किया गया यह प्रेम ही हमे मोहब्बत की झूठी भ्रम पैदा करने वाली अपराध और सच्ची  मोहब्बत में फर्क समझाती है !

आप अक्सर ऐसे लोगो को समाज में देख सकते है जिन्होंने मोहब्बत के नाम पर ऐसे ऐसे गुल खिलाये है की पूछो मत ! फिर चाहे वह लड़कियों के द्वारा न कहे जाने पर एक सनकी के द्वारा उस पर तेज़ाब फेकना हो या फिर मोहब्बत के नाम पर अपने ही पति के पीठ पीछे किसी और से सम्बन्ध बनाना हो ! हाल ही में जब सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया की एक स्त्री पुरुष की संपत्ति नहीं होती इसी लिए अब उसके द्वारा किया गया अडल्ट्री एक्टिविटी अपराध नहीं है ! यह फैसला ही अपने आप में पक्ष पात पूर्ण है क्योकि यह तो सही है की एक स्त्री पुरुष की संपत्ति नहीं है जो उस पर अधिकार जमाये किन्तु माननीय सुप्रीम कोर्ट इस आदेश को देते वक़्त यह भूल गए की जब एक पुरुष और स्त्री विवाह बंधन में बंधते है तो उसमे यह वचन भी शामिल होता है की वह दोनों हमेशा एक दूसरे के प्रति वफादार रहेंगे और कभी जीवन में कोई ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो तो आपसी सहमति से विवाह सम्बन्ध का विच्छेद करेंगे ! लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट ने तो सीधा सीधा यह कह दिया तुम हमारे पीठ पर छुरा घोंपो सनम क्योकि अब हमारा तुम पर कोई अधिकार नहीं ! 

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया उसके विरोध में सिर्फ इस लिए हूँ क्योकि उन्होंने कहा है की महिला पुरुष की संपत्ति नहीं और मैं इस बात से सहमत हूँ मगर जब कोर्ट ने ये कहा की एक महिला अपनी मर्ज़ी से किसी और से सम्बन्ध बना सकती है तब में विरुद्ध में हूँ वो इस लिए ठीक है अगर महिला किसी और से सम्बन्ध बनाना चाहती है बनाये मगर पहले विवाह सम्बन्ध से मुक्त हो जाये क्योकि ऐसे में उसके द्वारा किया गया कोई भी कार्य लौट कर उसके पति तक आने ही है ! बेशक सुप्रीम कोर्ट ने यह जरूर कहा की अगर पति चाहे तो ऐसे में वह महिला से तलाक ले सकता है ! क्या यह अजीब नहीं है की पहले आप ही मेरे दामन में दाग लगाए और फिर खुद ही अपराध मुक्त हो जाये ये कहा का न्याय है सुप्रीम कोर्ट को यह कहना चाहिए था की "एक महिला पुरुष की संपत्ति नहीं होती है ऐसे में एक महिला अपनी सहमति से किसी पुरुष या अन्य के साथ सम्बन्ध बनाना चाहती है तो वह इसके लिए मुक्त है अगर वह अविवाहित है तो अगर कोई महिला विवाहित है और वह फिर भी किसी अन्य व्यक्ति से सम्बन्ध बनाना चाहती है तो इसके लिए उसे पहले अपने विवाहित सम्बन्धो से त्याग करना होगा तलाक देना होगा ताकि पति का मान सम्मान भी बना रहे और महिला की अपनी स्वतंत्रता भी" तब यह बात हजम भी होती और न्याय पूर्ण भी ! अब मैं आपसे फिर से सवाल करता हूँ क्या मोहब्बत अंधी होती है या इंसान मोहब्बत में अँधा हो जाता है या इंसान का अपना स्वार्थ उसे अँधा बना देता है जिसे वह उचित ठहराने के लिए मोहब्बत अंधी होती है या मोहब्बत में इंसान अँधा हो जाता है जैसे दोगली दलीले देता है !

अगर मोहब्बत अंधी होती है अगर मोहब्बत में इंसान अँधा हो जाता है तो फिर अक्षय कुमार ने अपनी फिल्म में कहा था की :- अगर मोहब्बत और जंग में सब जायज है तो फिर लड़कियों पर एसिड फैकने वाले लफुटों की हरकत भी जायज़ है ! और किसी लड़की के न कह देने पर उसका वस्त्र हरण करके उसका रेप कर देना भी जायज़ है क्योकि मोहब्बत अंधी होती है और मोहब्बत में इंसान अँधा होता है ! अब मैं फिर से आपसे वही सवाल पूछता हूँ बताइये मुझे क्या है आपका उत्तर ? आप लोगो का उत्तर चाहे जो भी हो मुझे उसकी परवाह नहीं मगर मेरा उत्तर पढ़ते जाइये जनाब 

"न तो मोहब्बत अंधी होती है और न गूंगी बहरी न तो इंसान मोहब्बत में अँधा होता है और न गूंगा बहरा इंसान के अंदर छुपा उसका स्वार्थ उसे अँधा बनाता है ! जिसे सच में किसी से मोहब्बत हो न वो स्वार्थ के लाख अन्धकार फ़ैलाने के बावजूद सच्ची मोहब्बत की रौशनी में रास्ता पा ही लेता है तो इसका अर्थ यह है, न तो पीठ पीछे विश्वास घात करना मोहब्बत है और न ही न कह देने पर तेज़ाब से किसी को जला देना मोहब्बत है और न ही किसी को किसी के लिए मार देने में मोहब्बत है ! मोहब्बत बस एक एहसास है उसे महसूस कीजिये उसे पाने की कोशिश करेंगे तो दूर हो जाएगी और अगर उसे महसूस करते हुए ज़िन्दगी जियेंगे तो करीब आएगी !"

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Md Danish Ansari

Thursday, 18 October 2018

आतंकवाद (वियतनाम युद्ध) 1955 - 1975 | Part 1

October 18, 2018 0 Comments
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Vietnam 1955
आतंकवाद की परिभाषा :- ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के द्वारा परिभाषित किया गया ऑक्सफ़ोर्ड के द्वारा परिभाषित आतंकवाद कुछ यूँ है- " राज्य या विरोधभाव को दबाने के लिए हिंसा या भयोत्पादक उपायों का अवलंबन"
सेकंड वर्ल्ड वॉर के ख़त्म होते ही दुनिया में दो मुल्को के बिच ताक़त और शक्ति विस्तार की होड़ शुरू हुई और आप जानते है की मैं किन दो मुल्को की बात कर रहा हूँ ! अमेरिका और रूस, सोवियत यूनियन के टूटने पर रूस की ताकत घट गयी और फिर अमेरिका की हुकूमत आयी पूरी दुनिया पर रूस लगा तार अपने पक्ष में देशों को एक जुट करता रहा वही दूसरी तरफ अमेरिका उसे तोड़ने और अपने साथ जोड़ने में लगा रहा !

विएतनाम युद्ध : 1 नवंबर 1955 को विएतनाम में युद्ध शुरू हुआ यह युद्ध शीतयुद्ध के दौर में लड़ा गया यह युद्ध दो अलग अलग विचार धरा को भी देखते हुए लड़ा गया अमेरिका पूँजीवाद का समर्थक है जबकि रूस और चीन मार्क्सवाद के ऐसे में उत्तरी वियतनाम को चीन और रूस का साथ मिला जबकि दूसरे खेमे दक्षिणी वियतनाम की और से अमेरिका और मित्र राष्ट्र लड़ रहे थे ! इस युद्ध की शुरुआत वियतनाम का फ्रांस के साथ आजादी के लिए लड़े गए नाकाम युद्ध से शुरू हुआ दूसरे विश्व युद्ध के बाद फ्रांस में इतनी ताकत नहीं थी की वह वियतनाम पर और ज्यादा देर तक के लिए अपना दबदबा बना कर रख सके ऐसे में विएतनाम दो भागो में बट गया उत्तरी विएतनाम सम्पूर्ण आजादी चाहता था साथ ही वह मार्क्सवादी था वही दूसरी और दक्षिणी वियतनाम था जो अमेरिका और मित्र राष्ट्रों की जी हुजूरी ही करता ! साथ ही दक्षिणी वियतनाम के शासक भ्रष्ट हो चुके थे उन पर कई गंभीर आरोप लग रहे थे ! वियतनाम कम्बोडिया चीन बर्मा और थाईलैंड से घिरा हुआ इन सब के बिच एक छोटा सा देश है लाओस उसने अपनी जमीन उत्तरी वियतनाम को दी उसके ऐसा करने पर अमेरिका इतना गुस्से में आया की उसने उस पर इतने बम गिराए जितना की उसने अफगानिस्तान और इराक युद्ध में भी नहीं गिराए ! जबकि लाओस खुद इस युद्ध में सीधे शामिल नहीं हुआ था लाओस में 1964 से लेकर 1973 तक अम्रेरीकी वायु सेना ने हर 8 मिनट में एक बम गिराए गए है ! मीडिया रिपोर्ट और इतिहासकारों के अनुसार अमेरिका ने 260 मिलियन क्लस्टर बम विएतनाम पर गिराए है जोकि इराक युद्ध में गिराए गए कुल संख्या का 210 मिलियन ज्यादा है ! अमेरिकी सेना द्वारा वियतनाम के लोगो का कत्ले आम हुआ और यह सब कुछ न्यूज़ में साफ़ साफ़ दिखाया जा रहा था अमेरिकी सेना ने एक बड़े पैमाने पर वियतनामी लोगो को मार डाला जबकि वो निहथ्थे थे और मासूम थे मरने वालो में सिर्फ पुरुष ही नहीं थे इसमें बड़ी संख्या में औरते बच्चे बूढ़े और नौजवान थे इनमे सबसे ज्यादा लोग खेती करने वाले आम किसान थे ! अमेरिकी सेना ने लगातार रासायनिक हथियारों की बम बारी की जिससे लाखो एकड़ खेत तबाहो बर्बाद हो गए और जंगल के जंगल तबाह होते गए ! यह सब किस लिए था सिर्फ इस लिए न की उत्तरी वियतनाम ये चाहता था की दोनों एक हो के रहे जैसे वो पहले थे या फिर सिर्फ ये की वियतनाम मार्क्सवाद को सपोर्ट करता था इस लिए और आपको रास नहीं आया तो आप ने उस पर हमला कर दिया ! अमेरिका को लगा था की वियतनाम कमजोर है इसलिए वह जल्द ही घुटने टेक देगा और युद्ध समाप्त हो जायेगा पर ऐसा नहीं हुआ वियतनाम का पलड़ा भारी होता रहा और अमेरिकी सैनिक मुँह की खाये ! वियतनाम में अमेरिका के इतने सैनिक मरे गए की खुद अमेरिका में इस युद्ध को लेकर विरोध प्रदर्शन होने लगे की हम अपनी जान ऐसे युद्ध में क्यों खतरे में डाले जो युद्ध हमारा है ही नहीं !

यह बात सच भी है की यह युद्ध किसी भी नजरिये से अमेरिका के लिए थी ही नहीं तो फिर अमेरिका क्यों जबरदस्ती इस युद्ध में कूद पड़ा ! अमेरिका खुद को  महान दिखने के लिए हमेशा ये कहता रहा है की दूसरे विश्व युद्ध में वह नहीं उतरता अगर जापान ने पर्ल हार्बर पर हवाई हमला न किया होता ! तो यही पर हम यह पूछना चाहते है की फिर आप विएतनाम के युद्ध में क्या कर रहे थे आप के सैनिक वियतनाम की आम जनता को क्यों मार रही थी ! इसीलिए न की वो लोग अमेरिका की सोच और उसके विचारो से सहमत नहीं थे बस इसी लिए न अपनी ताकत और दबदबे का रौब दिखाने के लिए आप ने लाओस जैसे छोटे और कमजोर देश को पूरी तरह क्लस्टर बम में जला कर राख कर दिया किसके लिए जाहिर है सिर्फ और सिर्फ अपने अहंकार की भूख को मिटाने के लिए और आज पूरी दुनिया में खुद को आतंक विरोधी के रूप में दिखाते हो पर सच तो यही है की अमेरिकी अर्थववस्था और उसका विकास गरीब और पिछड़े लोगो के शोषण और उनके संसाधनों को लूट कर ही फलता फूलता रहा है !

अब मैं चाहता हूँ की आप सबसे ऊपर "आतंकवाद" की परिभाषा को फिर से पढ़े जिसे ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने परिभाषित किया है ! ताकि आप यह समझ सके की दुनिया भर में कैसे आतंकवाद जन्म ले रहा है और कौन सी वो ताक़त है जो इसे बना रही है और इसे पनपने देने का पूरा मौका दे रही है ! वो भी सिर्फ और सिर्फ अपने राजनैतिक और आर्थिक भूख को मिटाने के लिए तुम गोली चलाओ तो सुरक्षा दूसरे गोली चलाये तो आतंकवाद !

राज्य या विरोधभाव को दबाने के लिए हिंसा या भयोत्पादक उपायों का अवलंबन" ही आतंकवाद है !
अर्थ : किसी राज्य या देश के लोगो के द्वारा विरोध को या उनके विरोधात्मक भाव को दबाने या कुचलने के लिए हिंसा या फिर उन्हें डराना धमकाना या ऐसे उतपात मचाना या फिर गलत प्रचार प्रसार करना जिससे समाज या व्यक्ति के मन में डर या भय फैले आतंकवाद कहलाता है ! 

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Md Danish Ansari

Thursday, 11 October 2018

बहुसंखयक समाज अल्पसंखयक समाज से क्यों डरता है

October 11, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh
गोंडवाना लैंड के विभाजन से पहले सभी देश एक ही महाद्वीप का हिस्सा थे जिसे गोंडवाना लैंड कहा जाता है ! धरती के भाहरी परत में टूट और उसके बिखराओ ने बहुत सारी सीमाओं का सीमांकन किया एक तरफ जहा उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका का निर्माण हुआ वही दूसरी तरफ यूरोप महाद्वीप का निर्माण हुआ वही अफ्रीका का और कुछ इसी तरह एशिया महाद्वीप का निर्माण हुआ ! भारत जोकि कभी अफ्रीका से लगा हुआ था वह टूट कर हिन्द महासागर से होता हुआ चीन से जा कर टकराया पृथ्वी के बाहरी परतो का आपस में यूँ मिलना और उनका एक दूसरे के अंदर सरकना इसकी वजह से हिमालय का निर्माण हुआ ! आपको जान कर यह हैरानी होगी की यह खिसकाओ आज भी जारी है और हर साल माउन्ट एवेरेस्ट की उचाई करीब आधा सेंटीमीटर बढ़ जाती है ! 

इसके बाद दुनिया के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग महान सभ्यताओं का विकास हुआ जिसमे सबसे पुरानी सभ्यता थी मेसोपोटामिया उसके बाद मिश्र की सभ्यता फिर भारत की हड़प्पा और मोहन जोदरो की सभ्यता फिर चीन की सभ्यता और फिर अमेरिका की माया सभ्यता और इन सभ्यताओं में सबसे पहले जिन दो सभ्यताओं का मिलन हुआ वो थी मेसोपोटामिया और मिश्र की सभ्यता यह इस लिए भी संभव हुआ क्योकि दोनों सभ्यताओं की सरहद लगभग सटी हुई थी ! कई विद्वानों का तो यह भी कहना है की मेसोपोटामिया सभ्यता ही मिश्र की सभ्यता है पर इसमें बहुत विवाद है ! उसके बाद मिश्र से अरब का विकास हुआ और अरबो का आना जाना भारत में हुआ जिससे अब दुनिया की तीन सबसे बड़ी सभ्यताएं एक दूसरे के सम्पर्क में आ चुकी थी अरब भारत से ववपार करते थे ! जबकि दुनिया की दो और सभ्यताएँ हम उनसे और वो हमसे बिलकुल अछूते थे क्योकि एक तरफ हिमालय था तो दूसरी तरफ विशाल समुद्र शायद यही वजह रही की इन सभ्यताओं का आपस में मिलान नहीं हुआ बहुत लम्बे वक़्त के लिए !

दुनिया बदलती गयी उसके साथ ही सभ्यताएँ विकास करने लगी वहाँ भी जीवन पनपा जहा जीवन की कोई सम्भावना ही नहीं होनी थी ! समय और अंतरिक्ष ने मानव जाति को विकास करने और आगे बढ़ने का पूरा मौका दिया और उसका हमने भरपूर उपयोग भी किया और इसी के साथ दुनिया भर के अलग अलग हिस्सों में राज व्यवस्था का उदय हुआ सब एक से बढ़ कर एक थी और सभी ने अपना शक्ति विस्तार किया दुनिया में शायद ही कोई ऐसी रजवावस्था होगी जिसने अपने शरहद और शक्ति का विस्तार न किया हो और इसी शक्ति और सिमा विस्तार में कई अलग अलग संस्कृति आपस में टकराई ! भौतिक विज्ञानं में हमे पढ़ाया जाता है की जब दो पार्टिकल्स आपस में टकराते है तो पहले विनाश होता है फिर उसी विनाश से निर्माण का काम शुरू होता है ! यही नियम दुनिया भर की सभ्यताओं का आपस में टकराना और उनका विध्वंश होना और उनके विध्वंश से फिर नयी संस्कृति और राजवावस्था का जन्म होना इसका प्रमाण है !

खैर वक़्त के साथ सब कुछ बदलता है हमारी पूरी दुनिया बदल गयी फिर आया हमारा युग जिसे हम आधुनिक युग कहते है ! इसी आधुनिक युग की शुरुआत में राष्ट्रवाद की शुरुआत हुई वैसे इस आधुनिक युग से पहले राष्ट्र की अवधारणा तो थी मगर वह उतनी मजबूत नहीं थी जब तक राष्ट्रवाद की अवधारणा सामने न आयी फिर उसके बाद दुनिया भर में राष्ट्रवाद के नाम पर बहुसंख्यक समाज अल्पसंख्यक समाज के साथ राष्ट्रवाद के नाम पर सिर्फ और सिर्फ बर्बरता ही दिखाई है ! यह बात मैं किसी एक देश के लिए नहीं कह रहा यह दुनिया भर के मुल्को पर फिट बैठता है फिर चाहे वो यूरोप में यहुदिओं का कत्लेआम हो या फिर अमेरिका में गोरे लोगो के द्वारा काले लोगो का शोषण ! आप दुनिया के हर एक मुल्क का इतिहास और उसका आज देख लीजिये कल भी बहुसंख्यक समाज एक झूठे डर का सहारा लेकर अल्पसंख्यक समाज को कुचलता रहा है और आज भी वही हो रहा है ! यह अल्पसंख्यक समाज सिर्फ धर्म के आधार पर नहीं है बल्कि कही रंग के आधार पर है तो कही नस्ल के आधार पर कही संस्कृति के आधार पर तो कही भाषा के आधार पर मेरे कहने का तात्पर्य यह है की बहुसंखयक समाज हमेशा अल्पसंखयक समाज का शोषण करता रहा है किसी एक वक़्त या जगह पर यह अपवाद हो सकता है !

मगर ज्यादातर यही देखा और पाया गया है एक ही जैसी सोच मान्यता संस्कृति सभ्यता और भाषा बोलने और उन्हें फॉलो करने वाले लोग हमेशा से अपने से अलग लोगो से डरते रहे है ! उनका ये डर जोकि बेबुनियाद है अक्सर आक्रामक हो जाता है फिर शुरू होता है कत्लेआम का वो दौर जिसमे इंसानी ज़िन्दगी का कोई महत्व नहीं रह जाता ! अब सवाल यह है की बहुसंख्यक समाज भला अल्पसंखयक समाज के लोगो से डरता क्यों है ? इसकी वजह साफ़ है हम इंसानो ने अपने अंदर ही एक तरह का सुरक्षा कवच तैयार कर लिया है जिसे हम दिमाग की प्रोगरामिंग करना कह सकते है ! हम अपने दिमाग को इसी बात में यकीं दिलाते रहते है की जो हमारे जैसा दीखता है उनसे हमे कोई खतरा नहीं यहाँ दिखने का मतलब हर तरह के स्तर पर है जैसे धर्म जाती संस्कृति नाम रहन सहन पहनावा खाना पीना इत्यादि ! जहा उनके बिच कोई ऐसा व्यक्ति आ जाता है जिसका नाम अलग है पहनावा अलग है बोलने खाने पिने रहन सहन सब कुछ भिन्न है, वैसे ही बहुसंख्यक समाज सुरक्षा की मुद्रा में आ जाता है जबकि यह बात सच है की उसे किसी तरह का खतरा नहीं है ! इसके बावजूद वह हर कीमत पर सामने वाले को कुचल देना चाहता है वही अगर उन्ही के जैसा कोई व्यक्ति भले ही उन्हें ज़िन्दगी भर छलता रहे उनका शोषण करता रहे फिर भी वह उसमे विश्वास दिखाते है और यह कहने में कुछ गलत नहीं की यह आधुनिक समाज में लोगो की सबसे निचले स्तर की मूर्खता मात्र है !

नोट : आप मेरे विचारो से असहमत हो सकते है !

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Md Danish Ansari

Saturday, 6 October 2018

आज़ाद हूँ

October 06, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh
आज़ाद हूँ परवाज हूँ हर बात की मैं काट हूँ 
रोके ज़माना मेरे कदम क़तरा क़तरा कहे मैं आज़ाद हूँ 
आज़ाद हूँ परवाज हूँ हर बात की मैं काट हूँ 
आँधियाँ क्या मोड़े मुझे मैं खुद ही तूफान हूँ 
आज़ाद हूँ। ......... आज़ाद हूँ। ......... आज़ाद हूँ 
कितने दिनों से मेरे पर क़तरता रहा है ज़माना यहाँ 
खामोश मैं सहमी हुई डरपोक मैं डरी हुई 
अब कहा वो डर है अब कहा वो दहशत दिल में है 
आज़ाद हूँ। ......... आज़ाद हूँ। ......... आज़ाद हूँ 
नोचते रहे हो तुम गोश्त मेरे सीने से 
अब ये बताओ मुझे क्या मिला है तुम्हे 
प्यास तेरी बुझती नहीं आग तेरी ठण्डी पड़ती नहीं 
फिर तो बेकार मेरा यूँ खामोश मर जाना मेरा 
आज़ाद हूँ परवाज हूँ हर बात की मैं काट हूँ 
आज़ाद हूँ परवाज हूँ हर बात की मैं काट हूँ 
आज़ाद हूँ। ....... आज़ाद हूँ। ......... आज़ाद हूँ 
आज़ाद हूँ !


Md Danish Ansari

Wednesday, 29 August 2018

नन्ही चिड़िया - Inspiration Story | Conclusion

August 29, 2018 0 Comments
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Mera Aqsh - Inspiration Story
मैं थोड़ा उदास हो गया उसे वह न देख कर तभी अचानक से वो ची ची की आवाज करते हुए उसी पेड़ पर लोट आयी उसकी चोंच में कई तिनके थे ! शायद वह फिर से अपना घोसला बनाने वाली थी और देखते ही देखते उसने दिन भर तिनके इकठ्ठे करके अपना घोसला बनाना शुरू कर दी पर इस बार उसने अपना घोसला दूसरी डाल पे बनाई क्योकि पहली डाल तो टूट चूका था ! वो दिन भर काम करती रही मैंने घर वालो से कह कर उसके लिए अपनी खिड़की पर दाने रखवा दिए ताकि उसे कही दूर न जाना पड़े अपने खाने की तलाश में वो काम करती रही और मैं उसे देखता रहा ! वो बड़ी बारीकी से अपना काम कर रही थी एक एक तिनके को ऐसे एक दूसरे के साथ मिला रही थी जैसे एक चादर बुनने वाला धागों के क्रम को बड़ी सटीकता से करता है ठीक वैसे ही जैसे कपड़ो पे कढ़ाई की जाती है ! इससे पहले मैंने कभी इस पर धयान नहीं दिया कुछ देर बाद मेरी आँख कैसे लगी मुझे पता ही नहीं चला सुबह मुझे ची ची की आवाज़ सुनाई दी मैं जाग गया देखा वो चिड़िया मेरी खिड़की पे बैठी है !

मैंने उसके घोसले की तरफ देखा तो वह बन कर तैयार हो चूका था वो पहले वाले से बड़ा और ज्यादा मजबूत लग रहा था ! मैंने उस नन्ही चिड़िया से कहा - ओ तो तुम मुझे अपना घर दिखाना चाहती हो काफी खूबसूरत है तुम्हारा घर तुमने बहुत मेहनत की है इसके लिए है न ! वो बस खिड़की पे बैठी रही और ची ची की आवाज़ करती रही ऐसे जैसे वो मेरी बातो का जवाब दे रही हो शायद मेरा दिमाग ख़राब हो चूका है जो एक चिड़िया से बाते कर रहा हूँ और उससे उम्मीद कर रहा हूँ की वह मेरी बात को समझे और उसका जवाब दे ! तुम कितनी खुश किस्मत वाली हो तुम जहा चाहो वहा जा सकती मगर मैं नहीं हा कभी मैं भी दुनिया देखना चाहता था पर काम से फुर्सत ही नहीं थी आज फुर्सत है तो कही जाने के लायक ही नहीं ! खैर तुम्हे भूक लगी होगी तुमने कुछ खाया की नहीं, तभी दरवाजे पे दस्तक हुई अम्मी अंदर आयी तुम किस्से बाते कर रहे हो बीटा ? कुछ नहीं बस उस चिड़िया से देखिये उसने कितना खूबसूरत घोसला बनाया है अपने लिए, इसका पहला वाला घोसला बारिश और हवा के चलते बिखर गया था और वो डाल भी टूट गयी !

कुछ देर अम्मी मुझसे बाते करती रही फिर वो निचे चली गयी काम करने मेरी इस हालत को देख कर अम्मी उदास हो जाती है पर इसमें न तो मैं कुछ कर सकता था और न ही वो ! बारिश होने वाली है मैं उस नहीं चिड़िया के लिए थोड़ा परेशां भी हूँ पिछली बार उसका घोसला बिखर गया था इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए ये सोच कर बस उसके लिए दुआ कर दी ! उसका घोसला सही सलामत था मुझे यह देख कर काफी खुसी हुई कुछ दिन बीते और फिर एक रोज जब मैं सुबह उठा और खिड़की के बाहर जैसे ही देखा तो वह घोसला वहा नहीं था मैं थोड़ा परेशान हुआ मैंने जोर से अम्मी को आवाज लगाया और वो ऊपर, क्या हुआ तुम्हे ? अम्मी खिड़की से बाहर झाँक कर देखिये क्या उसका घोसला फिर से बिखर गया है ? तुम क्या कह रहे हो मैं कुछ समझी नहीं ? उस चिड़िया का घोसला देखिये की वो क्या बिखर गया है या निचे गिर गया है ! अम्मी निचे बाहर देख कर बोली माफ़ करना बेटा उसका घोसला टूट चूका है , मैं उदास हो गया !

कई दिनों तक वह मुझे दिखी नहीं मैं और परेशान होने लगा मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई मेरा अपना मेरा साथ छोड़ गया हो मैं उसके बारे में बहुत ज्यादा सोच रहा था ! तभी एक शाम वो वापस आयी मेरी खिड़की पे उसके मुँह में फिर से कुछ तिनके थे ! मैं हैरान था - क्या तुम फिर से अपना घोसला बनाने वाली हो और वो भी उसी जगह देखो अगर तुम चाहो तो तुम यहाँ मेरे कमरे में रह सकती हो ! उसने अपने चोंच में दबे तिनके को खिड़की पे राखी और कुछ बोला उसने ची ची ची मैं समझ नहीं पाया की वो क्या कहना चाह रही है और वह फिर से उड़ कर उसी पेड़ पर जा बैठी और फिर शुरू हुई उसकी कारीगरी वह दिन रात मेहनत करती रही और देखते ही देखते फिर से घोसला तैयार हो गया ! मैं उसे देख कर हैरान था एक नन्ही सी जान जिसकी ज़िन्दगी शायद कुछ ही सालो की होगी वह इतना संघर्ष कर रही है सिर्फ अपने घर के लिए यह सब देख कर मैं हैरान था !

यह सब देख कर मुझे एक सिख मिली ज़िन्दगी चाहे छोटी हो या बड़ी उसे खुल कर जीना चाहिए और उस ज़िन्दगी में चाहे जितनी भी मुश्किलें आये उसका डट कर सामना करो आप हारोगे गिरोगे बार बार फ़िसलोगे मगर आपको रुकना नहीं है आपको बस वही करते जाना है ! जो आप करना चाहते है दुनिया क्या कहती है क्या करती है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता फर्क सिर्फ इस बात से आपको पड़ता है की आप क्या करना चाहते क्या पाना चाहते किससे प्यार करना चाहते है ये ज़िन्दगी आपकी है इसलिए आप यह तय करेंगे की आप अपनी ज़िन्दगी कैसे जीना चाहते है क्या आप बहादुरी के साथ ज़िन्दगी में आयी बड़ी से बड़ी तूफ़ान से सीधे टकरा जाना चाहते है या फिर उससे बचने के लिए भागना चाहते है आप बुजदिल बन कर जीना चाहते है या एक योद्धा की तरह वीर की तरह मरना चाहते है ! मैं इस बेड पर अपनी सारी ज़िन्दगी नहीं गुजारने वाला मैं बाहर जाऊंगा घूमूँगा जो मन में आएगा करूँगा प्यार करूँगा एक अच्छी ज़िन्दगी के लिए जो करना पड़े मैं करूँगा मैं हार नहीं मानुगा मैं हार नहीं मानुगा मैं हार नहीं मानुगा !

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Md Danish Ansari