Wednesday, 30 May 2018

वो एक पहली नज़र

May 30, 2018 0 Comments

वो एक पहली नज़र जो तुझपे पड़ी 
गुम  हुआ  हाँ  मैं  गुम  हुआ 
तुम मानो ना मानो ये जो दिल है 
सिर्फ  तुझे  ही, चाहे..................
मुझसे जो की तुमने बात 
आया नहीं मुझको कुछ भी ख्याल
सुनते रहे बस तेरी ही बाते 
उलझी हुई थी ये मुलाकाते 
वो एक पहली नज़र जो तुझपे पड़ी 
गुम  हुआ  हाँ  मैं  गुम  हुआ 
क़रीबियाँ थी फिर भी दूरियाँ थी 
समझोगे तुम कैसे समझाऊँ कैसे 
हर याद तुझसे मुझसे जुडी है और 
हर बात तुझसे शुरू मुझपे ख़त्म हुई
फिर यूँ एक दिन कुछ जादू सा हुआ 
तेरी आँखों मैं कुछ तो जादू सा हुआ 
होंठ खामोश थे फिर आँखें बोलती 
लबो पे तुम्हारी दबी मुस्कुराहटें थी 
और फिर तुम बहुत करीब आके 
कानो में कह गयी क्या................
वो एक पहली नज़र जो तुझपे पड़ी 
गुम  हुई  हाँ  मैं  गुम  हुई 
मानो न मानो चाहती हूँ तुमको 
खुद से भी ज्यादा मानती हूँ तुमको 
जानती हूँ मैं भी चाहते हो मुझको 
कहते फिर क्यों नहीं जो कहना चाहो 
फिर...... फिर क्या हुआ ???
फिर यूँ कुछ हुआ जादू हुआ 
जो भी हुआ बहुत अच्छा हुआ 
वो एक पहली नज़र जो तुझपे पड़ी 
गुम  हुआ  हाँ  मैं  गुम  हुआ 
हाँ मुझे तुमसे मोहब्बत हुई..... 
हाँ मुझे भी तुमसे मोहब्बत हुई


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Md Danish Ansari


Tuesday, 29 May 2018

दरख़्त | Darakht

May 29, 2018 0 Comments

कई हज़ारो साल पहले इस ज़मीन पर एक बाहरी दुनिया से एक बीज आया और इसकी सतह से टकरा गया बारिश हुई और वह अंकुरित होने लगा और फिर धीरे से एक पौधा बना धीरे धीरे हवा पानी मिटटी और रौशनी ने इसे सिचा और वह धीरे धीरे बढ़ता हुआ आखिर एक विशाल दरख़्त में बदल गया! इस दरख़्त का फल बाकि आस पास मौजूद दरख्तों से ज्यादा मीठा और रसदार था इसके एक फल से ही आपका पेट तो भर जाता मगर आपका मन नहीं भरता धीरे धीरे इसकी शाखाये बढ़ती गयी इसके बीज दूर दूर तक फैलते गए और देखते ही देखते पूरा एक जंगल तैयार हो गया हरा भरा और खूबसूरत जंगल दूर दूर से जानवर परिंदे सब यहाँ आ कर रहने लगे जिससे इस जंगल की खूबसूरती और बढ़ गयी यहाँ हर तरह के जानवर थे चाहे वो शाकाहारी हो या मांसाहारी ! सभी जानवर मिल जुल कर रहते थे सभी अपनी प्रकृति के अनुसार ही व्यवहार करते थे ! मांसाहारी जानवर शाकाहारियों को खाते और शाकाहारी जानवर पेड़ पौधो को खाते और इस तरह पूरी एक खाद्य श्रृंखला निर्मित हो गयी फिर उन्ही में से कुछ ऐसी प्रजातियां भी पनपी जो इन दोनों को खाती थी और इस तरह से यह जंगल फलने पलने लगा फिर अचानक से कुछ जानवरो ने अपनी प्रकृति के अनुसार व्यवहार करना बंद कर दिया उसने बाकि जानवरो पर अपना दबाव बनाना शुरू कर दिया और धीरे धीरे पुरे जंगल में इसी तरह के व्यवहार सभी में आने लगा और जंगल के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग जानवरो और परिंदो ने कब्ज़ा कर लिया फिर उन जानवरो में आपसी संघर्ष हुआ क्योकि पुरे जंगल में हर चीज हर जगह नहीं थी और अपनी जरूरतों के लिए वो एक दूसरे पे हमला करने लगे इसी तरह सब चलता रहा साल बीते और सदियाँ बीती मगर खाना बदोशी जंगो का सिलसिला नहीं रुका कुछ परिंदो ने समझदारी दिखाई और शांति बहाल करने की नियत से उनमे आपसी समझौते करवाए मगर इसके बावजूद बेवजह क़त्ल होते रहे और पुरे जंगल की जमीन पर लहू की मोटी परत जम गयी यह परत साल दर साल बनती रही और फिर बारिश का पानी जंगल में न ठहर सका और दरख़्त मरने लगे जंगल के उस सबसे पुराने पेड़ ने आसमान से मदद मांगी मगर आसमान के बेतहासा बारिशों के बाद लहू की वो मोटी परत तो जरूर ढीली हो गयी मगर इसका असर और भयानक हो गया लहू में मौजूद नमक पानी में घुल कर मिटटी को खारा बना दिया अब और देखते ही देखते जंगल मरने लगा और अपने ही अंदर सिमटने लगा मिटटी अब उपजाऊ नहीं रही और देखते ही देखते सारा जंगल तबाह हो गया और वो सभी जानवर और परिंदे भी तबाह हो गए जो सालो से आपस में लड़ रहे थे और वो दरख़्त भी धीरे धीरे मर गया उसकी ये हालत देख आसमान खूब रोया इतना रोया की ज़मीन की घिसावट शुरू हुई और पानी ने उसे बहा कर उसे अथाह गहराई के खाई में इकठ्ठा होने लगा और देखते ही देखते खारे पानी का विशाल दरिया बन गया और जमीन पहले की तरह उपजाऊ हो गयी खाना बदोशी जंग और संघर्षो के बिच कुछ बीज जमीं में दबे हुए थे और फिर वो अंकुरित हुई और एक पौधे की शक्ल लेने लगा आसमान ज़मीन हवा और रौशनी ने उसे सहारा दिया और वह धीरे धीरे बड़ा होते हुए एक विशाल दरख़्त में तब्दील हो गया और फिर से जमीन हरी भरी और बेसुमार खूबसूरती में तब्दील हो गयी ! 

सिख : इस पूरी कहानी में इंसान वो जानवर है जिसने जंग शुरू की और खुद की तबाही का ज़िम्मेदार बना हम वो जानवर है जो धर्म , जाति , सम्प्रदाय , संस्कृति , राजनैतिक , आर्थिक , सामाजिक , खान , पान , वेश , भूषा , बोली , भाषा , रहन , सहन , वैचारिक और न जाने किन किन वजहों की वजह से एक दूसरे से जंग लड़ रहे है और वो खूबसूरत दरख़्त यानि हमारी ज़मीन अब धीरे धीरे मर रही है आसमान चाहे जितना बरसे वह पानी अब इसपर ठहरता नहीं है और जा मिलता है तेज़ी से अथाह गहराई वाले खारे समंदर में !


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Md Danish Ansari

Sunday, 27 May 2018

|| शैतान का मुँह ||

May 27, 2018 0 Comments

आज सुबह जब उठा तो हर रोज़ की तरह सब कुछ ठीक ही था कुछ वक़्त हुआ ही था मुझे उठे हुए की अम्मा और मझले भाई में बहस शुरू हो गयी अम्मा को मझले भाई की हरकते पसंद नहीं वो घर का कोई भी काम नहीं करता उसके लिए ये घर एक होटल की तरह है और खून के रिश्ते उसके सेवक है और वो कस्टमर, बैड से उठा आँगन की तरफ गया तो बड़ा भाई न जाने सुबह सुबह किससे बहस में लगा हुआ था घंटो गुजर गए और वह मोबाइल में सामने वाले से किसी बात पर बहस करता रहा यहाँ लोग सुबह उठते ही अपने काम के लिए दौड़ लगाते है और यहाँ सब लोग बहस में लगे हुए थे मन किया सबको चिल्ला कर बोलूँ बस करो बहुत हो गया फिर सोचा अगर मैंने अपनी जबान खोली तो फिर मैं भी इसी बहस का हिस्सा हो जाऊंगा बाथरूम में नहाते नहाते ये ख्याल आया, लगता है आज सब शैतान का मुँह देख कर उठे है कब से एक दूसरे के खिलाफ मुँह बाए हुए है और एक दूसरे को समझने की कोशिश भी नहीं कर रहे बस आग उगल रहे है शैतान के मुँह में जहन्नम की आग की तरह लपट रहे है ये सोचते हुए मैं चुप चाप खुदा का नाम ले कर अपने काम पर चला गया !

सीख : अपनी ज़बान पर काबू रखो जब बहस की स्थिति बने तो अपनी जबान पे ताले जड़ दो जहन्नम में सबसे ज्यादा बदजुबानी लोग होंगे !

Md Danish Ansari

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Thursday, 24 May 2018

Bade Din Huye Tumse Baat Nahi Hui...

May 24, 2018 0 Comments

Bade din huye tumse baat nahi hui
Na hii na hello or na hi koi faltu sa joke bheja tumne
Is bich lagataar baar baar maine tumse baat karna chaha
Magar tumse koi reply ki umeed hi nahi rahi
Shayad ab tum bhi mujhse ubb gayi ho
Shayad tum ab apni zindagi me badi mashruf ho gayi ho
Shayad ab hum, tumhare akelepan ke sathi nahi
Shayad tujhe mujhse behtar koi mahfil mil gayi ho
Pahle to kabhi aisa hua nahi fir ab kyun
Shayad waqt badal gaya or tumbhi badal gayi ho
Mujhe yaad hai tumne ek baar kaha tha mujhse
Jo waqt ke sath badalta nahi wo fana ho jaata hai
Tumne hi kahi or tumne hi amal kiya
Sach kahun to main yahi chahta hun
Main kisi bhi qimat par khud ko badalna nahi chahta
Main khud ko fana to karna chahta hun
Magar tere liye kuch kar bhi jaana chahta hun
Main khaak hone ko taiyaar hun har waqt
Bas mujhe sirf ek aise waqt ki talash hai
Jis pal me main tere liye kuch kar sakun
Humara sath bahut khubsurat raha
Jitna bhi raha bahut hi behtarin or bemishal raha
Tum soch bhi nahi sakti ke kitne betaab rahte the hum
Tere intezaar me har waqt rahte the hum
Subah mujhse dekhte hi teri good morning wish
Mere dil ko behisaab khushiyon ke liye kafi thi
Khair khaak dalo in sab par meri dua hai
Tum jaha raho khush raho aabaad raho bas itna hi


Note : Ek khubsurat khwaab jiski kabhi tabeer nahi ho sakti

Md Danish Ansari