Saturday, 19 January 2019

सुना है

January 19, 2019 0 Comments
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सुना है उसके हुस्न पे कुदरत को नाज़ है
तो चलो उनका दीदार करके देखते है
सुना है उसकी नज़ाकत पर फूल भी कुर्बान है
तो चलो उसके नखरे उठा कर देखते है
सुना है उसके रुक्सार पे घटाए अंगड़ाइयाँ लेती है
तो चलो उन रुक्सार को जरा छू कर देखते है
सुना है उसकी जुल्फ पर जिन्नो परियों का बसेरा है
तो चलो उन जिन्नो परियों से मुलाकात करके देखते है
सुना है वो मुस्कुराये तो बहारें खिलखिलाती है
तो चलो उन बहारों को जरा छेड़ के देखते है
सुना है उसके कदम जहा भी पड़े वो ज़मीं हरी भरी हो जाए
अगर ऐसा है तो चलो उसे अपने दिल में ठहरा के देखते है
कहते है वो मेहमान नवाज़ी में सबसे आला है
तो चलो हम भी उनके मेहमान बन के देखते है
सुना है जब वो गाती है तो चिड़ियाँ सूर मिलाती है
तो चलो हम भी उसके सूर में सूर मिला के देखते है
सुना है जब वो बात करती है किसी से, तो उसका सब कुछ जीत लेती है
अगर ऐसा है तो चलो हम भी अपना दिल हार के देखते है
सुना है जब रात को उसकी आँखें नींद से बोझल हो जाती है
तो ख़्वाबों के मेले उसकी आँखों में लगते है
अगर ऐसा है तो चलो उसके ख़्वाबों में खुद को शामिल करके देखते है
सुना है उसकी आँखों में खंजर-वंजर चाक़ू-वाकु छुरियाँ-वूरियाँ सब कुछ है
तो चलो हम भी अपना सीना-विना दिल-विल सब आज़मा के देखते है
सुना है उसके शहर में उसे अब भी किसी का इंतज़ार है
तो चलो फिर हम भी अपनी किस्मत आज़मा के देखते है

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Md Danish Ansari

Monday, 7 January 2019

झगड़ालू दोस्त - Quarrelsome friend

January 07, 2019 0 Comments
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जो बात बात पर मुझसे लड़ती वो थी तुम 
पहले खुद ही लड़ती फिर सॉरी भी मुझी से कहलवाती ऐसी थी तुम 
जिसके हर कॉपी पे कहीं न कही मेरा नाम था, वो थी तुम
कभी कभी तो ऐसे लड़ती जैसे मार ही डालेगी 
फिर दूसरे दिन खुद ही पहले से आ कर बात करती 
और कहती - आज कल तेरे बड़े भाव चढ़े हुए है क्यों 
हम इतना लड़े और फिर एक हुए की 
सब यही कहते इनका कुछ समझ ही नहीं आता 
लड़ते है ऐसे की एक दूसरे के जानी दुश्मन 
और दोस्ती ऐसी की दाँत काटी रोटी
पर अब सब बदल रहा, तुम भी और मैं भी 
हमारे रिस्ते बदल रहे है और व्यवहार भी 
कभी जो मैं तुमसे बेधड़क मिलता था 
अब अदबो आदाब का ख्याल करता हूँ 
तुम मिलती हो बड़ी दूर से सलाम करती हो 
तुम हो तो वही मगर अब वो बात पहले जैसी नहीं
मैं भी वही हूँ मगर मुझमे भी वो बात नहीं 
हम दोनों का रिस्ता खुला बेबाक और बेधड़क का रहा 
 अब ये अदब तहज़ीब और दुरी दीवार की तरह लगती है
मगर सच तो यही है की, नए रिस्तो ने 
तुम्हे और मुझे बाँध रखा है और 
मैं भी अब इसी नए रिस्ते के साथ जीने की कोशिश करता हूँ 
ये समझने की कोशिश करता हूँ की 
पहले क्या था और अब क्या है 
वक़्त के साथ साथ सब कुछ बदल रहा है 
मैं भी तुम भी और हमारे रिस्ते भी 
मगर एक बात दिल से कहता हूँ 
अब तुम जैसा कोई नहीं है मेरे पास 
जो मुझसे लड़े मुझी से सॉरी भी कहलवा ले 
तुम्हारे साथ एक नया हमसफ़र है 
मगर मैं अब भी अकेला हूँ, और 
यही सोचता हूँ की मुझे जो हमसफ़र मिलेगा 
वो कैसी होगी, तुम्हारी जैसी या फिर तुमसे अलग 
और क्या वो मेरे साथ वैसे ही खुल कर 
ज़िन्दगी जियेगी जैसे हमने कभी जी थी 
या फिर इन नए रिस्तो में बंध कर, मेरी हमसफ़र बनेगी 
मुझे रिस्तेदारो से दिक्कत नहीं और न ही नए रिस्तो से 
बस डरता हूँ के नए रिस्ते कही मुझे घुटन न दे दें 
मैं बस इतना चाहता हूँ, चाहे जो भी हो 
मेरा हमसफ़र मेरे साथ खुलकर जिए 
मुझसे बराबरी का हक़ रखे 
न तो वो दब के रहे और न मुझे दबाये 
वो खुल कर अपनी बात कहे बिना संकोच 
भले ही मैं उससे सहमत रहूँ या न रहूँ 
और उससे भी मैं बस इसी बात की उम्मीद करता हूँ 
लेकिन चाहे कुछ भी कहो, वो तुम्हारी जगह कभी नहीं ले सकती 
क्यों की तुम तुम थी और वो, वो होगी 
उसका वजूद कुछ और होगा और तुम्हारा कुछ और है 
तुम मेरी सबसे अच्छी पहली दोस्त थी हो और हमेशा रहोगी 
तुम्हारी खुशियों की दुआ करने वाला तुम्हारा दोस्त 
जो तुमसे लड़ा भी और तुम्हे मनाया भी, 
बस इतनी सी इल्तेज़ा है, मुझे अपनी दुआओं में याद रखना 
क्योकि आगे ज़िन्दगी के सफर में तुम नहीं होगी 
लेकिन मैं चाहता हूँ तुम्हारी दुआएँ हमेशा मेरे साथ रहे 
कभी धुप में साये की तरह तो बरसात में छत की  तरह 
ठण्ड में गर्मी की तरह, और हमेशा मेरी परछाई की तरह 
तुम नहीं तो तुम्हारी दुआएँ मेरे साथ रहे 
मुझे याद रखना तुम्हारा झगड़ालू दोस्त !

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Md Danish Ansari